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30 वर्षों में कितना बदल गईं अंगेला मैर्केल

एलिजाबेथ ग्रेनियर
२६ नवम्बर २०२१

हेरलिंडे कोएलब्ल की तस्वीरों की सीरीज वाली एक किताब प्रकाशित हुई है. इसमें दिखाया गया है कि जर्मनी की पहली महिला चांसलर मैर्केल पिछले 30 वर्षों में कितना बदल गईं.

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Fotos Herlinde Koelbl  | Bundeskanzlerin Angela Merkel
तस्वीर: Herlinde Koelbl

हेरलिंडे कोएलब्ल ने 30 साल पहले 1991 में जब अंगेला मैर्केल की पहली तस्वीर ली थी, तो मैर्केल के बाल छोटे थे. बिल्कुल सुलझे हुए. उन्होंने बंद गले के स्वेटर के ऊपर आरामदायक दिखने वाला कार्डिगन पहना हुआ था.

कोएलब्ल 30 साल पहले खींची गई उस तस्वीर को याद करते हुए कहती हैं, "मैर्केल थोड़ी सी घबराई हुई दिख रही थीं. थोड़ी शर्मीली भी. कैमरे के नीचे की ओर देखती थीं. उन्हें यह नहीं पता चल रहा था कि हाथों को किस तरह से रखना चाहिए लेकिन अब वह पूरी तरह बदल गई हैं."

अंगेला मैर्केल का जन्म 17 जुलाई 1954 को हैम्बर्ग में हुआ. इसके बाद उनका परिवार पूर्वी जर्मनी में रहने चला गया. उन्होंने 1973 में हाई स्कूल पास किया. फिर लाइपजिग में फिजिक्स की पढ़ाई की और 1986 में डॉक्टरेट की हासिल की. बर्लिन की दीवार गिरने के कुछ समय बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और पूर्वी जर्मनी के अंतिम प्रधानमंत्री लोथार डे माएत्सिएरे की उप-प्रवक्ता बन गईं.

दिसंबर 1990 के आम चुनाव में वह सीडीयू पार्टी के टिकट पर चुनकर संसद पहुंचीं. 1991 के तत्कालीन चांसलर हेल्मेट कोल ने उन्हें महिला और युवा मामलों की संघीय मंत्री बनाया. 1994 से 1998 तक उन्होंने संघीय पर्यावरण मंत्री के तौर पर काम किया.

1998 में वह संघीय चुनावों में सीडीयू की हार के बाद पार्टी की महासचिव बनीं. दो साल बाद वह पार्टी की प्रमुख चुनी गईं. 2005 में उन्होंने चांसलर पद के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीतीं. इस जीत ने उन्हें 51 साल की उम्र में जर्मनी की सबसे कम उम्र का चांसलर बना दिया. वह इस पद पर 16 साल तक वर्ष 2021 तक बनी रहीं.

ट्रेस ऑफ पावर

कोएलब्ल ने "ट्रेस ऑफ पावर" नाम के एक प्रोजेक्ट के लिए मैर्केल की तस्वीरों की सीरीज शुरू की. इसके लिए, वह 1991 से 1998 तक हर साल सत्ता में मौजूद 15 लोगों से मिलीं. उनकी तस्वीरें और इंटरव्यू लिए.

इसी सीरीज में गेरहार्ड श्रोएडर भी शामिल हैं जो 1998 में जर्मनी के चांसलर बने. साथ ही ग्रीन पार्टी के योशका फिशर भी शामिल हैं जो श्रोएडर के कार्यकाल में विदेश मंत्री रहे.

छोटे से अंतराल के बाद फोटोग्राफर ने मैर्केल के साथ मौजूदा चांसलर से भी हर साल मिलना, उनकी तस्वीरें और इंटरव्यू लेना जारी रखा. तस्वीरों की यह सीरीज ताशेन के द्वारा किताब के तौर पर 15 नवंबर को प्रकाशित की गई. इसका नाम है मैर्केल: पोर्ट्रेट 1991-2021.

कोएलब्ल ने सभी तस्वीरें सफेद दीवार के सामने ली हैं. वह किताब की प्रस्तावना में लिखती हैं, "ऐसा इसलिए किया गया ताकि लंबे समय बाद भी तस्वीरों में फर्क नजर आ सके." वह जिनकी भी तस्वीर लेती थीं उनसे सिर्फ यही कहती थीं, ‘मेरी ओर देखो यानी कैमरे की तरफ.'

कोएलब्ल के मुताबिक, शुरुआती आठ वर्षों में मैर्केल की शारीरिक भाषा में ‘तेजी से बदलाव' हुआ. पिछले हफ्ते बर्लिन की ब्रांडेनबुर्ग एकेडमी ऑफ साइंस ऐंड ह्यूमैनिटीज में आयोजित एक चर्चा के दौरान फोटोग्राफर ने बताया कि कैमरे को लेकर मैर्केल का नजरिया अपने पुरुष सहयोगियों से बिल्कुल अलग था. उन्होंने कभी भी खुद को कैमरे के सामने ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने की कोशिश नहीं की.

