दिल्ली पर प्रदूषण की मार
भारत की राजधानी दुनिया की सबसे प्रदूषित जगहों में से एक है. हर साल सर्दियां आते ही दिल्ली स्मॉग से भर जाती है.
दिल्ली की हवा खराब
दिल्ली में हर साल अक्टूबर के बाद प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ने लगता है. वायु की गुणवत्ता का स्तर गिरकर बेहद खराब और उसके बाद खतरनाक हो जाता है. ऐसे में दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने की मांग हर कोने से उठने लगती है.
प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई
केंद्र और राज्य सरकार की नजरें ऐसी इकाइयों, कचरा जलाने वाले और निर्माण गतिविधियों पर खासतौर से होती है जिसके कारण हवा की गुणवत्ता खराब होती है. ऐसी इकाइयों पर अधिकारी भारी भरकम जुर्माना भी लगाते हैं.
प्रदूषण से लड़ने के लिए 300 टीमें
दिल्ली में प्रदूषण से लड़ने के लिए सरकार ने 300 टीमों का गठन किया है. इनका मकसद प्रदूषण से निपटने के लिए कदम उठाना है. केंद्र सरकार की नजर मुख्य रूप से सात औद्योगिक क्षेत्रों और बड़े यातायात गलियारों पर है जिससे प्रदूषण फैलता है.
प्रदूषण से निपटने के उपाय
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण से निपटने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाए जा रहे हैं. जैसे सड़क की मशीन से सफाई, रोड के बीच लगे पेड़ों पर पानी का छिड़काव जिससे हवा स्वच्छ हो सके.
मास्क से प्रदूषण से बचाव
आम तौर पर लोग प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल करते हैं लेकिन प्रदूषण का स्तर घरों के भीतर भी होता है. महंगे एयर प्यूरिफायर की वजह से खरीदने हर किसी के लिए संभव नहीं.
लोगों की पसंद मेट्रो
दिल्ली में ऑड-इवन लागू होने के बाद लोग या तो सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करते हैं या फिर कार पुलिंग करते हैं. ज्यादातर लोग मेट्रो से सफर करते हैं. यह सस्ता और समय बचाने वाला है. इसमें कार्बन उत्सर्जन भी कम है.
युवाओं की पसंद ई-स्कूटर
दिल्ली में युवा मौज-मस्ती और यातायात के लिए ई-स्कूटर का भी खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. दिल्ली के युवा कहते हैं इससे प्रदूषण का स्तर कम होगा और इसलिए इसे विकल्प के तौर पर उभारना होगा.
बीमारियों का प्रकोप
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के खतरनाक स्तर के कारण अस्थमा जैसे लक्षणों की शिकायत करने वाले मरीजों की संख्या अस्पतालों में 15 से 20 फीसदी बढ़ी है. साथ ही आंखों में जलन और सांस लेने की शिकायत करने वालों की संख्या भी बढ़ी है.
जागरूकता की कमी
प्रदूषण से लड़ाई में जितनी सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है उतनी है जिम्मेदारी आम जनता की भी बनती है. कचरा प्रबंधन, प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल, सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल जैसे उपायों के बारे में लोगों को खुद से जागरुक होना पड़ेगा.
दूषित हवा से नुकसान
दूषित हवा का सबसे बुरा प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है. डॉक्टरों की सलाह है कि सुबह के समय में बच्चों और बुजुर्गों को खुली हवा में जाने से बचना चाहिए.