50 रुपये जुर्माने वाला भारतीय कानून
भारत में जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने के लिए बने कानून के प्रावधानों को और कड़ा बनाने की मांग उठ रही है. जानिए कितना पुराना है ये कानून और क्या कमियां हैं इसमें.
60 साल पुराना कानून
जानवरों के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम 1960 में बना था. तब से अभी तक इसके दंड संबंधी प्रावधानों में कोई संशोधन नहीं किया गया है.
बढ़ती क्रूरता
जानवरों के प्रति क्रूरता के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई एक याचिका के अनुसार सिर्फ 2012 से 2015 के बीच देश में 24,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. बड़ी संख्या में मामले दर्ज ही नहीं होते.
50 रुपये जुर्माना
1960 के इस इस कानून के तहत पहली बार जानवरों के प्रति क्रूरता के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के लिए न्यूनतम 10 रुपये से लेकर अधिकतम 50 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.
तीन महीने की जेल
अगर व्यक्ति पहले अपराध के तीन साल के अंदर फिर से क्रूरता का दोषी पाया जाता है तो उसके लिए न्यूनतम 25 रुपये और अधिकतम 100 रुपये जुर्माने का प्रावधान है. बार बार अपराध के दोषी पाए जाने पर तीन महीने तक की जेल भी हो सकती है.
संशोधन लंबित
पशु कल्याण बोर्ड 2011 में एक पशु कल्याण अधिनियम लेकर आया था, जिसमें पशुओं के प्रति क्रूरता कीे रोकथाम के लिए कड़े प्रावधान लाए गए थे. 2014 में बोर्ड एक और नया मसौदा लेकर आया, लेकिन ये संसद से अभी तक पारित नहीं हुआ है.
राज्यों में कानून
2017 में महाराष्ट्र और कर्नाटक ने सिर्फ जल्लिकट्ट कराने के लिए और उससे संबंधित अपराध रोकने के लिए 1960 के कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन किए. लेकिन इनमें और किसी भी मामले में सजा के प्रावधानों को और कड़ा नहीं किया गया.
दुनिया में सबसे पीछे
पशु संरक्षण सूचकांक 2020 में भारत को सबसे नीचे की श्रेणी वाले देशों में "सी" दर्जा मिला हुआ है. यह सूचकांक 20 देशों को उनके पशु कल्याण कानून और नीतियों के अनुसार रैंक करता है.
50 रुपए जुर्माना
1960 के इस इस कानून के तहत पहली बार जानवरों के प्रति क्रूरता के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के लिए न्यूनतम 10 रुपए से लेकर अधिकतम 50 रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है.
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