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समाज

अशरफ गनी ने अफगान लोगों से मांगी माफी

९ सितम्बर २०२१

तालिबान के काबुल में घुसने से एक दिन पहले देश छोड़कर चले गए अफगानिस्तान के अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश के लोगों के माफी मांगी है. नए अंतरिम प्रधानमंत्री ने सभी भागे लोगों से लौट आने की अपील की है.

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तस्वीर: REUTERS

मंगलवार को अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद हसन अखुंद ने देश से भाग गए नेताओं से आग्रह किया कि वे लौट आएं. नेताओं की सुरक्षा की गारंटी देते हुए अखुंद ने समाचार चैनल अल जजीरा से कहा, "इस ऐतिहासिक पल के लिए हमने भारी नुकसान सहा है. अफगानिस्तान में खून खराबे का दौर अब खत्म हो गया है.”

15 अगस्त को तालिबान के काबुल में घुसने के बाद से दसियों हजार लोग देश छोड़कर जा चुके हैं. बहुत से लोगों को डर है कि पश्चिमी देशों की सेनाओं और उनकी समर्थक सरकार के साथ काम करने का बदला उनसे यातनाओं के रूप में लिया जा सकता है.

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इस बीच महिलाओं ने काबुल की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किए हैं, जो अन्य शहरों में भी देखे जा रहे हैं. आमतौर पर लोगों ने नए नेतृत्व से देश की अर्थव्यवस्था सुधारने की मांग की है. महंगाई, खाने पीने की चीजों की कमी और सूखे से ग्रस्त देश में लोगों का जीवन काफी मुश्किल हो गया है.

अशरफ गनी ने मांगी माफी

पिछले महीने 15 अगस्त को तालिबान के काबुल में घुसने से पहले ही अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए थे. तब उन्होंने कहा था कि वह खून-खराबा नहीं चाहते थे इसलिए देश छोड़ गए. बुधवार को ट्विटर पर एक पोस्ट में उन्होंने देश के लोगों से माफी मांगी.

गनी ने कहा कि अपने सुरक्षा दल के अनुरोध पर उन्होंने देश छोड़ने का फैसला किया था. गनी ने लिखा कि उनके सुरक्षाकर्मियों ने कहा था कि वह देश में रहे तो " शहर को 1990 के दशक के गृह युद्ध जैसी सड़कों पर लड़ाइयां और तकलीफें झेलनी होंगी.”

अपने ट्वीट में गनी ने लिखा, "काबुल छोड़ना मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल फैसला था लेकिन मुझे लगा कि बंदूकों को शांत रखने और काबुल व उसके 60 लाख बाशिंदों को बचाने का यही तरीका था.”

वर्ल्ड बैंक में काम कर चुके गनी दो बार हुए चुनाव जीतकर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बने थे. हालांकि इन चुनावों पर धांधली के आरोप भी लगे थे. अपने जाने के बारे में उन्होंने एक बार फिर सफाई दी कि धन लेकर भागने के आरोप पूरी तरह गलत हैं.

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उन्होंने कहा, "भ्रष्टाचार एक प्लेग है जिसने देश को दशकों तक कचोटा है. भ्रष्टाचार से लड़ना राष्ट्रपति के तौर पर मेरी मुख्य कोशिश थी.” उन्होंने स्पष्ट किया वह और उनकी लेबनान मूल की पत्नी पूरी तरह ईमानदार रहे.

पश्चिमी देश संदेह में

बीते सोमवार को तालिबान ने देश की अंतरिम सरकार का ऐलान किया है जिसे अधिकतर पश्चिमी देश संदेह की नजर से देख रहे हैं. सरकार में ज्यादातर ऐसे लोग शामिल हैं जिन पर अमेरिका में इनाम तक घोषित है.

अमेरिका ने बुधवार को कहा कि तालिबान का अंतरराष्ट्रीय समुदाय में कोई सम्मान नहीं है. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा, "यह एक अंतरिम कैबिनेट है. हमारी सरकार में कोई भी, ना राष्ट्रपति, ना सुरक्षा टीम का कोई सदस्य ऐसा कहेगा कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के इज्जतदार सदस्य हैं.”

जर्मनी की यात्रा पर पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री बुधवार को जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास से मुलाकात की. बैठक के बाद एंटनी ब्लिंकेन ने कहा, "तालिबान अंतरराष्ट्रीय वैधता चाहता है. किसी भी तरह की वैधता, किसी भी तरह की मदद उन्हें कमानी होगी.”

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जर्मन विदेश मंत्री मास ने कहा कि तालिबान की सरकार में विभिन्न तबकों को प्रतिनिधित्व ना मिलना अच्छा संकेत नहीं है. उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में सरकार के गठन में, जो अभी पूरा नहीं हुआ है, जरूरी संकेत दिए जाएंगे. तालिबान को यह स्पष्ट होना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ जाना उसके हित में नहीं है और खासकर अफगानिस्तान के लोगों के हित में नहीं है. पूरी तरह बर्बाद हो चुकी अर्थव्यवस्था वाला देश कभी स्थिर नहीं हो सकता.”

रामस्टाइन एयर बेस पर हुई इस बैठक में कई देशों के विदेश मंत्री ऑनलाइन शामिल हुए. इसी बेस पर उन लगभग 14 हजार लोगों को रखा गया है जिन्हें अफगानिस्तान से निकालकर लाया गया है. लगभग 20 हजार लोग पहले ही अलग-अलग जगहों पर भेजे जा चुके हैं.

रिपोर्टः वीके/एए (एएफपी, एपी, डीपीए, रॉयटर्स)

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