कोएलब्ल कहती हैं "मैर्केल कभी भी फोटो खींचने वालों पर नाराज नहीं हुईं बल्कि यह स्वीकार किया कि फोटो खिंचवाना उनके काम का हिस्सा है.

फोटोग्राफर के अनुसार, मैर्केल के साथ उनके सहयोग का एक और उल्लेखनीय पहलू यह है कि उन्होंने कभी भी तस्वीर लेने और तस्वीरों के चयन में कोई हस्तक्षेप नहीं किया. वहीं, सत्ता में मौजूद दूसरे लोगों के साथ कोएलब्ल का अनुभव इससे बिल्कुल अलग रहा है.

केक बनाने से विरोधियों को जवाब देने तक

फोटोग्राफर ने 1990 के दशक में मैर्केल के साथ इंटरव्यू की एक सीरीज की. इस इंटरव्यू में मैर्केल ने अपनी निजी जिंदगी के साथ-साथ बचपन और राजनीतिक दृष्टिकोण पर भी बात की. अपनी महत्वकांक्षा को लेकर 1991 में ही मैर्केल ने जो जवाब दिया था वह उनकी पूरी जिंदगी के सारांश की तरह लगता है.

उन्होंने कहा था, "अगर आप महत्वकांक्षी नहीं हैं, तो अपनी जिंदगी में बेहतर तरीके से काम नहीं कर सकती हैं. हालांकि, मैं यह नहीं कह सकती कि किसी काम के लिए उत्साह और महत्वकांक्षा के बीच का अंतर कहां से शुरू होता है. मेरे मामले में महत्वकांक्षा की थोड़ी आवश्यकता थी. मेरी महत्वकांक्षा अपने सभी कामों को तर्कसंगत तरीके से निपटाने की थी. अब यह महत्वकांक्षा तेजी से बढ़ गई है जो मेरे लिए चिंता का विषय है."

उनके कुछ जवाब ऐसे हैं जो यह साफ तौर पर दिखाते हैं कि उनमें अपने पुरुष सहयोगियों को हराने की प्रबल इच्छा थी. उदाहरण के लिए 1996 में वह गेरहार्ड श्रोएडर के साथ हुई बातचीत के बारे में बताती हैं. वह कहती हैं, "मैंने उनसे कहा कि एक दिन मैं आपको सत्ता से बाहर कर दूंगी. अभी इसमें थोड़ा समय लगेगा, लेकिन वह वक्त भी जल्द ही आएगा. मैं आगे बढ़ रही हूं."

इस एक साल में उन्होंने राजनेता के तौर पर जो कुछ सीखा उसके बारे में बताते हुए 1997 में कहती हैं कि उन्होंने "पोकर गेम में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. पहले मैं लोगों पर ज्यादा भरोसा करती थी और उन्हें अपनी योजनाओं के बारे में बताती थी, लेकिन अनुभव आपको स्मार्ट बनाता है."

मैर्केल की राजनीतिक आकांक्षाओं के बारे में ज्यादा जानने की जगह कोएलब्ल के सवाल दूसरे पत्रकारों से अलग होते थे. वह नियमित तौर पर यह देखती थीं कि क्या मैर्केल आराम करती हैं और अपने साथी के लिए समय निकालती हैं?

महिला और युवा मामलों की मंत्री बनने के बाद मैर्केल ने इंटरव्यू में बताया कि अब उनके पास प्लम केक बनाने का भी समय नहीं है. जबकि, 1991 में उन्होंने बताया था कि वह अक्सर प्लम केक बनाती हैं.

स्थिरता और परिवर्तन का चेहरा

यह किताब पूर्वी जर्मनी के प्रोटेस्टेंट पादरी की बेटी मैर्केल की कहानी को दोहराती है जिसने अपनी जिंदगी के शुरुआती साल एक बंद समाज में गुजारे और इसके बाद वह लोकतांत्रिक और आजाद देश की पहली महिला चांसलर बनीं.

बर्लिन की दीवार गिरने के बाद मैर्केल ने राजनीति में प्रवेश किया. हेल्मुट कोल के समर्थन ने उन्हें राजनीतिक सुर्खियां दीं. कोल ने एकीकृत जर्मनी में मंत्री के रूप में अपनी शुरुआत की थी. इस समय कोल को जीडीआर के राजनेताओं की सख्त जरूरत थी. मैर्केल ने उस भूमिका को बखूबी निभाया. साथ ही, यह भी साबित किया कि वह सिर्फ ‘पूर्वी जर्मनी की महिला राजनेता' का कोटा पूरा नहीं करेंगी बल्कि वे इससे आगे बढ़ने में सक्षम हैं.

इतिहासकार पॉल नोल्टे ने कोएलब्ल की किताब ‘मैर्केल पोर्ट्रेट' पर चर्चा में कहा कि ‘उनकी नजरों, आखों, और शारीरिक भाषा में परिवर्तन के बीच स्थिरता' मैर्केल के संपूर्ण राजनीतिक करियर को दिखाता है. जर्मनी के फिर से एक होने के बाद हुए बदलावों और उथल-पुथल का सामना करते हुए, उन्होंने हमेशा राजनीतिक स्थिरता और निरंतरता बनाए रखने की कोशिश की.