तालिबान आतंक से निजात
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत अपने नागरिकों समेत वहां के नागरिकों को सुरक्षित निकालने के मिशन पर लगा हुआ है. हर रोज वायुसेना के विमान से सैकड़ों लोग भारत आ रहे हैं. भारत आकर वे राहत की सांस ले रहे हैं.
सुरक्षा का अहसास
22 अगस्त को भारतीय वायुसेना ने काबुल में फंसे भारतीयों और अफगानों को वहां से एयरलिफ्ट किया. भारत आने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली.
जब फंस गए थे काबुल में
रोजगार और व्यापार के सिलसिले में अफगानिस्तान गए कई भारतीय तालिबान के कब्जे के बाद वहीं फंस गए थे. काबुल एयरपोर्ट से भारतीय वायुसेना का विमान हर रोज सैकड़ों लोगों को संकटग्रस्त देश से निकाल रहा है.
अफगान सांसद भी बचाए गए
22 अगस्त को काबुल से 392 लोगों को तीन विमानों के जरिए भारत लाया गया. इन लोगों में 329 भारतीय नागरिक और दो अफगान सांसद समेत अन्य लोग हैं. भारतीय वायुसेना का सी-19 विमान 107 भारतीयों और 23 अफगान सिख-हिंदुओं समेत कुल 168 लोगों को लेकर हिंडन एयरबेस पर उतरा.
जब रो पड़े सांसद
काबुल से भारत पहुंचे लोगों में दो अफगान सांसद नरेंद्र सिंह खालसा और अनारकली होनरयार भी हैं. हिंडन एयरबेस पर उतरते ही खालसा की आंखें भर आईं. अपने देश का हाल बयान करते हुए उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान 20 साल पीछे चला गया है.
मिशन काबुल
अमेरिका, कतर और कई मित्र देशों के साथ मिलकर भारत अपने नागरिकों के साथ-साथ अफगान लोगों को काबुल से निकालने के मिशन में जुटा हुआ है. भारत सरकार अफगानिस्तान की स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है.
दूतावास के बाहर लंबी कतारें
दिल्ली में कई अफगान नागरिक अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों के दूतावास के बाहर सुबह से इकट्ठा हो जाते हैं और वे दूतावास से मदद की गुहार लगाते हैं. ऑस्ट्रेलिया के दूतावास के बाहर जमा हुए अफगान नागरिकों का कहना है कि उन्होंने सुना है कि ऑस्ट्रेलिया ने शरणार्थियों को स्वीकार करने और उन्हें आव्रजन वीजा देने की घोषणा की है.
लंबा इंतजार
दूतावास के बाहर लोग घंटों इंतजार करते हैं. कुछ अफगानों का कहना है कि जब वे ऑस्ट्रेलियाई दूतावास आए तो उन्हें एक फॉर्म दिया गया और कहा गया कि यूएनएचसीआर (शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त) को एक ईमेल भेजना होगा जो उन्हें वीजा के लिए दूतावास के पास भेजेगा. लोगों का आरोप है कि यूएनएचसीआर कार्यालय कोई जवाब नहीं देता.
बच्चों के भविष्य की चिंता
काबुल से आए कई परिवारों में छोटे बच्चे भी हैं. यह परिवार भी ऑस्ट्रेलिया दूतावास में वीजा की गुहार के लिए आया हुआ है. दूतावास के बाहर भीड़ को देखते हुए सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
मदद की गुहार
अफगानिस्तान में एक ओर लोग तालिबान के डर से भाग रहे हैं वहीं दूसरी ओर जो नागरिक दूसरे देशों में हैं, वे वापस अपने देश जाना नहीं चाहते हैं. ऐसे में वे वीजा के लिए दूतावासों के चक्कर काट रहे हैं.
खतरे में लोग
संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी का कहना है कि ज्यादातर अफगान देश नहीं छोड़ पा रहे हैं और जो खतरे में हो सकते हैं उनके पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है. ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, ईरान और भारत जैसे देश शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं.