5 साल से कम बच्चों की मौतें भारत में सबसे ज्यादा
१३ नवम्बर २०१०द लांसेट जर्नल के मुताबिक निमोनिया, दस्त, पैदा होने पर कम वजन, समय से जल्दी पैदा होना और शुरुआती बीमारियों की वजह से इन बच्चों की मौत होती है. भारत के रजिस्ट्रार जनरल के मुताबिक अगर मां की देखभाल ठीक से हो तो इनमें से कई बीमारियां नहीं होंगी. मां की देखभाल, दस्त और निमोनिया के सही इलाज और नए वैक्सीनों के जरिए इन बीमारियों को दूर रखा जा सकता है.
2005 में भारत में पांच साल से कम उम्र के दो लाख 35 हजार बच्चों की मौत हुई थी. यह विश्वभर के आंकड़ो का 20 प्रतिशत है. इनमें से 62 प्रतिशत बच्चे इन आम बीमारियों का शिकार बने थे. रिपोर्ट के लिए जनमत सर्वेक्षण में 24,841 बच्चों की मौत के कारणों को जांचा गया.
उनके परिवारों से सवाल पूछे गए जिससे उनकी मौत के कारणों के सही वजहों का पता लग सकता. सर्वे के मुताबिक एक से लेकर 59 महीनों के बच्चों में से लड़कों के मुकाबले 36 प्रतिशत ज्यादा लड़कियों की मौत हुई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य भारत में दक्षिण भारत के मुकाबले पांच गुना ज्यादा लड़कों की मौत निमोनिया से हुई. लड़कियों की मौत ज्यादा हुई क्योंकि स्वास्थ्य केंद्रों में लड़कियों से ज्यादा लड़कों को ले जाया गया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि घर पर ले जाकर वैक्सीन देने वाले मामलों में लड़कियों की मौत कम हुई. इसलिए सुझाव के तौर पर कहा गया है कि नियोमनिया और दस्त जैसी बीमारियों में वैक्सीन सीधे घर पर भेजे जाने चाहिएं.
रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी
संपादनः एस गौड़