ग्रीनपीस दक्षिणपू्र्व एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बुरी तरह से प्रभावित दिल्ली थी, जिसे धरती की सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी पाया गया. यहां खतरनाक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 के कारण लगभग 54,000 मौतें होने का अनुमान है. जापान की राजधानी टोक्यो में वायु प्रदूषण के कारण 40,000 मौतें हुईं. रिपोर्टे के मुताबिक बाकी मौत शंघाई, साओ पाउलो और मेक्सिको सिटी में दर्ज हुई. रिपोर्ट में जीवाश्म ईंधन के जलने से पैदा होने वाले सूक्ष्म पीएम 2.5 के प्रभाव का अध्ययन किया गया है.
ग्रीनपीस इंडिया में जलवायु अभियान चलाने वाले अविनाश चंचल के मुताबिक, "जब सरकार स्वच्छ ऊर्जा के बदले कोयला, तेल और गैस का विकल्प चुनती है तो हमारा स्वास्थ्य है जो कीमत चुकाता है." जीवाश्म ईंधन के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की वैश्विक कीमत आठ अरब डॉलर प्रति दिन है. ये विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत है. पीएम 2.5 के कण स्वास्थ्य के लिए सबसे हानिकारक माने जाते हैं. ये कण हृदय और फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं और गंभीर अस्थमा अटैक का खतरा भी रहता है. कुछ शोधों में कोविड-19 से होने वाली मौतों के उच्च जोखिम के लिए पीएम 2.5 को जोड़ा गया. रिपोर्ट में एक ऑनलाइन टूल का इस्तेमाल किया गया है, जो निगरानी साइट आईक्यूएयर से हवा की गुणवत्ता के डाटा को लेने और उसे वैज्ञानिक जोखिम मॉडल के साथ-साथ जनसंख्या और स्वास्थ्य डाटा से जोड़कर पीएम 2.5 के प्रभावों का अनुमान लगाया गया.
भारतीय शहर भी वायु प्रदूषण से प्रभावित.
पिछले साल मौत की उच्च संख्या के बावजूद, दुनिया भर में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन के तहत सड़कों पर गाड़ियां नहीं चलीं, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग बंद किए गए जिससे बड़े शहरों के आसमान अस्थायी रूप से साफ रहे. उदाहरण के लिए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली की हवा की गुणवत्ता बेहतर हुई और आसमान भी चमकदार हो गया था.
वैज्ञानिकों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण कुछ प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों में भारी गिरावट से मौत कम हुई है. फिर भी ग्रीनपीस ने सरकारों से नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करने का आग्रह किया है.
एए/सीके (एएफपी)
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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
सख्त है नया कानून
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र ने अध्यादेश के जरिए नया कानून तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है. केंद्र सरकार ने नए अध्यादेश के जरिए प्रावधान किया है कि जो भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होगा, उसे दोषी पाए जाने पर पांच साल तक जेल की सजा हो सकती है और उस पर एक करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
प्रदूषण एक गंभीर सम्सया
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अध्यादेश के जरिए कानून लाना एक महत्वपूर्ण फैसला है और इससे शहर और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण घटाया जाना सुनिश्चित होगा. उनके मुताबिक राजधानी में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पड़ोसी क्षेत्रों में प्रदूषण रोकने के लिए यह आयोग असरदार साबित होगा.
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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
शक्तिशाली आयोग
अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर से जुड़े इलाके, आसपास के क्षेत्र जहां यह लागू होगा उसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश हैं. आयोग के पास वायु गुणवत्ता, प्रदूषणकारी तत्वों के बहाव के लिए मानक तय करने, कानून का उल्लंघन करने वाले परिसरों का निरीक्षण करने, नियमों का पालन नहीं करने वाले उद्योगों, संयंत्रों को बंद करने का आदेश देने का अधिकार होगा.
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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
साल भर प्रदूषण के खिलाफ काम
केंद्र सरकार को उम्मीद है कि नया आयोग प्रदूषण की रोकथाम के लिए साल भर रिसर्च एंड इनोवेशन में काम करेगा और प्रदूषण को रोकने में कामयाबी हासिल करेगा. मौजूदा नियमों में जेल की सजा एक साल थी और जुर्माना एक लाख था लेकिन नए अध्यादेश में दोनों बढ़ा दिए गए हैं.
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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
आयोग का निर्देश मान्य होगा
अध्यादेश के मुताबिक अगर राज्यों के फैसले से टकराव हुआ तो आयोग का आदेश मान्य होगा. आयोग की शिकायत पर मैजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा चलेगा. आयोग में एनजीओ और एक्टिविस्ट भी सदस्य होंगे.
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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
ईपीसीए का अंत
विधि और न्याय मंत्रालय ने 29 अक्टूबर को जारी अध्यादेश के तहत पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को भंग कर दिया और और इसकी जगह 18 सदस्यों वाले एक आयोग का गठन किया है. राष्ट्रपति ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी है. इसके तहत कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट भी बनाया गया है जो दिल्ली, एनसीआर और आसपास के इलाके को देखेगा.
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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
22 साल से काम कर रहा था ईपीसीए
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को रोकने और प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ईपीसीए पिछले 22 साल से काम कर रहा था लेकिन वह दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण रोकने में असरदार साबित नहीं हो पा रहा था. हालांकि ईपीसीए ने नए आयोग के गठन का स्वागत किया है. उसके मुताबिक ईपीसीए ने इतने सालों में सरकार और सुप्रीम कोर्ट को समस्या के समाधान के लिए सुझाव और रिपोर्ट सौंपी है.
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वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नए कानून में क्या है?
दिल्ली में ग्रीन ऐप
दिल्ली में प्रदूषण की शिकायत करने के लिए ग्रीन दिल्ली ऐप का इस्तेमाल अब मुमकिन हो गया है. लोग इस ऐप के जरिए प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों की शिकायत कर पाएंगे और कूड़ा जलाने, उद्योग के प्रदूषण, धूल उड़ाने की तस्वीरें भी ऐप पर अपलोड कर पाएंगे.
रिपोर्ट: आमिर अंसारी