47 दिन बाद मिला लापता ताइवानी ट्रैकर
२७ अप्रैल २०१७नेपाल के धालिंग जिले के ग्रामीणों की नजर लापता ट्रैकर पर पड़ी. उन्होंने अधिकारियों को इसकी सूचना दी. इसके बाद हेलिकॉप्टर के जरिये राहत टीम वहां पहुंची. लापता ताइवानी छात्र एक गहरी खाई में मिले. लियु अपनी 19 साल की गर्लफ्रेंड के शव के पास बैठा था. लियु के मुताबिक तीन दिन पहले उसकी प्रेमिका ने दम तोड़ा. राहत अभियान में शामिल माधव बसन्यत के मुताबिक, "हमारी आवाज सुनकर वह जागा. उसे जिंदा पाकर हम हैरान थे."
ताइवान की मेडिकल यूनिवर्सिटी के दोनों छात्र 47 दिन पहले भटक गए. उन्हें लगा कि वो नदी के किनारे पैदल चलकर किसी न किसी गांव तक पहुंच जाएंगे. नदी तक पहुंचने के लिए दोनों गहरी घाटी में उतरे. इसके बाद वे कई दिन तक नदी के किनारे पैदल चलते रहे. इस दौरान उनका खाना भी खत्म हो गया. बहुत लंबा फासला तय करने के बाद एक बड़ा झरना आया. झरने से पार पाने का कोई उपाय नहीं था. वापस पहाड़ चढ़ने में भी वे नाकाम रहे. इस तरह दोनों वहीं फंसे रह गए.
लियु का इलाज अब राजधानी काठमाडूं के अस्पताल में चल रहा है. लियु के मुताबिक पहाड़ों में बहुत ही ज्यादा ठंड थी. इस दौरान दोनों ठीक से सो भी नहीं सके. सात हफ्ते के भीतर लियु का वजन 30 किलोग्राम गिर गया. लियु का इलाज कर रहे डॉक्टर संजय कार्की कहते हैं, "जब उसे यहां लाया गया तब उस पर कीड़े पड़ चुके थे और वह भुखमरी की हालत में था."
लियु अपनी गर्लफ्रेंड के साथ पहले भारत आया. भारत घूमने के बाद दोनों फरवरी में ट्रैकिंग के लिए नेपाल गए. एक ट्रैकिंग वेबसाइट के मुताबिक दोनों को ट्रैकिंग का अच्छा अनुभव था. वे लापता होने पर इस्तेमाल की जाने वाली मिसिंग लैंग्वेज भी जानते थे.
ताइवान में दोनों छात्रों के घरवालों को जब गुमशुदगी की खबर मिली तो लियु के पिता नेपाल पहुंच गए. उन्होंने खोज अभियान के लिए एक हेलिकॉप्टर किराये पर लिया.
बर्फ से धवल हिमालय की चोटियां हर साल दुनिया भर के सैलानियों को अपनी ओर बुलाती है. नेपाल ट्रैकिंग के लिए काफी मशहूर है. हर साल 1,50,000 ट्रैकर अन्नपूर्णा और एवरेस्ट के इलाके में ट्रैकिंग के लिए जाते हैं.
(मौत के मुंह से लौटे लोग)
ओएसजे/एके (एएफपी)