52 साल बाद चली भारत-बांग्लादेश मैत्री रेल
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना ने अपने भारत दौरे के दौरान नई दिल्ली से वीडियो लिंक के माध्यम से कोलकाता-खुलना पैंसेजर ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखायी.
फिलहाल परीक्षण के तौर पर चली मैत्री एक्सप्रेस-2 ट्रेन जुलाई से नियमित चलेगी. कभी अपने वतन रहे पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आधी सदी बाद आने वाली पहली ट्रेन का फोटो और वीडियो खींचते लोग.
इसे भारत-बांग्लादेश के बीच परिवहन व्यवस्था आसान बनाने की बड़ी पहल माना जा रहा है. भारतीय सीमा के पहले स्टेशन पेट्रापोल पर दूर-दराज के गावों से पहुंची महिलाओं, बच्चों और दूसरे लोगों ने घंटों इस ट्रेन का इंतजार किया.
खुलना (बांग्लादेश) से आने वाली पहली पैसेंजर ट्रेन ने जब सीमा पार भारत के पेट्रापोल स्टेशन पर प्रवेश किया तो वह अपने साथ पुरानी यादों की सौगात भी साथ लेकर आयी. पेट्रापोल पहुंचते ही स्थानीय लोगों ने हाथों में फूलों का गुच्छा लेकर और सिटी बजा कर ट्रेन का स्वागत किया.
ट्रेन को काफी सजाया गया था और इसके इंजन पर लगे बैनर में भारत-बांग्लादेश मित्रता का जिक्र करते हुए मोदी व हसीना के फोटो लगे थे. सीमा से सटे इलाके में कड़ी धूप की परवाह किए बिना आसपास के लोग घंटों पटरियों के पास खड़े रहे.
कोई 52 साल बाद इस लाइन पर पहली ट्रेन सीमा पार से यहां आई थी. वैसे, आजादी से पहले ही इस रूट पर ट्रेन चलती थी. लेकिन वर्ष 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान इसे बंद कर दिया गया था. उसके बाद यह लाइन अब ब्रॉड गेज हो गई है.
इस लाइन पर आखिरी ट्रेन कोयले के इंजन से आई थी. जबकि अबकी इसमें डीजल इंजन लगा था. मैत्री एक्सप्रेस-2 कही जाने वाली इस ट्रेन की भीतरी साज-सज्जा भी भारत की दूसरी मैत्री एक्सप्रेस रेल जैसी ही है.
इस पहली ट्रेन में बांग्लादेश से एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल आया है. भारत पहुंचे बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का पेट्रापोल रेलवे स्टेशन पर स्वागत करते पूर्वी रेलवे के अधिकारी.