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23 साल बाद पाक से बांग्लादेश वापसी

१ अगस्त २०१२

बांग्लादेश के मुस्लिमुद्दीन सरकार परिवार वालों के लिए 23 साल पहले मर चुके थे. पर दो महीने पहले एक टेलीफोन से खबर मिली कि मुस्लिमुद्दीन पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. अब वो बांग्लादेश में अपने परिवार के साथ और आजाद हैं.

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तस्वीर: Muntasir Mamun Imran

मंगलवार को जब वह वापस आए तो घर वालों के लिए यकीन करना मुश्किल हो गया कि मुस्लिमुद्दीन सचमुच लौट आए हैं. ढाका एयरपोर्ट पर बढ़ी हुई दाढ़ी और जर्जर काया के साथ वह जब अपने भाई सिकंदर अली से मिले तो दोनों की आंखों से आंसुओं की धार बह निकली. सरकार खामोशी से आंसू बहाते रहे और अली के रूंधे गले से बस यही आवाज निकली, "मुझे यकीन नहीं आता कि तू जिंदा है और लौट आया है. भाई घर चल, मां तेरा इंतजार कर रही है."

यह 1989 की बात है. मुस्लिमुद्दीन कुछ दिन घर पर बिताने के बाद काम पर लौटने के लिए निकले. इसके बाद कई दिनों तक कोई खबर नहीं आई तो भाई उनकी नौकरी की जगह चटगांव के बंदरगाह पूछताछ करने पहुंचे. वहां पता चला कि सरकार तो काम पर आए ही नहीं. काफी तलाश की गई लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली. अली बताते हैं, "हम लोग कई महीनों तक खबर मिलने का इंतजार करते रहे. लेकिन जब पता नहीं चला तो हम समझे कि वह मर गया. क्योंकि वह कहीं भी रहता तो हमें अपनी खबर तो जरूर देता."

इसी साल मई में उनके पास एक अज्ञात फोन आया और उन्हें खबर मिली कि सरकार पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. दोबारा उसी फोन पर बात करने की कोशिश कामयाब नहीं हुई तो उन्होंने अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस संस्था से संपर्क किया. रेड क्रॉस ने पाकिस्तान में मौजूद अपनी शाखा से बातचीत की और फिर उन्हें ढूंढ निकाला गया. सरकार को अवैध रूप से बिना कागजात के पाकिस्तान में घुसने पर पकड़ा गया था और 15 साल के कैद की सजा दी गई थी. सजा पूरी होने के बाद सरकार को रिहा कर तुरंत बांग्लादेश भेज दिया गया.

बांग्लादेश पहुंचने के बाद भी सरकार बीते सालों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बता रहे. पत्रकारों के बहुत पूछने पर उन्होंने इतना भर बताया, "सीमा पार कर भारत चला गया था. वहां असम और मेघालय में कुछ महीने बिताने के बाद दिल्ली गया और शादी कर ली. 1997 में पाकिस्तान घुसने की कोशिश में भारत पाकिस्तान सीमा पर पकड़ा गया. मेरे पास यात्रा के कागज नहीं थे. मैंने 15 साल जेल में बिताए, मुझे मेरी मां से मिलने दीजिए. मैं आपको बाद में सब कुछ बता दूंगा."

पाकिस्तान और भारत के रिश्तों की कड़वाहट ने सैकड़ों का जीवन कष्ट से भर दिया है. ऐसे लोगों की भी बड़ी तादाद है जो अनजाने में या किसी गैरवाजिब वजह से सुरक्षा एजेंसियों के हत्थे चढ़ गए और जीवन का एक बड़ा हिस्सा जेलों में बिताने पर मजबूर हुए. बीते सालों में ऐसे कैदियों को छोड़ने की कोशिश हुई है और बहुतों को रिहा भी किया गया है लेकिन माना जाता है कि अब भी हजारों लोग इन देशों की जेल में अपनी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं.

बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से में सरकार के गांव बिसनुरामपुर में रहने वाले लोग उनसे मिलने के इंतजार में हैं. गांववासी हबीबुर रहमान ने टेलीफोन पर कहा, "पूरा गांव उनका इंतजार कर रहा है. सब यह जानने को आतुर हैं कि सरकार कब लौट रहे हैं, इतने साल कहां और कैसे रहे? "

एनआर/एजेए (एपी)

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