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इतिहास

75 साल पहले जब पेरिस आजाद हुआ

१२ अगस्त २०१९

अगस्त 1944 में पेरिस की जनता जाग उठी थी, नेतृत्व विद्रोहियों के हाथ में था और समर्थन मजदूरों, महिलाओं यहां तक कि पादरियों ने भी दिया. 4 साल से काबिज नाजी शासन को उखाड़ने की कोशिश तेज हुई. 12 दिन में पेरिस आजाद हो गया.

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Frankreich, Paris: Befreiung 1944
तस्वीर: Getty Images/AFP

छह दिन तक सड़कों पर संघर्ष, अचानक हमले, हथियारबंद बैरिकेडिंग चली और फिर फ्रांस और अमेरिका के सैनिक भी इसमें साथ आ गए इसके साथ ही फ्रांस की जीत पक्की हो गई. 25 अगस्त को सिटी हॉल के बाहर जनरल चार्ल्स दे गॉल ने एलान किया, "पेरिस नाराज हुआ! पेरिस टूटा! पेरिस शहीद हुआ! लेकिन पेरिस मुक्त हुआ! खुद आजाद हुआ! अपने लोगों के हाथों आजाद हुआ!"

Frankreich, Paris: Befreiung 1944
तस्वीर: Getty Images/AFP

दसियों हजार अमेरिकी, ब्रिटिश और कनाडाई सैनिक नॉरमांडी के समुद्र तटों पर 6 जून को पहुंचे और नाजी सेना के खिलाफ निर्णायक युद्ध की शुरुआत हुई. कई हफ्तों तक नॉरमांडी में जूझने और नुकसान झेलने के बाद गठबंधन सेना आखिरकार पूरब की तरफ से आगे बढ़ने में कामयाब हुई और ऑर्लियांस और चार्ट्रेस पर कब्जा करते हुए 17 अगस्त को पेरिस के दक्षिणी हिस्से में पहुंच गई.

सेना की योजना बगैर राजधानी में घुसे सीधे जर्मन सीमा तक पहुंचने की थी क्योंकि इसमें शहर के युद्धक्षेत्र बनने का खतरा था. यह रास्ता मुश्किल और नुकसानदेह हो सकता था. अमेरिकी जनरल ओमर ब्रैडली ने अपने संस्मरण में लिखा है कि पेरिस, "हमारे नक्शे में एक काली स्याही के धब्बे से ज्यादा कुछ नहीं था जिसे छोड़ कर हमें राईन नदी की तरफ बढ़ना था."

Frankreich, Paris: Befreiung 1944
तस्वीर: Getty Images/Keystone

इस बीच पेरिस के लोग बेचैन थे. निर्वासन में रह रही गॉल के नेतृत्व वाली फ्रांसीसी सरकार ने उनसे धैर्य बनाए रखने को कहा लेकिन प्रतिरोध बढ़ कर कार्रवाई में तब्दील होने लगा. 18 अगस्त को फ्रांस फोर्सेज ऑफ द इंटीरियर (एफएफआई) के कम्युनिस्ट प्रमुख हेनरी रॉल टांगुए ने आम विद्रोह का आदेश दिया. इसके अगले ही दिन गॉल के नेतृत्व वाले गुट ने भी यही पुकार लगाई. यह देश में अराजकता भरे सप्ताह की शुरुआत थी.

19 अगस्त को ट्रेन और मेट्रो का सफर रुक गया. आम हड़ताल हो गई. करीब 3,000 हड़ताली पुलिसकर्मियों ने अपने मुख्यालय पर कब्जा कर वहां फ्रांस का झंडा फरहा दिया. उसके बाद के दिनों में हुए संघर्ष में करीब 170 पुलिसकर्मियों की जान गई. छोटे छोटे गुटों में लोगों ने जर्मन सैनिकों और उनकी गाड़ियों को निशाना बनाया. सड़कों पर खूनी संघर्ष होने लगा.

Frankreich, Paris: Befreiung 1944
तस्वीर: Getty Images/AFP

शहर में उस वक्त करीब 16,000 जर्मन सैनिक और 80 टैंक मौजूद थे. इन सबकी कमान जनरल डीट्रिश फॉन कॉल्तित्स के हाथ में थी जिन्हें सेंट्रल होटल मॉयरिस में घेर लिया गया था. स्वीडन के कॉन्सुल जनरल हाउल नॉर्डलिंग, कॉल्तीत्स को 45 मिनट के युद्धविराम के लिए मनाने में कामयाब हो गए. यह तारीख थी 19 अगस्त और इसके अगले दिन भी यही कहानी दोहराई गई. इसका फायदा विद्रोहियों को मिला और वे संगठित हो गए.

