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समाजभारत

अग्निपथ: हिंसक प्रदर्शन में शामिल लोगों से भरपाई की तैयारी

२४ जून २०२२

सेना में अस्थाई भर्ती के लिए लाई गई अग्रिनपथ योजना के विरोध के सुर दबने का नाम नहीं ले रहे हैं. वहीं सरकार अब तक हिंसक प्रदर्शनों में शामिल लोगों की शिनाख्त करके हिंसा से हुए नुकसान की भरपाई की तैयारी कर रही है.

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Indien Protesten in Bengal
देश के कई राज्यों में अग्निपथ योजना के विरोध के बाद सरकार ने इस बारे में सफाई भी पेश की थी.तस्वीर: Satyajit Shaw/DW

24 जून से अग्निपथ योजना के तहत सेना में चार साल के लिए अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो रही है. लेकिन, भर्ती की तैयारी कर रहे छात्रों का गुस्सा और उनके प्रतिरोध का स्वर भी लगातार बढ़ता जा रहा है. हालांकि, रविवार के बाद से हिंसक प्रदर्शनों पर लगाम लगी है, लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन देश के तमाम हिस्सों में अब भी जारी हैं. हिंसा में शामिल सैकड़ों छात्रों को गिरफ्तार भी किया गया है और यूपी-बिहार समेत तमाम राज्यों में सैकड़ों एफआईआर दर्ज की गई हैं.

उत्तर प्रदेश में सरकार हिंसक प्रदर्शन में शामिल लोगों से हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई की भी तैयारी कर रही है. कानपुर, आगरा, वाराणसी, जौनपुर और गोरखपुर समेत तमाम जिलों में लोगों को इसके लिए नोटिस दिए गए हैं. जल्द ही वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. वहीं विभिन्न जिलों में चलने वाले कोचिंग सेंटरों के खिलाफ भी बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जा रही है. कई कोचिंग संचालकों को गिरफ्तार किया गया है. इन संचालकों पर आरोप हैं कि इन्होंने छात्रों को हिंसा के लिए भड़काया.

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कोचिंग चलाने वालों पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने छात्रों को प्रदर्शन के लिए भड़काया है.तस्वीर: Satyajit Shaw/DW

कैसे हुई पहचान और कैसे होगी कार्रवाई

अग्निपथ योजना के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को लेकर यूपी में अब तक 46 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं और 500 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. यूपी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार कहते हैं कि वीडियो फुटेज और कई जगह लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर लोगों की शिनाख्त की गई है और अपराध के आधार पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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एडीजी प्रशांत कुमार के मुताबिक, "मौके से मिले वीडियो फुटेज के आधार पर, जिन लोगों ने आगजनी या पत्थरबाजी की है, सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में कार्रवाई की जा रही है. ऐसे लोगों से ही नुकसान की भरपाई भी की जाएगी. सरकार छात्रों पर कार्रवाई को लेकर बेहद संवेदनशीलता से काम कर रही है. छात्रों की आड़ में कुछ उपद्रवियों ने हिंसा की है और कानून को अपने हाथ में लिया है. ऐसे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है.”

कुमार के मुताबिक जो छात्र प्रदर्शन में शामिल थे, लेकिन हिंसक गतिविधियों और नुकसान में शामिल नहीं थे, उनके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 151 के तहत कार्रवाई की जाएगी. इसके तहत गिरफ्तारी नहीं की जाती है. मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है और चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है.

कोचिंग संचालकों पर गाज

अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामले में अलीगढ़ और आगरा समेत कई जगहों पर कोचिंग संचालकों को गिरफ्तार किया गया है और कई संस्थानों को नोटिस दिए गए हैं. प्रशासन के डर के मारे सेना भर्ती और अन्य परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कई कोचिंग संस्थानों के संचालकों ने अपना संस्थान बंद कर दिया है.

