-55 डिग्री में काम काज
लगातार 105 दिन तक अंधकार और माइनस 55 डिग्री सेल्सियस की हड्डियां जमाने वाली ठंड. अंटार्कटिका में वैज्ञानिक ऐसे ही हालात में काम करते हैं.
जगह बदलने वाली लैब
यह दुनिया की पहली जगह बदलने वाली लैब है. इसका नाम है हैली सिक्स. इस विशाल ढांचे के भीतर अत्याधुनिक लैब और रहने का इंतजाम है. बड़े आकार के बावजूद लैब आराम से इधर उधर ले जायी जा सकती है.
दरार से खतरा
हैली सिक्स को हाल ही में काफी दूर ले जाना पड़ा. लैब के पास बर्फ में एक बड़ी दरार उभरने के बाद ऐसा किया गया. अनुमान है कि एक विशाल हिमखंड अलग होकर समुद्र में घुलने जा रहा है.
अंतरिक्ष पर नजर
अंटार्कटिक में तैनात हैली सिक्स कई तरह की जानकारियां जुटाती है. ब्रह्मांड में होने वाली मौसमीय हलचल, ओजोन परत की दशा, ध्रुवीय वातावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी अहम जानकारी यहीं से आती है.
अंटर्कटिक का टाउन हॉल
लाल बॉक्स सा दिखता ये ढांचा वैज्ञानिकों का मीटिंग पॉइंट सा है. गर्मियों में यहां 70 लोग तैनात रहते हैं, सर्दियों में सिर्फ 16.
बेस्ट नजारे वाली सीट
साल में 105 दिन ऐसे होते हैं जब यहां 24 घंटे अंधेरा रहता है. अंतहीन सी लगने वाली रात का नजारा गजब का होता है.
ट्रेन सी कनेक्टिंग
लैब आठ मॉड्यूल्स को मिलाकर बनाई गई है. हर हिस्से में हॉइड्रॉलिक पाये हैं, इन पायों में स्की जैसे पैड होते हैं. इन पैड्स के सहारे ढांचे बर्फ में फिसलते हुए एक जगह से दूसरी जगह ले जाए जाते हैं.
गलती की गुंजाइश नहीं
तस्वीरों में ठंड का अहसास नहीं होता. हैली सिक्स में काम करने वाले वैज्ञानिकों को -55 डिग्री सेल्सियस की ठंड का सामना करना पड़ता है. इतनी सर्दी में जिंदगी कुछ ही मिनट में जम जाती है. रिपोर्ट: ओएसजे/वीके