दस साल बाद अमेरिका ने पाक पर डाला दबाव
२६ नवम्बर २०१८भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में 26 नवंबर 2008 को सिलसिलेवार तरीके से कई जगहों को निशाना बनाया गया था. इस दौरान कुल 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हुए थे. मारे गए लोगों में छह अमेरिकी भी शामिल थे. हिंसा का यह तांडव तीन दिन तक चलता रहा, जिसे पाकिस्तान से आए चरमपंथियों ने अंजाम दिया था.
हमले की दसवीं बरसी से एक दिन पहले अमेरिका ने इस मुद्दे को लेकर फिर पाकिस्तान पर दबाव बनाया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉमपेयो ने कहा, "इस हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए अपमान वाली बात यह है कि दस साल बाद भी उन लोगों को दोषी करार नहीं दिया गया है जिन्होंने मुंबई हमले की साजिश रची."
अमेरिकी विदेश मंत्री ने अपने बयान में कहा, "हम सभी देशों से, और खास कर पाकिस्तान से कहते हैं कि वे इस तरह के हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्रतिबंधों को लागू करने के बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करें." उन्होंने खास तौर से लश्कर ए तैयबा और उससे जुड़े संगठनों का नाम लिया.
पॉमपेयो ने कहा, "हम पीड़ितों के परिवार और दोस्तों के साथ खड़े हुए हैं जिन्होंने इस बर्बर कार्रवाई में अपने प्रियजनों को खोया है. इनमें छह अमेरिकी भी शामिल थे."
इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के रिवॉर्ड फॉर जस्टिस कार्यक्रम के तहत उन लोगों को पचास लाख डॉलर का इनाम देने का एलान किया गया है जो मुंबई हमलों की साजिश रचने वालों और इससे जुड़े लोगों को पकड़वाने में मदद करेंगे.
अमेरिका की तरफ से घोषित यह इस तरह का तीसरा इनाम है. इससे पहले अमेरिका लश्कर ए तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के सिर पर एक करोड़ डॉ़लर और इस गुट के एक अन्य नेता हाफिज अब्दुल रहमान मक्की को पकड़वाने के लिए बीस लाख डॉलर के इनाम की घोषणा कर चुका है.
हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र ने भी आतंकवादी घोषित कर रखा है. हालांकि वह मुंबई हमले में अपनी भूमिका से इनकार करता है. अब वह खुद को एक राहत संस्था जमात उद दावा का प्रमुख बताता है जिससे जुड़ी एक सियासी पार्टी ने पाकिस्तान में हुए पिछले आम चुनावों में हिस्सा भी लिया था. हालांकि वह कोई सीट नहीं जीत पाई, लेकिन राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर उसे मिले वोटों की संख्या 4.35 लाख से ज्यादा थी.
एके/आरपी (एएफपी)