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अलीगढ़ में सेना और पुलिस भर्ती की तैयारी कराने वाले एक संस्थान के डायरेक्टर सुधीर कुमार बताते हैं कि कोचिंग संस्थानों पर यह दबाव भी बनाया जा रहा है कि वे छात्रों को बताएं कि अग्निपथ योजना उनके और देश के फायदे के लिए है. उनके मुताबिक ऐसा करने पर संस्थानों पर कार्रवाई न करने का आश्वासन दिया जा रहा है.

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योजना के एलान के बाद वाले सप्ताह में देश के कई हिस्सों में योजना के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए.तस्वीर: Satyajit Shaw/DW

पहले भी यह रवैया अपना चुकी है सरकार

इससे पहले साल 2019 में यूपी में सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में भी राज्य भर में सैकड़ों अभियुक्तों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार किया गया था. हिंसा के दौरान जिस सामान को नुकसान पहुंचाया गया, उसकी भरपाई के लिए नोटिस जारी किए गए और वसूली भी की गई थी. साथ ही, शहरों के खास चौराहों पर अभियुक्तों के पोस्टर भी लगाए गए थे.

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने पर अदालत न पोस्टर लगाने और वसूली करने के लिए न सिर्फ राज्य सरकार को फटकार लगाई, बल्कि पोस्टर तत्काल हटाने और वसूले गए पैसे लोगों को लौटाने के निर्देश दिए थे. बाद में सरकार ने कोर्ट में कहा था कि जिन लोगों से वसूली की गई थी, उनके पैसे उन्हें लौटा दिए गए हैं.

Indien | Proteste gegen Armee-Rekrutierungsprogramm Agnipath
राजधानी दिल्ली में यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया था.तस्वीर: Mayank Makhija/NurPhoto/picture alliance

जानकारों की क्या है राय

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर कहते हैं, "बुलडोजर से घर गिराने या फिर वसूली करने की एक न्यायिक प्रक्रिया है. उसका पालन किए बिना आप ऐसा नहीं कर सक. यह गैरकानूनी है. गैरकानूनी गतिविधि के लिए पहले आरोप बताकर नोटिस दिया जाता है या चिपकाया जाता है. अभियुक्त को कारण बताने का समय दिया जाता है. लेकिन, आजकल देखने में आ रहा है कि सरकारें बिना नोटिस दिए या नोटिस का जवाब देने के लिए बहुत कम समय देकर घर गिरा दे रही हैं. रही बात रिकवरी की, तो वह भी हवा में नहीं कर सकते. जिसे आप नामजद कर रहे हैं, पहले उसका अपराध तय करना होगा. बिना ट्रायल के उससे वसूली नहीं कर सकते अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं है कि आप बिना ट्रायल के किसी को अपराधी बताकर उससे नुकसान की भरपाई कर लें.”

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उत्तर प्रदेश में सीएए-एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के बाद कानून में वसूली का प्रावधान किया गया.तस्वीर: Satyajit Shaw/DW

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन में शामिल लोगों की संपत्ति जब्त करने वाली सभी 274 नोटिस यूपी सरकार ने वापस ले ली थीं. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसकी जानकारी भी दी थी.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक हिंसा के दौरान किसी भी तरह की संपत्ति को पहुंचे नुकसान की भरपाई के लिए अगर राज्य में कोई विशेष कानून नहीं है, तो इस स्थिति में उच्च न्यायालय बड़े पैमाने पर सार्वजनिक संपत्ति को पहुंचे नुकसान की घटनाओं का स्वत: संज्ञान लेकर जांच कराएगी और फिर नुकसान का आकलन करके अपराधियों से वसूली की जाएगी.

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सीएए प्रदर्शन के वक्त यूपी में ऐसा कोई कानून नहीं था, लेकिन इस दौरान हुई हिंसा के बाद यूपी सरकार ने जिला प्रशासन को ही वसूली का अधिकार दे दिया और जिला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर दिए गए. इन्हीं आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. हालांकि, उसके तत्काल बाद राज्य सरकार 'उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली 2020' नाम से अध्यादेश लाई और ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए लखनऊ और मेरठ में ट्रिब्यूनल का भी गठन कर दिया.