1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

9 नवंबर की वो रात जो यहूदी पर कहर बन टूटी

महेश झा
९ नवम्बर २०२०

जर्मनी 82 साल पहले 1938 में नाजी जर्मनी में यहूदियों के खिलाफ हिंसा की रात की वर्षगांठ मना रहा है. इस मौके पर दुनिया भर में कई समारोहों का आयोजन किया गया है.

https://p.dw.com/p/3l4M1
Deutschland Novemberpogrome 1938
तस्वीर: United Archives International/imago images

जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने यहूदियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुई हिंसा पोग्रोम की वर्षगांठ के मौके पर जर्मनी में यहूदी विद्वेष के खिलाफ दृढ़ता से कार्रवाई करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि उनके लिए शर्म की बात है कि देश में किप्पा यानी छोटी गोल टोपी पहने यहूदी सड़कों पर सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं और यहूदी प्रार्थनागृहों को सुरक्षा देने की जरूरत है. उन्होंने इस्राएल के राष्ट्रपति रोएवेन रिवलिन को लिए एक पत्र में कहा है, "मेरे लिए शर्मनाक है कि एक साल पहले जोम किप्पुर के मौके पर हाले के सिनागोग पर हुआ घातक हमला सिर्फ लकड़ी के दरवाजे के कारण रोका जा सका." उनका वीडियो संदेश इस्राएल में इस मौके पर होने वाले एक समारोह में दिखाया गया.

1938 में पोग्रोमनाख्त के रूप में कुख्यात 9 नवंबर की रात नाजी समर्थकों ने पूरी जर्मनी में यहूदी सिनागोगों, यहूदी नागरिकों की दुकानों और घरों में आग लगा दी और यहूदियों से मारपीट की, उन्हें उठा ले गए और बहुतों की जान ले ली. जर्मन राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि नवंबर की वो रात सालों के भेदभाव, डराने धमकाने और दुश्मनी के बाद हिंसा का घृणित कांड था. वह नाजी जनसंहार की पूर्व घोषणा थी, जो मेरे देश के लोगों ने कुछ साल बाद किया. राष्ट्रपति ने कहा कि ये आज हमारे लिए बार बार आने वाली चेतावनी है.

Berlin Gedenken Pogromnacht 1938 Merkel in der Synagoge
दो साल पहले एक स्मृति समारोह में चांसलरतस्वीर: Getty Images/AFP/T. Schwarz

चांसलर अंगेला मैर्केल ने 9 नवंबर को हुई यहूदी विरोधी हिंसा को शर्मनाक की संज्ञा देते हुए कहा, "हम जर्मनी में शुरू हुए मानवता के खिलाफ अपराधों के शिकारों की याद शर्म के साथ कर रहे हैं." इस मौके पर देश के राजनीतिज्ञों ने इस घटना को नैतिक विफलता बताया है. एसपीडी नेता और जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास ने भी चेतावनी देते हुए कहा कि किसी को कंधे नहीं उचकाने चाहिए, यदि आज भी इंटरनेट में या सड़क पर यहूदी विरोधी नफरत और हिंसा की घटना होती है. संयुक्त राष्ट्र के एक समारोह के लिए भेजे गए संदेश में जर्मनी विदेश मंत्री ने कहा, "याद करने का मतलब होता है आज और कल के लिए, कल से सही सबक सीखना." उन्होंने कहा कि कोरोना से जुड़ी बहुत सारी साजिशी कहानियां दिखाती हैं कि यहूदीविरोध आज भी सिर्फ उग्रदक्षिणपंथ का मामला नहीं है, वह हमारे समाज के मध्य तक पहुंच चुका है.

जर्मनी में इवांजेलिक गिरजे के प्रमुख हाइनरिष बेडफोर्ड स्ट्रोम ने कहा, "ये साफ होना चाहिए कि यहूदीविरोध पाप है, और उस सब के खिलाफ है जो ईसाईयत का आधार है." अंतरराष्ट्रीय आउशवित्स समिति ने एक बयान में कहा है कि आज तक यहूदी जनसंहार में बचे लोगों के लिए इस भयावह रात में अपने पड़ोसियों की उदासीनता की यादें इतनी डरावनी हैं कि वे भुला नहीं पाए हैं. आउशवित्स में नाजियों ने यहूदियों के लिए यातना शिविर बना रखा था.

जर्मन सरकार में यहूदी विरोधी मामलों के आयुक्त फेलिक्स क्लाइन ने कहा कि उस समय की नाकामी, आम उदासीनता और चापलूसी से आज के लिए सबक सीखी जानी चाहिए. क्लाइन ने इस पर जोर दिया कि 82 साल पहले की उस रात की याद बहुत जरूरी है. वो तारीख स्पष्ट करती है कि देश उस समय नैतिक रूप से विफल हो गया था. उस अनुभव की वजह से ये जरूरी है कि आद भेदभाव और बहिष्कार से अलग तरह से पेश आया जाए.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore