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82 किलो खाना बर्बाद करता है हर जर्मन

१३ मार्च २०१२

जर्मनी में हर व्यक्ति एक साल में कम से कम 82 किलो खाना फेंक देता है. अब कोशिश की जा रही है कि लोगों के खाना फेंकने की आदत कम की जाए.

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कचरे में कानातस्वीर: picture-alliance/dpa

स्टुटगार्ट की यूनिवर्सिटी के अध्ययन में सामने आया है कि हर जर्मन साल में कम से कम 81.6 किलो खाना कचरे के डब्बे में डाल देता है. जर्मनी की उपभोक्ता मामलों की मंत्री इल्से आइग्नर डी वेल्ट में छपी इस रिपोर्ट पर कार्रवाई करेंगी. आइग्नर इस समस्या को कम करने के लिए दुकानों में खाने पीने की चीजों के इस्तेमाल किए जाने की समय सीमा के बारे में भी चर्चा करना चाहती हैं.

जर्मनी में खाने वाली हर चीज पर तारीख लिखी होती है जिसके बाद उसे नहीं खाया जा सकता. कई बार लोग ऐसा खाना खरीदते हैं जिस पर इस्तेमाल की तारीख दो दिन बाद की होती है. अगर इसे चार पांच दिन तक किसी वजह से नहीं खाया जा सके तो लोग इसे फेंक देते हैं. तो कुल मिला कर सिर्फ तारीख के कारण खाने की चीजें डस्टबिन के हवाले हो जाती हैं. हालांकि एक्सपायरी डेट के बाद भी दो तीन दिन तक वो चीजें खाई जा सकती हैं.

शोध करने वालों का कहना है कि फेंकी जाने वाली चीजों में दो तिहाई बचाई जा सकती हैं. जर्मनी में कुल मिला कर सालाना एक करोड़ दस लाख टन खाने की चीजें फिकती हैं. इनमें से 61 फीसदी घरेलू है. और 17 फीसदी होटलों, स्कूलों या कैंटीन से फेंका जाता है. और पांच फीसदी खाना छोटी दुकानों से फेंका जाता है.

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इल्से आइग्नर की अपीलतस्वीर: Reuters

आइग्नर ने बहुत बार कहा है कि इस मुद्दे पर कार्रवाई करने की जरूरत है. खाने की चीजें कीमती हैं और हर साल लाखों टन खाना फेंका जाना वहन नहीं किया जा सकता. .

होटलों, किसानों और उपभोक्ताओं के लिए काम करने वाले लोगों, चर्च को इस बारे में जागरूक करना चाहिए और उन्हें प्रेरित करना चाहिए कि वह फेंकने के खिलाफ कदम उठाएं.

जर्मनी की ग्रीन पार्टी ने आइग्नर से अपील की है कि इस मामले में राजनीतिकक सक्रियता की जरूरत है. स्कूलों, किंडरगार्टन में बच्चों को पोषण के बारे में और सिखाया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर भी बहस की जा रही है कि उत्पादन और वितरण का प्रबंधन ठीक से किया जाए और छोटे पैकेट बनाए जाएं.

रिपोर्टः डीपीए/आभा एम

संपादनः एन रंजन