Champs Elysees Paris
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/P. Carroll

22 अगस्त से बैरिकेड हटाए जाने लगे, इन्हें जली हुई गाड़ियों, मेनहोल के ढक्कनों और यहां तक की पेरिस की कुख्यात यूरीनल से बनाया गया था. विद्रोहियों के नेता मॉरिस क्रीगल वालरिमों ने 2004 में समाचार एजेंसी एएफपी से कहा था, "36 घंटे में 600 या उससे ज्यादा थे. कुछ बैरीकेड तो सचमुच कमाल के थे, इन्हें कारीगरों ने बनाया था और ये इतने मजबूत थे  कि टैंक को भी रोक सकते थे. कुछ दूसरे तो बहुत आसानी से ढह गए लेकिन जर्मन यह नहीं जानते थे कि कौन कैसा है."

विद्रोहियों का नेतृत्व धीरे धीरे बढ़ने लगा और सिटी हॉल के पूरे इलाके में उनका कब्जा हो गया, इसके साथ ही उस इलाके में मौजूद असंगठित जर्मन कुछ इलाकों में एक तरह से कैद हो कर रह गए. एएफपी के एक रिपोर्टर ने कुख्यात खुफिया पुलिस गेस्टापो को "जल्दबाजी में फाइलों को ज लाते देख जो रास्ते पर धुएं का ढेर बन गए थे."

Frankreich, Paris: Befreiung 1944
एक दूसरे की मदद करते जर्मन सैनिकतस्वीर: Getty Images/Keystone

22 अगस्त को गठबंधन सेना के कमांडर अमेरिकी जनरल ड्वाइट डेविड आइसेनहॉवर को यह समझा लिया गया कि फ्रांसीसी सैनिकों को पेरिस जाने की जरूरत है. इसके अगले दिन फ्रेंच कमांडर जनरल फिलिप लुकेरे और उनकी सेकेंड आर्मर्ड डिविजन पेरिस के रास्ते पर निकल पड़ी. उसके पीछे अमेरिका का फोर्थ इंफ्रैंट्री डिविजन था. 24 अगस्त की शाम पहला फ्रेंच बख्तरबंद टैंक शहर में दाखिल हुआ और करीब 9 बजे सिटी हॉल पहुंच गया. पेरिस के लोग आश्चर्यमिश्रित खुशी से चीख पड़े, "फ्रेंच आ रहे हैं, वो यहां आ गए हैं."

अगली सुबह तक तीन और टुकड़ियां आ गई थीं जिनके अगल बगल फ्रांस के विद्रोही साइकल पर सवार हो कर चल रहे थे. सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर लेकलर्क ने आधिकारिक रूप से पेरिस में कदम रखा. 25 अगस्त को दोपहर तकत आइफिल टावर पर बीते 1500 दिनों से काबिज नाजी झंडे को उतार कर फ्रांस का झंडा लहरा दिया गया. जर्मन सैनिक थके हारे और सहमे हुए थे, वो अपने खुफिया जगहों से निकल कर सिर पर हाथ रखे जा रहे थे, उन्हें अपमानित किया गया और कई जगह उन पर हमले भी हुए.

Frankreich, Paris: Befreiung 1944
तस्वीर: Getty Images/Three Lions

मॉयरिस फॉन कॉल्तित्स ने नाजी शासन के उस आदेश को मानने से इनकार कर दिया था जिसमें राजधानी के स्मारकों और पुलों को उड़ाने की बात थी. कॉल्तित्स ने दोपहर ढाई बजे के बाद समर्पण कर दिया. फ्रांस के लिए ऑपरेशन की विशालता को देखते हुए नुकसान उतना बड़ा नहीं था. करीब 1000 विद्रोही, 600 आम लोग और 156 फ्रेंच सैनिकों की जान गई. जर्मनों के लिए यह तादाद करीब 3200 थी. दोपहर में ही दे गॉल भी पेरिस पहुंच गए और सिटी हॉल जा कर अपना मशहूर भाषण दिया.

Frankreich Befreiung von Paris 1944 | Kathedrale Notre-Dame de Paris | Charles de Gaulle
29 अगस्त 1944 को नोत्रे दाम कथीड्रल में चार्ल्स दे गॉलतस्वीर: picture-alliance/dpa/Consolidated US Army

26 अगस्त को उन्होंने मुक्ति सेना और लुकेरे के साथ शॉ एलिसी की तरफ जब मार्च किया तो लाखों लोग सड़कों पर खुशी से नारे लगा रहे थे.

यूरोप में दूसरे विश्व युद्ध की दास्तान यहीं खत्म नहीं होती. इसके बाद 9 महीने और लगे तब जा कर जर्मनी ने 1945 में अंतिम समर्पण किया.

एनआर/आरपी (एएफपी)

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