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26 करोड़ डॉलर देकर मुकदमे से बची अमेरिकी दवा कंपनियां

२३ अक्टूबर २०१९

अमेरिका की तीन बड़ी दवा वितरण कंपनियां और एक प्रमुख दवा कंपनी 26 करोड़ डॉलर की रकम देकर समझौता करने के लिए राजी हुई हैं. ओहायो राज्य में हजारों लोगों की जान जाने के बाद इन कंपनियों पर मुकदमा चलाने की तैयारी थी.

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तस्वीर: picture alliance/Chicago Tribune/Jose M. Osorio

अमेरिका में पिछले दो दशकों में ओपियोड की वजह से करीब 40 हजार लोगों की जान जाने का आरोप है. ओपियोड ऐसी दर्दनिवारक दवाएं हैं जिनमें हेरोईन जैसी नशीली चीजें होती हैं और इन्हें डॉक्टर के पर्चे पर बेचा जाता है. ओक्सिकोडोन, हाइड्रोकोडोन, कोडाइन, मॉर्फीन इसी तरह की दवाएं हैं. दवा कंपनियों ने इन दवाओं का खूब प्रचार किया और इसके नुकसानों के बारे में लोगों को जानकारी नहीं दी. इसका नतीजा हुआ कि बहुत से बच्चे और बड़े इन दवाओं के आदी हो गए और बाद में कभी ओवरडोज तो कभी दूसरी समस्याओं के कारण उनकी मौत हो गई. बाद में जब दवाओं के बारे में जानकारी बाहर आई तो लोगों ने एक एक कर मुकदमे दायर करने शुरु किए. ऐसे हजारों मुकदमे पूरे अमेरिका में दायर किए गए हैं. ओहायो की एक संघीय अदालत के जज चाहते थे कि मुकदमा शुरू होने से पहले ही दवा कंपनियां गलती मान कर जुर्माना भर दें.

क्लीवलैंड की कुयाहोगा काउंटी और एक्रोन की सम्मिट काउंटी वाले इस मुकदमे को एक कठिन परीक्षा माना जा रहा था. समझौता सोमवार आधी रात को हुआ. इसके कुछ ही घंटों बाद एक जूरी को क्लीवलैंड की संघीय अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू करनी थी. कुयाहोगा काउंटी के वकील हुंटर श्कोल्निक ने बताया कि दवा वितरण कंपनियां एमरिसोर्सबेर्गन, कार्डिनल हेल्थ और मैकेसॉन संयुक्त रुप से 21.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का भुगतान करेंगी. इसके अलावा इस्रायल की दवा बनाने वाली कंपनी टेवा 2 करोड़ डॉलर नगद देगी. इसके साथ ही 2.5 करोड़ डॉलर की जेनरिक दवा सुबोक्सोन मुहैया कराएगी. यह दवा ओपिओड के आदी लोगों के इलाज में इस्तेमाल होती है. समझौते के मुताबिक इसके बदले में आरोपियों को कोई गलती स्वीकार करने की बाध्यता नहीं होगी.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Hill

अमेरिका में उस भयानक हादसे से जुड़ी दवा कंपनियों के सामने 2600 से ज्यादा दूसरे मुकदमे अब भी हैं. इन मुकदमों से जुड़े लोगों का कहना है कि ओहायो के समझौते के बाद उन्हें देश भर के सभी दावों को निपटाने के लिए वक्त मिल गया है. अब इस तरह के समझौते करने के लिए दबाव भी बढ़ सकता है क्योंकि हर अधूरा समझौता होने के बाद दूसरे वादियों को देने के लिए कंपनियों के पास मौजूद पैसे को कम करता जाएगा.

दवा बनाने वाली कंपनियों, सप्लायरों और इन्हें बेचने वालों के खिलाफ राज्य और स्थानीय सरकारों, अमेरिका की मूल जनजातियों, अस्पतालों और दूसरे लोगों ने बड़ी संख्या में मुकदमे दायर किए हैं. दो साल से ओहायो की संघीय अदालत के एक जज संबंधित पक्षों पर बड़ा समझौता करने के लिए दबाव बना रहे थे. सोमवार को जिन लोगों पर मुकदमा शुरू होने की तलवार लटक रही थी उसमें अब एक ही अभियुक्त बचा है. वह है दवा दुकानों की चेन वालग्रीन्स. वालग्रीन्स और दूसरी फार्मेसियों पर अब अगले छह महीने के भीतर मुकदमा चलना शुरू होगा.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Healey

इस समझौते ने दोनों पक्षों को मुकदमे के जोखिम और अनिश्चितता से बचा लिया है. काउंटियों ने तुरंत वह पैसा सुरक्षित कर लिया है जो संकट से निबटने के लिए खर्च होगा, दूसरी तरफ दवा कंपनियां अब गलती करने के आरोपों और जूरी की भारी सजा से बच गई हैं. क्लीवलैंड के मुकदमे में गवाही देने के लिए ट्राविस बॉर्नस्टाइन बड़ी शिद्दत से तैयारी कर रहे थे. समझौते के बाद उनका कहना है, "कोई भी रकम उस नुकसान और तबाही को नहीं बदल सकती जो हमारी काउंटी या पूरे देश के परिवारों ने झेला है." हालांकि ट्राविस का कहना है कि इस समझौते से संघर्ष कर रहे लोगों की कुछ सेवा हो सकेगी.

ट्राविस ने बताया कि उनका बेटा टेलर अपने बांह की सर्जरी के बाद किशोरावस्था में ही ओपियोड का आदी बन गया. पांच साल बाद 2014 में हेरोइन के ओवरडोज की वजह से उसकी मौत हो गई. ट्राविस का कहना है कि अच्छे इलाज से शायद उनके बेटे की कुछ मदद होती, जब उसकी मौत हुई तो वह इलाज के लिए वेटिंग लिस्ट में था. 2017 में नशीली दवाओं के ओवरडोज की वजह से वेस्ट वर्जीनिया के बाद सबसे ज्यादा मौत ओहायो में हुई.

तीनों बड़ी दवा वितरण कंपनियों ने अपने बयान में कहा है कि समझौते की राशि का उपयोग इलाज, पुनर्वास और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाना चाहिए. इस समझौते का एक मतलब यह भी है कि मुकदमे के लिए जो सबूत जुटाए गए थे अब उनका प्रसारण नहीं किया जाएगा. काउंटियों के वकीलों ने जूरी के सामने सबूत पेश करने के लिए काफी तैयारी की थी ताकि यह बताया जा सके कि ओपियोड के खतरों के बारे में बहुत पहले से जानकारी थी.

दवा उद्योग के खिलाफ आरोप लगाने वालों का कहना है कि कंपनियों ने ओपियोड की धुआंधार मार्केटिंग की और इस दौरान इसके खतरों को कम करके बताया. इतना ही नहीं बड़े पैमाने पर दवाओं की खेप संदिग्ध तरीके से भेजी जा रही थी और उसकी तरफ से सबने आंख मूंद रखी थी. हालांकि कंपनियां कोई गलती करने से इंकार करती हैं. ऑक्सीकॉन्टिन बनाने वाले पर्ड्यू फार्मा को इस मामले में सबसे बड़ा खलनायक माना जाता है. पिछले महीने वह एक संभावित समझौते पर पहुंची थी जिसकी कीमत करीब 12 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है. हालांकि आधे से ज्यादा राज्यों और स्थानीय सरकारों ने इसका विरोध किया.

एनआर/एमजे(एपी)

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