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बड़ी शिकारी रही हैं औरतें

५ नवम्बर २०२०

आपने शायद किसी ना किसी को यह कहते सुना होगा कि औरतों की असली जगह या तो घर में या फिर किचन में होती है. लेकिन एक नई स्टडी के अनुसार मानव इतिहास के एक दौर में ऐसा बिल्कुल नहीं था.

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प्रतीकात्मक चित्र: ब्राजील में अमेजन के जंगलों में शिकारी इंडियन समुदाय का एक सदस्य.तस्वीर: picture-alliance/Ton Koene

कुछ साल पहले ही पेरू की एंडीज पहाड़ियों में आज से करीब 9,000 साल पहले दफन हुई एक युवा महिला के शरीर के अवशेष बरामद हुए. इस पर शोध करने वाले रिसर्चरों को महिला के अवशेषों के पास से कई तरह के औजारों से लैस एक टूल किट भी मिला था, जो बड़े जानवरों के शिकार में इस्तेमाल होता होगा. वैज्ञानिकों को इसी स्थल पर मौजूद सामूहिक कब्रगाह में 27 अन्य लोगों के अवशेष भी मिले, जिनके पास भी ऐसे औजार दफन थे. वैज्ञानिक कैंडल हास के नेतृत्व में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, डेविस के रिसर्चरों की टीम ने इनकी जांच की. अब वे इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि उस काल में अमेरिका में बसे इस समुदाय के लोगों में 30 से 50 फीसदी शिकारी महिलाएं रही होंगी.

'साइंस एडवांसेज' नामक जर्नल में हाल ही में इस बारे में शोध पत्र प्रकाशित हुआ है. यह निष्कर्ष पहले से चली आ रही उस आम धारणा के बिल्कुल उलट है, जिसके हिसाब से माना जाता था कि उस समय समाज का ढांचा एक साफ 'हंटर-गैदरर सोसायटी' के रूप में गठित था. इसके हिसाब से हंटर यानि शिकारी मुख्य रूप से पुरुषों को माना जाता था, और 'गैदरर' मुख्य रूप से महिलाओं को. समाचार एजेंसी एएफपी से इस शोध के बारे में बताते हुए रिसर्चर हास ने कहा, "इससे हमें पता चलता है कि मानव इतिहास के प्रागैतिहासिक काल के कम के कम कुछ हिस्से में तो ऐसा जरूर हुआ था जब वह धारणा गलत साबित होती है."

हास का मानना है कि यह नतीजे हमारे आज के समाज में प्रचलित महिला-पुरुष के बीच के श्रम-विभाजन की असमानताओं को भी उजागर करते हैं. वह कहते हैं कि दोनों लिंगों के बीच आज तक चले आ रहे काम के बंटवारे और उसके अलावा जेंडर पे-गैप, औहदे और रैंक से जुड़े अंतरों का शायद "असल में कोई 'प्राकृतिक' आधार नहीं है."

Spanien Wikinger Festival in Catoira
वाइकिंग ट्राइब के जैसी वेशभूषा पहने वाइकिंग समारोह मनाती महिलाएं.तस्वीर: Reuters/M. Vidal

यह बेहद पुराने मानव अवशेष 2018 में बरामद हुए थे. पेरू की एक अहम आर्कियोलॉजिकल साइट के पठारी इलाके में मिले अवशेषों में शामिल दो शिकारियों की अस्थि संरचना और दांत की इनामेल परत में मौजूद पेप्टाइड्स की जांच से पता चला कि उनमें से एक 17 से 19 साल की महिला और दूसरा 25 से 30 साल का पुरुष रहा होगा. इस टीनएज महिला के अवशेषों के पास से ऐसे खास औजार मिले, जिससे साफ होता है कि वह बड़े जानवरों का शिकार करने वाली बहुत पहुंची हुई शिकारी रही होगी. इस किशोरी के पास "एटलाटल" नाम का एक ऐसा लीवर जैसा औजार था, जिससे भाले जैसे हथियार को बहुत दूर फेंका जा सकता है.

इस बात की पुष्टि करने के लिए कि कहीं यह किशोरी अपने समय की कोई अपवाद तो नहीं थी, रिसर्चरों ने पूरे अमेरिका में 107 स्थलों पर दफन मिले कम के कम 429 इंसानों के अवशेषों की जांच की. यह सारे मानव अवशेष आज से 4,000 से लेकर 17,000 साल तक पुराने थे. इनमें से ऐसे 27 मानवों के लिंग की पक्के तौर पर पुष्टि की जा सकी, जिनके पास शिकार के औजार मिले थे. इनमें से 16 पुरुष और 11 महिलाएं थीं. रिसर्च टीम ने अपने शोध पत्र में लिखा: "यह सैंपल इस नतीजे तक पहुंचने के लिए पर्याप्त है कि प्रारंभिक काल में बड़े शिकार अभियानों में महिलाओं की सहभागिता छोटी मोटी नहीं थी." इसे आधार बनाकर रिसर्चरों ने अनुमान लगाया है कि उस समाज में कुल शिकारियों में 30 से 50 फीसदी तक महिलाएं रही होंगी.

यह स्टडी एक बार फिर ध्यान दिलाती है कि आज दिखने वाली मान्यताएं और प्रचलित धारणाएंहमेशा से ऐसी नहीं रही होंगी. 2017 में भी महिला वाइकिंग योद्धाओं पर हुई एक बड़ी जेनेटिक स्टडी के इससे मिलते जुलते नतीजे आए थे. लेकिन कुछ सवाल अब भी बचते हैं- जैसे कि आधुनिक काल की हंटर-गैदरर सोसायटी में लिंग के आधार पर भेदभाव कहां से आया.

कुछ सिद्धांत इस ओर इशारा करते हैं कि बचपन और किशोरावस्था में महिलाएं शिकार में बेहद उच्च स्तरीय निपुणता हासिल कर लेती थीं, लेकिन यौन रूप से परिपक्व होने के बाद, इंसानी नस्ल को आगे बढ़ाने के लिए बच्चे पैदा करने और उन्हें पालने की जिम्मेदारी के चलते उन्हें अपना ज्यादा वक्त इन्हीं कामों में लगाना पड़ता था. इस नए शोध के मुख्य लेखक हास ने उम्मीद जताई है कि आगे रिसर्चर इस बारे में पता लगाएंगे कि क्या उस समय अमेरिका से बाहर विश्व के और हिस्सों में भी महिला शिकारी हुआ करती थीं.

आरपी/एके (एएफपी)

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