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समाज

ब्लू व्हेल के बाद अब मोमो चैलेंज

प्रभाकर मणि तिवारी
२७ अगस्त २०१८

पश्चिम बंगाल में दो लोगों की मौत और कई लोगों को इस खेल का न्योता मिलने के बाद राज्य सरकार ने इस खतरनाक खेल पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस पहल की है. मुंबई समेत दूसरे शहरों में भी अब पुलिस व प्रशासन सक्रिय हो रहा है.

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Symbolbild Jugendlicher mit Smartphone
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Hildenbrand

ब्लू व्हेल की तर्ज पर फेसबुक से शुरू होने वाला मोमो चैलेंज ऐसा जानलेवा खेल है जिसके तहत खासकर युवाओं को कठिन ऑनलाइन चुनौतियां दी जाती हैं. इसका अंत संबंधित खिलाड़ी की आत्महत्या से होता है.

अब हाल के दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में व्हट्सएप के जरिए लोगों को इसका लिंक और न्योता भेजा जा रहा है. इसमें खिलाड़ियों को जापानी कलाकार मिदोरी हयाशी की एक कलाकृति भेजी जा रही है. इसमें एक कुरूप दिखने वाली महिला की आंखें बाहर निकलती नजर आ रही हैं. यह आंखें मोमो जैसी लग रही हैं.

इस खेल के लिए अज्ञात नंबरों से जिन युवाओं को न्योता भेजा जा रहा है उनमें कई निर्देश होते हैं. अगर वह उनको नहीं मानते तो उनको और हिंसक तस्वीरें भेजने की धमकी दी जाती है. पश्चिम बंगाल में ऐसे कम से कम दो मामले सामने आए हैं जिनमें एक युवक और एक युवती ने संभवतः मोमो चैलेंज के चलते आत्महत्या कर ली.

राजधानी कोलकाता की एक कामकाजी महिला को भी व्हट्सएप के जरिए इसका न्योता भेजा गया है. इसी तरह जलपाईगुड़ी जिले की एक छात्रा को इसका न्योता मिला. इन दोनों ने पुलिस के साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है.

ऐहतियाती उपाय

पश्चिम बंगाल सरकार अब इस खतरे से निपटने के लिए ऐहतियाती कदम उठा रही है. दार्जीलिंग जिले के कर्सियांग में 18 साल के मनीष सारकी और 26 साल की अदिती गोयल ने क्रमशः 20 और 21 अगस्त को आत्महत्या कर ली थी.पुलिस को संदेह है कि यह दोनों मोमो चैलेंज खेल में फंसे थे.

पश्चिम बंगाल सरकार के गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, "तमाम जिलों में स्थित थानों को जरूरी निर्देश भेजने के साथ ही प्रशासन ने शैक्षणिक संस्थानों से भी छात्रों के व्यवहार में आने वाले किसी बदलाव का ध्यान रखने को कहा है." उनका कहना था कि मोमो चैलेंज में लगातार तेजी आ रही है. ब्लू व्हेल के बाद अब मोमो गेम चैलेंज का खतरा गंभीर हो रहा है. इस ऑनलाइन खेल का लिंक व्हट्सएप के जरिए भेजा जा रहा है. वह बताते हैं, "जिला प्रशासनों को इस बारे में सतर्क कर दिया गया है."

बीते 21 अगस्त को जलपाईगुड़ी की कविता राई को भी मौत का यह खेल खेलने का न्योता मिला था. उसने इस बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. महानगर में एक आईटी पेशेवर और एक बच्चे की मां ने भी ऐसा ही न्योता मिलने के बाद कोलकाता पुलिस के साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है. राजश्री उपाध्याय नामक यह महिला बताती हैं, "मैंने अपने दोस्त की सलाह पर इस न्योते का कोई जवाब नहीं दिया था. मुझे इस खेल के खतरे के बारे में जानकारी है. इसलिए मैंने डर के मारे पुलिस को इसकी सूचना दे दी."

राज्य सरकार ने इस खतरे से निपटने के लिए साइबर विशेषज्ञों से भी सहायता मांगी है. इसके साथ ही क्या करें और क्या न करें की एक सूची भी तैयार कर तमाम जिलों में भेजी गई है ताकि लोगों में जागरूकता पैदा की जा सके. जिला प्रशासन ने लोगों से ऐसा कोई लिंक मिलते ही पुलिस को तुरंत सूचना देने की अपील की है.

साइबर विशेषज्ञों की राय

दूसरी ओर मुंबई पुलिस ने भी अब इस खतरनाक खेल के प्रति ट्विटर और सोशल नेटवर्किंग साइटों की सहायता से लोगों में जागरूकता फैलाने का काम शुरू कर दिया है. मुंबई पुलिस के एक साइबर विशेषज्ञ कहते हैं, "इस खेल का न्योता लोगों को चुन-चुन कर भेजा जा रहा है. इसके स्त्रोत का पता लगाना मुश्किल है. पुलिस ने लोगों से अपने बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान रखने की सलाह दी है."

पुलिस के आईजी (साइबर) ब्रृजेश सिंह कहते हैं, "अभिभावकों को बच्चे की गतिविधि पर नजदीकी निगाह रखनी होगा और उसे इस बारे में संवाद कायम रखना होगा. इसके अलावा बच्चे के दोस्तों से भी बातचीत करनी होगी ताकि उसके व्यवहार में आने वाले किसी बदलाव की समय रहते जानकारी मिल सके."

साइबर विशेषज्ञ संदीप सेनगुप्ता कहते हैं, "इस खेल का संचालन करने वाले लोगों के नंबर हैक कर उनको न्योता भेज रहे हैं. उन लोगों को दूसरे सोशल नेटवर्किंग साइटों के जरिए भी ब्लैकमेल किया जाता है." सेनगुप्ता ने लोगों को किसी अज्ञात नंबर से मिलने वाले ऐसे किसी न्योते को स्वीकार नहीं करने और किसी अज्ञात लिंक पर क्लिक नहीं करने की सलाह दी है.

साइबर विशेषज्ञ प्रशांत माली कहते हैं, "भारत में ऑनलाइन खेलों पर निगाह रखने के लिए अब एक नियामक संस्था का गठन जरूरी है. जब क्रिकेट, हॉकी और कबड्डी जैसे खेल नियमन के दायरे में हैं, तो कंप्यूटर खेल क्यों नहीं होंगे?" उनका कहना है कि भारत में ऑनलाइन खेल स्थानीय संस्कृति से मेल खाते होने चाहिए और इन खतरनाक खेलों के प्रति स्कूलों व कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए. इससे कुछ जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.

साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ई-मेल खातों और सोशल नेटवर्किंग साइटों का पासवर्ड नियमित अंतराल पर बदलना जरूरी है. अगर किसी को कहीं से कोई संदिग्ध लिंक मिलता है, तो उस नंबर को फौरन ब्लॉक कर देना चाहिए.

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