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21वीं बार चढ़े माउंट एवेरेस्ट पर अपा शेरपा

११ मई २०११

नेपाल के अपा शेरपा ने एक बार फिर माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ कर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है. शेरपा इस से पहले बीस बार माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ चुके. इसी कारण उन्हें 'सुपर शेरपा' के नाम से जाना जाता है.

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In this handout picture taken on May 22 and provided on 25 May 2010, Nepalese Mountaineer Apa Sherpa with Mountain gear stands in front of Hillary step atop the Mt. Everest, Nepal while breaking his own record. The Nepalese conquered the 8,848-metre high Mount Everest for the 20th time on May 22, breaking his own previous world record in a climb he dedicated to environmental awareness. EPA/COURTESY APA SHERPA / HANDOUT EDITORIAL USE ONLY/NO SALES +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture-alliance/dpa

शेरपा के साथ चार अन्य साथी भी थे. वे सब रात को दस बजे अपने कैम्प से निकले और सारी रात एवेरेस्ट की चढ़ाई कर के बुधवार सुबह दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ की चोटी तक पहुंच गए. पर्वतारोहण इतिहास की जानकार एलिजाबेथ हॉली कहती हैं, "इतना मुश्किल काम करने के लिए बहुत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है और बार बार इतनी ऊंचाई पर चढ़ने के लिए ढेर सारा साहस भी चाहिए होता. यह एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है."

Apa Sherpa, co-owner of Karma Outdoor Clothing, smiles at the prospect of starting a new adventure in his life while posing at his Salt Lake City store Thursday, Dec. 21, 2006. Sherpa's business partner, Jerry Mika, helped bring Sherpa and his family to Utah from Nepal so his children could receive a better education. Sherpa holds the world record for climbing Mount Everest: 16. (AP Photo/Steve C. Wilson)
तस्वीर: AP

पहले से ज्यादा खतरनाक

जानकारों के अनुसार मौसम चढ़ाई के लिए अनुकूल था, बहुत ज्यादा हवा भी नहीं चल रही थी, इसलिए इस ग्रुप को किसी खास दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा. लेकिन शेरपा बताते हैं कि बढ़ते हुए तापमान के कारण हिमालय की बर्फ पिघलने लगी है. इस कारण एवेरेस्ट पर चढ़ना अब खतरनाक होता जा रहा है, "बर्फ के पिघलने के कारण पहाड़ की पथरीली सतह दिखने लगी है. चढ़ाई करना हमारे लिए काफी मुश्किल रहा, क्योंकि बिना बर्फ के समझ नहीं आ रहा था कि हम कांटा कहां फंसाएं."

एवेरेस्ट पर टनों कूड़ा

शेरपा के ग्रुप ने एवेरेस्ट की चढ़ाई एक खास अभियान के साथ की. वातावरण में आए बदलावों का जो बुरा असर हिमालय के पहाड़ों पर पड़ रहा है, वह उसके बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना चाहते हैं. टीम का नेतृत्व कर रहे डावा स्टीवन शेरपा ने कहा, "इस अभियान का मकसद था कि हम पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए एवेरेस्ट पर चढ़ें और पहले जो लोग यहां आए उनके द्वारा छोड़ा गया कचरा इकट्ठा करें." आम तौर पर जब लोग हिमालय पर पर्वतारोहण के लिए जाते हैं तो काफी सारा सामान रास्ते में ही छोड़ देते हैं. इसी कारण हिमालय के पहाड़ों में टनों कचरा इकट्ठा हो गया है. अपा शेरपा पहली बार 1990 में एवेरेस्ट की चोटी पर चढ़े. पिछले चार बार से वह इसी तरह के अभियान के साथ एवेरेस्ट पर चढ़ते आए हैं.

Everest Windfahne Foto: DW/Nestler
तस्वीर: DW/Nestler

विदेश मंत्री की जान गई

शेरपा से पहले नेपाल के विदेश मंत्री शैलेन्द्र कुमार उपाध्याय ने पिछले हफ्ते एवेरेस्ट चढ़ने की कोशिश की और इसमें उनकी मौत हो गई. 82 वर्षीय उपाध्याय माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ने वाले दुनिया के सबसे अधिक उम्र के व्यक्ति बनना चाहते थे, लेकिन कैम्प से निकलते ही उनकी मौत हो गई. एक हेलिकॉप्टर से उनके शव को राजधानी काठमांडू लाया गया जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया. अभी तक उनकी मौत की वजह का पता नहीं चल पाया है. उपाध्याय की तरह पिछले कई सालों में कई लोगों की हिमालय के पर्वतों पर चढ़ने की कोशिश में जान जा चुकी है.

1953 में एडमंड हिलेरी और टेनजिंग नॉरगे के पहली बार माउंट एवेरेस्ट पर चढ़ने के बाद से अब तक करीब तीन हजार लोग इस विशाल पहाड़ पर पैर जमा चुके हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: आभा एम

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