1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
मानवाधिकारअफगानिस्तान

रिपोर्ट: तालिबान शासन में महिलाओं का शोषण जारी

२७ जुलाई २०२२

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक नई रिपोर्ट में कहा कि तालिबान के नियमों का विरोध करने वाली महिलाओं को धमकी दी गई, हिरासत में लिया गया और प्रताड़ित किया गया.

https://p.dw.com/p/4EhK8
तस्वीर: Javed Tanveer/AFP

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को जारी एक ताजा रिपोर्ट में कहा कि तालिबान ने सत्ता में आने के बाद से अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का "हनन" किया है. इनमें शिक्षा, रोजगार और यात्रा के अधिकार शामिल हैं, जिन्हें इस सरकार ने कठोर कानूनों के माध्यम से गंभीर रूप से कम कर दिया है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्नेस कैलामार्ड के मुताबिक, "हर एक चीज, जैसे कि वह स्कूल जाती है, काम करती है या नहीं, काम करते समय क्या करती है, घर से बाहर जाती है या नहीं, घर से निकलने पर उसके साथ कौन होता है. हर चीज नियंत्रित और अत्यधिक प्रतिबंधित है. अफगानिस्तान की महिलाओं के खिलाफ यह कठोर कार्रवाई दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है."

एमनेस्टी ने यह रिपोर्ट 100 से अधिक अफगान महिलाओं और लड़कियों के साक्षात्कार के आधार पर तैयार की है. इसने खुलासा किया कि जो महिलाएं प्रतिबंधों के खिलाफ बोलती हैं, उन्हें "धमकी दी जाती है, गिरफ्तार किया जाता है और कैद किया जाता है. उन्हें प्रताड़ित किया जाता है और जबरन गायब कर दिया जाता है. परिवार को जान से मारने की धमकी दी जाती है."

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले साल जब तालिबान सत्ता में आया, तो उसने महिलाओं के अधिकारों को बनाए रखने का वादा किया. लेकिन ये वादे जल्द ही टूट गए और उसने महिलाओं के खिलाफ व्यवस्थित दमन की नीति शुरू की.

तालिबान के शासन को अभी भी अवैध मानती हैं अफगान महिलाएं

रिपोर्ट में कहा गया है कि जो कोई भी इन पक्षपातपूर्ण नीतियों के खिलाफ बोलता है, उसे तालिबान प्रताड़ित करता है. तालिबान उसे जबरन गिरफ्तार करता और ऐसे लोगों को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी जाती है.

तालिबान के हाथों बंदी बनाई गई एक महिला ने कहा, "तालिबान गार्ड मेरे कमरे में आते थे और मुझे मेरे परिवार की तस्वीरें दिखाते. वे लगातार धमकी देते थे हम उन सभी को मार डालेंगे और तुम कुछ नहीं कर पाओगी."

एक अन्य महिला ने कहा, "हमारे स्तनों के बीच और हमारे पैरों के बीच मारा गया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि हम दुनिया को इन चोट को न दिखा सकें."

सार्वजनिक स्थानों पर बिना पुरुष रिश्तेदार दिखने वाली महिलाओं को भी जबरन गिरफ्तार किया जाता है और प्रताड़ित किया जाता है. घरेलू और लिंग आधारित हिंसा की शिकार महिलाओं ने बताया कि उन्हें कैंपों के बजाय जेलों में डाल दिया गया. यहां महिलाओं को एकांत कारावास में रखा जाता है, पीटा जाता है और अलग-अलग तरह की सजा दी जाती. उन्हें अमानवीय हालात में रहने के लिए मजबूर किया जाता.

एए/वीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी