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रूस की पीनल कॉलोनी व्यवस्था, जिसमें "गुम" हो गए हैं नावाल्नी

१२ दिसम्बर २०२३

रूस के विपक्षी नेता ऐलेक्सी नावाल्नी की टीम ने आशंका जताई कि वह रूस की जेल व्यवस्था में खो गए हैं. उन्हें जिस पीनल कॉलोनी में रखा गया था, वहां से कहीं और भेज दिया गया है. जानिए, क्या है रूस की पीनल कॉलोनी व्यवस्था.

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रूस में सरकार के आलोचक ऐलेक्सी नावाल्नी
यह तस्वीर मई 2022 की है. उस समय नावाल्नी को आईके-2 पीनल कॉलोनी में रखा गया था. तस्वीर: EVGENIA NOVOZHENINA/REUTERS

ऐलेक्सी नावाल्नी के सहयोगियों का कहना है कि पिछले छह दिनों से ना तो उनका, ना ही नावाल्नी के वकीलों का उनसे कोई संपर्क हो पाया है. नावाल्नी की प्रवक्ता कीरा यारमश ने बताया कि वह वीडियो माध्यम से होने वाली अदालती सुनवाई की तारीख में भी नहीं आए.

जून 2022 में नावाल्नी को आईके-6 नाम की पीनल कॉलोनी में रखा गया था. यह मॉस्को से करीब 235 किलोमीटर दूर है. यारमश ने बताया कि 11 दिसंबर को जब वकील नावाल्नी से मिलने गए, तो जेल कर्मचारियों ने सूचना दी कि अब नावाल्नी वहां नहीं हैं.

इस बारे में यारमश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "पीनल कॉलोनी-6 के एक कर्मचारी ने बताया कि ऐलेक्सी इस कॉलोनी को छोड़ चुके हैं."

क्या है पीनल कॉलोनी की व्यवस्था?

रूस की जेल व्यवस्था में पीनल कॉलोनी काफी कुख्यात है. जानकारों के मुताबिक, ये स्टालिन के दौर के गुलाग यातना शिविरों जैसी व्यवस्था है. पोलैंड के थिंक-टैंक "सेंटर फॉर ईस्टर्न स्टडीज" (ओएसडब्ल्यू) की 2019 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैदियों को जेल की कोठरियों में रखने की जगह पीनल कॉलोनियों में बने बैरकों में रखा जाता है.

अगस्त में नावाल्नी को 19 साल की अतिरिक्त कैद की सजा सुनाई गई थी. इससे पहले भी उन्हें साढ़े 11 साल की जेल की सजा मिल चुकी थी. नावाल्नी के सहयोगियों के अनुसार, अधिकारी उन्हें "स्पेशल रीजीम" कॉलोनी में भेजने की तैयारी कर रहे थे.

जानकारों के मुताबिक, पीनल कॉलोनियों की चार मुख्य श्रेणियां हैं. सबसे कम सख्ती वाली कॉलोनियों को "कॉलोनीज-सैटलमेंट्स" कहा जाता है. यहां कैदी ज्यादा आजादी से परिसर में घूम-फिर सकते हैं. उन्हें अपेक्षाकृत बड़े बैरकों में रखा जाता है. वे पास लेकर नियमित तौर पर कॉलोनी से बाहर जा सकते हैं, रिश्तेदारों से मिल सकते हैं.

ऐलेक्सी नावाल्नी
जेल की स्थितियां बताते हुए नावाल्नी ने कहा था कि हर जगह वीडियो कैमरा लगे हैं, कैदियों की हरदम निगरानी की जाती है और मामूली से मामूली उल्लंघन भी रिपोर्ट किया जाता है. एक इंस्टा पोस्ट में नावाल्नी ने लिखा था, "मुझे लगता है कि ऊपर किसी ने ऑरवेल की 1984 पढ़ी है."तस्वीर: Tatyana Makeyeva/AFP/Getty Images

ट्रांजिट में कई हफ्ते लग सकते हैं

पीनल कॉलोनियों की सबसे सख्त दो श्रेणियां हैं: स्पेशल रीजीम और स्ट्रिक्ट रीजीम. यहां कैदियों पर सख्त पाबंदियां होती हैं. खबरों के अनुसार, नावाल्नी को सबसे सख्त स्पेशल रीजीम कॉलोनी में भेजे जाने की आशंका है. कैदियों को रेल के रास्ते ट्रांसफर किया जाता है. इस प्रक्रिया में कई हफ्ते लग सकते हैं. यात्रा के दौरान उनके बारे में जानकारी मिलना काफी मुश्किल है.

नावाल्नी से जुड़े इस ताजा घटनाक्रम पर दुनियाभर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. अमेरिका में विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि अमेरिका इस मामले पर काफी चिंतित है.

मिलर ने पत्रकारों को बताया कि अमेरिका ने रूस की सरकार से कहा है कि नावाल्नी के साथ जो भी होता है, उसके लिए रूस की सरकार जिम्मेदार होगी. रूस ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए कहा है कि अमेरिका अपने काम से काम रखे.

मेलेखोवो शहर की इसी पीनल कॉलोनी में बंद थे नावाल्नी
जून 2023 की इस तस्वीर में पत्रकार, नावाल्नी मामले से जुड़ी शुरुआती सुनवाई के दौरान मेलेखोवो शहर की पीनल कॉलोनी के बाहर खड़े हैं. इसी महीने नावाल्नी का यहां तबादला हुआ था. तस्वीर: Alexander Zemlianichenko/AP/picture alliance

कैसी होती हैं पीनल कॉलोनियां

ओएसडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार, रूस में करीब 869 ऐसी पीनल कॉलोनियां हैं. ओएसडब्ल्यू की रिपोर्ट में एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि सबसे ज्यादा पीनल कॉलोनियां ऐसे इलाकों में हैं, जो प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से संपन्न हैं या फिर काफी औद्योगिक हैं.

चूंकि ज्यादातर पीनल कॉलोनियां सघन आबादी से दूरी वाले इलाकों में हैं, ऐसे में यहां रखे गए कैदियों का अपने परिवार और वकीलों से नियमित संपर्क नहीं रह पाता.

पिछले साल नावाल्नी ने पीनल कॉलोनी के भीतर से ही एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें हर दिन आठ घंटे से ज्यादा वक्त तक सरकारी टीवी देखने के लिए मजबूर किया जाता है.

उन्होंने जेल की स्थितियां रेखांकित करते हुए कहा कि हालात, चीन के लेबर कैंप्स जैसे हैं. हर जगह निगरानी के लिए वीडियो कैमरा लगे हैं. नावाल्नी ने यह भी बताया कि वो करीब सात घंटे सिलाई मशीन चलाते हैं.

अब इस इलाके पर रूस की नजर

एसएम/सीके