90 लाख लोगों की मौत का कारणः प्रदूषण
एक नए अध्ययन में पता चला है कि प्रदूषण के कारण दुनिया में हर साल 90 लाख जानें जा रही हैं. भारत सबसे ऊपर है, और अमेरिका टॉप 10 में है.
90,00,000 लाख लोगों का हत्यारा
नया अध्ययन बताता है कि हर साल 90 लाख लोग प्रदूषण के कारण मर रहे हैं. साल 2000 से अब तक कारों, फैक्ट्रियों और ट्रकों के कारण प्रदूषण 55 प्रतिशत बढ़ गया है.
भारत में सबसे ज्यादा मौतें
द लांसेट में छपे इस अध्ययन में बताया गया है कि भारत में प्रदूषण से सर्वाधिक 24 लाख लोग मारे गए. दूसरे नंबर पर चीन है, जहां 22 लाख लोगों की मौत का कारण प्रदूषण है.
घर के अंदर कम हुईं मौतें
हालांकि 2015 और 2019 में प्रदूषण के कारण हुई मौतों की संख्या लगभग बराबर है लेकिन इसकी वजह घरों के अंदर के प्रदूषकों से कम लोगों के मरने के कारण मौतों में हुई कमी है. जैसे कि स्टोव के कारण घर के अंदर की हवा जहरीली होने और मानव मल और जानवरों द्वारा प्रदूषित पानी के कारण मरने वाले लोगों की संख्या कम हुई है.
अमेरिका टॉप 10 में
जिन दस देशों में प्रदूषण के कारण सर्वाधिक मौतें होती हैं उनमें अमेरिका एकमात्र विकसित देश है. उसका सातवां नंबर है और 2019 में वहां 1,42,883 लोगों की मौत हुई. अमेरिका के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज और इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मीट्रिक्स ऐंड इवैल्युएशन ने यह अध्ययन किया है.
अफ्रीका में खतरा
जनसंख्या के अनुपात में यदि मौतों की संख्या को देखा जाए तो चाड और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक सबसे ऊपर हैं, जहां हर एक लाख लोगों पर 300 मौतें दर्ज हुईं. सबसे कम मौतें ब्रुनई, कतर और आइसलैंड (एक लाख की आबादी पर 15 से 23) में दर्ज की गईं.
धूम्रपान से भी खतरनाक
दुनियाभर में औसतन हर एक लाख लोगों पर 117 लोगों की जान प्रदूषण के कारण गई है. वैज्ञानिक कहते हैं कि प्रदूषण हर साल उतनी ही जानें ले रहा है जितना धूम्रपान और छद्म धूम्रपान यानी सेकंडहैंड स्मोकिंग मिलाकर ले रहे हैं.
सबसे घातक प्रदूषक
जो प्रदूषक सबसे ज्यादा जानें ले रहे हैं उनमें लेड (सीसा) सबसे खतरनाक माना गया है. पुराने पेंट, रीसाइकलिंग बैट्री और अन्य निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाली यह जहरीली धातु 9 लाख लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है. प्रदूषित पानी के कारण हर साल 14 लाख लोग मरते हैं.