6 सुपरबग जिनका कोई तोड़ नहीं
एंटीबायोटिक दवाओं के बेधड़क इस्तेमाल के कारण आज हम इस हाल में आ गए हैं कि अब वे हम पर असर ही नहीं करतीं. ऐसे ड्रग रेसिस्टेंट सुपरबग के कारण दुनिया भर में लोगों की जान को खतरा है.
कैंडिडा ऑरिस
अमेरिका इस फंगस से परेशान है. एंटीफंगल दवाओं को कड़ी टक्कर दे रहा यह रोगाणु अब तक दुनिया के पांच प्रायद्वीपों में फैल चुका है. उन लोगों को इसका खतरा ज्यादा है जो पहले से ही बीमार हैं और इलाज या सर्जरी करवाने अस्पताल गए हों. इन्हें दूर करने के लिए कई बार पूरे के पूरे अस्पताल को बंद करवाना पड़ता है.
सूडोमोनास एरुगिनोसा
विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा बता चुका है. गीली या नम जगहों पर फलने फूलने वाले इस बैक्टीरिया से छुटकारा पाना बहुत कठिन है. जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर हो, उन्हीं को इसका संक्रमण होता है. स्वस्थ और मजबूत इम्युनिटी वाले लोगों को इसके संपर्क में आने पर कान और त्वचा का संक्रमण होता है.
नीसेरिया गोनोरिया
गोनोरिया का अब तक कोई टीका नहीं बना है, केवल एंटीबायोटिक्स का ही सहारा था. लेकिन यौन संक्रमण से होने वाली इस बीमारी पर एंटीबायोटिक दवाइयां तेजी से बेअसर होती जा रही हैं. 2018 में ऑस्ट्रेलिया से और 2019 की शुरुआत में ब्रिटेन से ऐसे दो-दो मामलों का पता चला है जिनमें ऐसे 'सुपर' गोनोरिया जिम्मेदार थे.
सालमोनेला
खाने की चीजों से फैलने वाला यह बैक्टीरिया शरीर में टाइफाइड बीमारी जैसे लक्षण दिखाता है. बीते कुछ दशकों में सालमोनेला की ऐसी किस्में बन गई हैं जिन पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं हो रहा और जो खाने और पानी के रास्ते बहुत तेजी से फैलती हैं.
एसिनेटोबैक्टर बाउमानी
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सबसे खतरनाक रोगाणुओं की सूची में रखा गया यह कीटाणु मिट्टी और पानी के रास्ते फैलता है. फेफड़ों, खून और किसी जख्म में यह जानलेवा किस्म का संक्रमण फैलाता है. इससे प्रभावित व्यक्ति को सीधे अस्पताल के आईसीयू (इंटेन्सिव केयर यूनिट) में भर्ती करना पड़ता है.
टीबी का जिद्दी बैक्टीरिया
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस दुनिया की सबसे संक्रामक बीमारी फैलाता है. हर साल इसके कारण होने वाली टीबी या तपेदिक से 17 लाख लोगों की जान चली जाती है. अनुमान है कि आजकल होने वाले 13 फीसदी तक संक्रमणों पर दवाओं का कोई असर नहीं होगा और उससे मरीज की बीमारी या मौत तय है. (चार्ली शील्ड/आरपी)