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समाज

अफगानिस्तान में महिला अधिकारों की रक्षा करेगा यूएन समूह

२५ नवम्बर २०१९

तालिबानी शासन में अफगानिस्तान में लागू इस्लामिक कानून को देश की महिलाएं फिर से लागू नहीं होने देना चाहती हैं. ऐसे में महिला समूह ने तालिबान के साथ शांति वार्ता के दौरान महिलाओं की उपस्थिति की मांग भी की है.

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Präsidentschaftswahl in Afghanistan
तस्वीर: picture alliance/AP/E. Noroozi

अमेरिका पर हमले के बाद अफगानिस्तान से तालिबानी शासन समाप्त हो गया था. हालांकि इसे बाद भी कुछ इलाकों पर तालिबान अपना दावा करते रहे. अमेरिका और तालिबान के बीच शुरू हुए युद्ध का अंत नहीं हुआ है. देश में लंबे समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए कट्टरपंथी संगठन के साथ बातचीत चल रही है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की पहली महिला राजदूत एडेला राज ने 18 साल पहले तालिबान को सत्ता से बेदखल करने के बाद देश की महिलाओं को मिले अधिकारों की रक्षा के लिए यूएन के एक समूह का गठन किया है.

एडेला ने बताया कि वह इस बात को लेकर 'पूरी तरह से आश्वस्त नहीं' हैं कि तालिबान के साथ भविष्य में होने वाले बातचीत में महिलाओं के अधिकारों को शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसी वजह से उन्होंने अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए 'ग्रुप ऑफ फ्रेंड्स ऑफ वीमेन' का गठन किया.

तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में शासन करने के दौरान देश में कठोर इस्लामिक कानून लागू किया था. महिलाओं की शिक्षा और नौकरी करने पर रोक लगा दी. नियम का पालन नहीं करने पर पत्थर से मार मार कर मौत की सजा का प्रावधान कर दिया गया था. इसी तालिबान ने अल-कायदा और उसके नेता ओसामा बिन लादेन को शरण दी था लेकिन 9/11 के हमले के बाद अमेरिका ने तालिबान को सत्ता से बेदखल कर दिया था.

Die Lage der Flüchtlinge auf Lesbos
तस्वीर: DW/D. Tosidis

राज ने कहा कि अमेरिका, फ्रांस, कतर, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात सहित लगभग 20 देशों की महिला राजदूत और उप-राजदूत पहले ही फ्रेंड्स ग्रुप में शामिल हो चुकी हैं. राज और ब्रिटिश राजदूत कैरेन पियर्स इस ग्रुप की सह-अध्यक्ष हैं. अफगान राजदूत ने कहा कि इस ग्रुप को अफ्रीकी संघ, इंडोनेशिया की विदेश मंत्री और यूएन की उप महासचिव अमीना मोहम्मद का भी समर्थन प्राप्त है. राज कहती हैं कि इस समूह की शुरुआती सदस्य भले ही महिलाएं हैं लेकिन यह पुरुष राजदूतों और उप-राजदूतों के लिए भी खुला हुआ है. उनका कहना है कि समूह के सदस्य 'महिलाओं के अधिकारों के चैंपियन' हैं. वे सभी यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अफगानिस्तान में महिलाओं की पहचान एक पार्टनर और नेतृत्वकर्ता के रूप में हो. जहां शांति वार्ता हो रही है, वहां भी महिलाओं को जगह मिले.

अफगानिस्तान की दो-तिहाई आबादी की उम्र 25 साल से कम है. राज कहती हैं कि अफगानिस्तान के युवा लोकतंत्र के समर्थक हैं. वे लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ-साथ महिला अधिकारों का भी समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकार किसी भी समझौते का हिस्सा होना चाहिए. अफगानिस्तान की पूर्व ब्रिटिश राजदूत पियर्स कहती हैं कि फ्रेंड्स ग्रुप में 'सिर्फ बातें नहीं' होंगी. उन्होंने कहा कि इसके सदस्य 'अफगान शांति प्रक्रिया में महिलाओं को शामिल कराने के चैंपियन' बनना चाहते हैं."

Filmstills von dem Film: Hava, Maryam, Ayesha
तस्वीर: http://hava.nooripictures.com

इस समूह की शुरुआत के मौके पर संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव मोहम्मद ने कहा, "अफगानिस्तान की महिलाएं देश के विकास में सभी स्तरों पर अपनी भूमिका निभा रही हैं. वे सरकार में वरिष्ठ पदों, स्थानीय सरकार और कार्यालयों, सुरक्षा बलों और सिविल सेवाओं में भी हैं. संसद में तो एक तिहाई से ज्यादा संख्या महिलाओं की है." उन्होंने बताया, "हम एक संदेश दे रहे हैं कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति और विकास के लिए महिलाओं की भागीदारी जरूरी है."

राज और पियर्स ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि तालिबान ने अफगान सरकार से तीन तालिबानी कैदियों की रिहाई के बाद अमेरिकी और ऑस्ट्रेलियाई बंधकों को मुक्त किया है. विद्रोही समूह ने कहा कि इसके बाद शांति वार्ता की फिर से शुरूआत की उम्मीद बंधी है. राज ने कहा, "हम आशा करते हैं कि यह एक महत्वपूर्ण इशारा है जिसे सरकार शांतिवार्ता के समय आगे रखेगी और सरकार की ओर से इस वार्ता में महिलाओं को भी शामिल करेगी. हमें यह भी उम्मीद है कि तालिबान संघर्ष विराम और हिंसा कम कर यह दिखाने का काम करेंगे कि वे भी शांति वार्ता चाहते हैं." 

आरआर/आरपी (एपी)

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