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पांवों से सुनते हैं और कभी नहीं भूलते हैं हाथी

क्रिस्टोफारो बेयाट्रिस
१६ सितम्बर २०२२

याददाश्त के लिहाज से हाथियों को बड़ा कमाल हासिल है और इस मामले में वो इंसानों से भी अव्वल हैं. इस विशेषज्ञता को आगे बढ़ाना उनके लिए मुश्किल हो गया है क्योंकि वे मार दिये जाते हैं और उनके ठिकाने खत्म किये जा रहे हैं.

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जमीन पर रहने वाला सबसे बड़ा स्तनधारी है हाथी
हाथी अपने पांवों से सुनते हैंतस्वीर: Patrick Pleul/dpa/picture alliance

हाथियों को ‘जेंटल जायन्ट्स' यानी ‘सौम्य महाकाय' कहा जता है. अफ्रीका और एशिया में पाए जाने वाले हाथी जमीन पर सबसे विशाल स्तनपायी हैं. उनके  संवेदनशील पांवों से लेकर पेचीदा मस्तिष्कों तक विशाल भारीभरकम शरीर इन इलाकों के चारागाहों और जंगलों के लिहाज से बिल्कुल उपयुक्त होते हैं. 

हाथी यूं तो अपने पंजो के बल चलते हैं. फिर भी वे लंबी दूरियां आसानी से पूरी कर लेते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पैरों में पत्तों के आकार के मोटे पैड होते हैं जिसकी वजह से उनके पांव चपटे होते हैं. उन मोटे पैडों में विशाल कृत्रिम अंगूठे भी होते हैं जिन्हें प्रिडिजिट कहा जाता है. उनकी मदद से तलवे से अंगों तक वजन को बांटने में हाथी को मदद मिलती है.   

हाथी भारी शरीर के बावजूद इन पांवों के दम पर सैकड़ों किलोमीटर का सफर करते हैं
हाथी अपने पैरों की मदद से कम फ्रीक्वेंसी के कंपन को भी महसूस कर सकते हैंतस्वीर: picture alliance

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उनके पांवों का एक और आश्चर्यजनक काम होता है और वह है संचार. हाथी करीब 32 किलोमीटर दूर से आती धीमी आवृत्ति वाली गड़गड़ाहट या धम-धम की आवाज को सुन सकते हैं. ये ध्वनियां पृथ्वी की सतह पर भूकंपीय थरथराहट पैदा करती हैं जिन्हें हाथी अपने पांवो से महसूस कर लेते हैं. रिसर्चर मानते हैं कि ये कंपन उनके कंकालों से होते हुए उनके कानों तक चला आता है. हाथियों का यह गुण उन्हें दूर से ही खतरे को भांप लेने में मदद करता है.

यह कौन सी भाषा है?

ये विशाल मैमल यानी स्तनपायी सिर्फ अपने संचार में ही माहिर नहीं हैं. 2014 के एक अध्ययन के मुताबिक वे इंसानी भाषाओं के बीच फर्क भी कर सकते हैं. यह भी जान सकते है कि आवाज आदमी की है या औरत की या फिर बच्चे की. यह गुण खासतौर पर तब उनके काम आता है जब वे इस बात का अंदाजा लगा रहे होते है कि इंसानों से उन्हें कितना खतरा है.

रिसर्चरों ने केन्या के अम्बोसेली नेशनल पार्क में जंगली हाथियों के सामने अलग अलग आवाजों की रिकॉर्डिंग चलाई. यह देखने के लिये कि आवाज सुनकर वे कितने रक्षात्मक हो जाते हैं. मसाई कबीले के पुरुषों और काम्बा के पुरुषों की रिकॉर्डिंग के बीच हाथियों ने मसाई की आवाज पर ज्यादा तीखी प्रतिक्रिया दी जिन्होंने गाहेबगाहे हाथियों को मारा था. हालांकि जब उन्होंने मसाई औरतों और छोटे लड़कों की आवाजें सुनीं तो उनकी प्रतिक्रिया मंद थी. क्योंकि वे हाथियों को परेशान नही करते हैं.

कभी नहीं भूलते हाथी

भाषाओं को पहचान लेने की हाथियों की क्षमता, हाथियों की बेमिसाल स्मृति का सबूत है. स्थलीय स्तनपायी जीवों में सबसे बड़ा मस्तिष्क हाथियों का होता है. उनमें इंसानों से ज्यादा पिरामिडीय न्यूरॉन (स्नायु कोशिकाएं) होते हैं. ये न्यूरॉन संज्ञानात्मक कार्यों के लिए अहम माने जाते हैं, मतलब हाथियों में याददाश्त का गुण, इंसानों के मुकाबले ज्यादा विकसित हो सकता है. हैरानी नहीं है कि पानी के गड्ढों तक सबसे छोटा रास्ता उन्हें याद रहता है, भले ही वे 50 किलोमीटर दूर क्यों ना हों.

हाथियों से उनका ठिकाना छिन रहा है
हाथी अफ्रीका के जंगलों और सवाना के मैदानों में रहते हैंतस्वीर: Zinyange Auntony/Getty Images

अपने पेचीदा समाजों में रहने के लिए भी उन्हें इन संज्ञानात्मक क्षमताओं की जरूरत होती है. हालांकि हादसे या यंत्रणा का अनुभव जैसे कि तस्करों के हाथों, किसी साथी या परिवार के सदस्य की मौत या झुंड से बिछड़ जाने की घटना, स्नायु तंत्र के विकास में खलल डाल सकती है. ऐसी स्थिति में हाथी आक्रामक और डरावने हो जाते हैं. इस तरह के अवरोधों का मतलब यह भी है कि हाथी के बच्चे उस बहुत जरूरी सामाजिक सूचना से वंचित हो जाते हैं जो आम तौर पर उन्हें अपने वयस्कों से मिलती.

एशिया में हाथी खासतौर पर संकट मे हैं, उनकी संख्या पिछली तीन पीढ़ियों के दौरान यानी करीब 75 साल में कम से कम 50 फीसदी घट गई है. अधिकांश तौर पर ऐसा इसलिए हो रहा है कि उनकी रिहाइशों और ठिकानों पर इंसानी कब्जे जारी हैं. अफ्रीका के कुछ हिस्सों में हाथियों को तस्करों का भी खतरा है.

यहां हद से ज्यादा हो गए हाथी?