40 लोगों की जान बचाने वाली लड़की के समर्थन में जुटे जर्मन
१ जुलाई २०१९जर्मनी की 31 साल की करोला राकेटे जेल में हैं. वजह है समुद्र में उन्होंने 40 आप्रवासियों की जान बचाई जो इटली में घुसने की कोशिश कर रहे थे. जान बचाने की कोशिश में उनका सामना इटली की पुलिस से हुआ. पुलिस ने करोला पर पुलिसकर्मियों की जान को खतरे में डालने का मुकदमा दर्ज किया है. करोला की गिरफ्तारी के बाद जर्मनी और इटली के बीच बहस छिड़ गई है.
करोला के ऊपर 50 हजार यूरो का जुर्माना लगाए जाने के आसार हैं. इसके लिए उनके नाम पर जर्मनी में चंदा इकट्ठा किया जा रहा है. कुल मिलाकर अब तक 12 लाख यूरो यानि करीब 10 करोड़ रुपये का चंदा करोला की मदद के लिए जमा किया जा चुका है. करोला ने लीबिया के तट से 53 आप्रवासियों की जान बचाई थी. 13 लोगों को खराब स्वास्थ्य के आधार पर इटली ने अपने देश में आने की इजाजत दे दी लेकिन बाकी लोगों की जान बचाने के लिए करोला दो हफ्ते तक पानी में रही.
क्या है पूरा मामला
इटली ने समुद्र के रास्ते शरणार्थियों के अपने देश में आने पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऐसे में बहुत सारे शरणार्थी इटली की जलसीमा वाले समुद्र में फंसे हुए हैं. जर्मनी के एक एनजीओ के लिए काम कर रहीं करोला जहाज चलाना जानती हैं. वो एनजीओ का जहाज लेकर अफ्रीकी शरणार्थियों के समूह को बचाने पहुंची. इसी कोशिश में करीब दो हफ्ते पानी में रहने के बाद वो इटली की जलसीमा में प्रवेश कर गईं. उनके जहाज को रोकने के लिए इटली की पुलिस ने जहाज का पीछा किया लेकिन करोला जहाज को लेकर आगे बढ़ती रहीं. पुलिस के मुताबिक करोला ने जानबूझकर पुलिस की गश्ती नाव को टक्कर मारने की कोशिश की. इसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया. वो इटली के लाम्पेदूसा पोर्ट पर बिना इजाजत के पहुंच गई थीं.
हालांकि करोला के वकील का कहना है कि उन्होंने पुलिस की नाव को देखते ही जहाज का इंजन बंद कर दिया. जिससे उनका जहाज सी वॉच 3 पुलिस की गश्ती नाव से नहीं टकराया. जहाज और नाव के बीच दूरी काफी कम रह गई थी. करोला के ऊपर मानव तस्करों की मदद करने के आरोप के तहत भी जांच चल रही है.
इस मामले के सामने आने के बाद इटली, फ्रांस और जर्मनी के बीच में तनाव की स्थिति बनी है. इटली की सत्ताधारी दक्षिणपंथी दा लीगा पार्टी के नेता साल्विनी ने आप्रवासियों के लिए इटली के रास्तों को बंद करने का फैसला किया है. उन्होंने दूसरे यूरोपीय देशों पर समुद्री रास्ते से आ रहे लोगों से निपटने में इटली को अकेला छोड़ देने का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने करोला के काम को एक आपराधिक कृत्य और एक्ट ऑफ वॉर बताया.
साल्विनी ने कहा कि वो जर्मनी के राष्ट्रपति से अपील करते हैं कि वो अपने देश के मामलों की चिंता करें. साथ ही अगर संभव हो तो अपने नागरिकों से कहें कि वो इटली में आकर नियमों का उल्लंघन ना करें. जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर स्टाइनमायर ने कहा था कि लोगों की जान बचाने वाले किसी व्यक्ति को अपराधी नहीं माना जा सकता है.
करोला के वकील का कहना है कि करोला को इस बात का बहुत दुख है कि उनकी वजह से पुलिसकर्मियों के लिए खतरनाक स्थिति बनी. वो इसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं. करोला को लग रहा था कि वो सब सावधानीपूर्वक कर रही हैं और बहुत आराम से आगे बढ़ रही हैं.
"राजनीतिक ब्लैकमेल"
ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ की बैठक में भाग लेने आए इटली के प्रधानमंत्री गिसेप्पे कॉन्टे ने करोला पर राजनीतिक ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया. चांसलर अंगेला मैर्केल से भेंट से पहले उन्होंने कहा कि वो इस मुद्दे पर बात नहीं करेंगे. हालांकि कॉन्टे ने कहा कि वो मैर्केल से ये चर्चा कर सकते हैं कि 2007 में तूरिन प्लांट में लगी आग में मारे गए सात कर्मचारियों के लिए थिसेनक्रुप के दोषी अधिकारियों को सुनाई सजा पर जर्मनी ने क्या अमल किया.
जर्मनी के अलावा इटली और फ्रांस के बीच भी तनाव बढ़ गया है. इस विवाद में फ्रांस द्वारा इटली की आलोचना किए जाने के बाद साल्विनी ने बचाव कर रहे दो जहाजों को फ्रांस के पोर्ट पर जाने के लिए कहा है. स्पेन के एक एनजीओ की नाव ने 40 लोगों को बचाया था और वो लांपेदूजा की तरफ जा रही थी.
साल्विनी ने कहा कि वो फिर से आप्रवासियों के ऊपर खर्च करना नहीं चाहते हैं. फ्रांस कह रहा है तो इन लोगों को पता होना चाहिए वो मार्से या कोर्सिका जा सकते हैं.
तो मैं अब तक मर चुका होता
करोला का जहाज जब्त कर लिया गया है और इस पर 50 हजार यूरो यानि लगभग 40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. गृह मंत्रालय का कहना है कि सी वॉच एनजीओ के जहाज सी वॉच 3 पर आए 41 प्रवासियों को खाना खिलाया गया. उन्हें आराम से रात बिताने दी गई. इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि बिना अनुमति के फिर एनजीओ को डॉक करने की जरूरत क्यों पड़ी.
सीवॉच की प्रवक्ता जॉर्जिया लिनार्डी ने कहा कि करोला को लगा कि वो अब जहाज पर आप्रवासियों को ज्यादा देर नहीं रोक सकती थीं. उन्होंने आत्महत्या कर लेने की धमकी भी दी थी. इस वजह से क्रू उन पर लगातार नजर रख रहा था. उस जहाज पर सवार रहे 21 वर्षीय आप्रवासी इसाक का कहना है कि वो सीवॉच के शु्क्रगुजार हैं. अगर वो नहीं होते तो मैं अब तक मर चुका होता. एक जज के पास 48 घंटे हैं ये तय करने के लिए कि करोला को जेल होगी या वो बाहर आ सकेंगी.