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2011 ने किया स्वागत

३१ दिसम्बर २०१०

दुनिया के कई हिस्सों में नए साल ने दस्तक दे दी है. ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में शानदार आतिशबाज़ी के साथ 2011 का स्वागत हुआ, जबकि दुनिया के एक बड़े हिस्से को अभी भी साल बदलने वाले पल का इंतज़ार है.

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तस्वीर: Fotolia

प्रशांत महासागर के उस पार आधी रात घड़ी के कांटों ने जैसे ही एक दूसरे को चूमा, सिडनी का आसमान आतिशबाज़ी में नहा गया.

लाखों लोगों की मौजूदगी में सिडनी हार्बर ने एक बार फिर वह नज़ारा देखा, जिसके लिए हर साल उसकी चर्चा होती है. साल के शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में आतिशबाज़ी की पुरानी रिवायत है.

Flash-Galerie Sylvester Feuerwerk Sydney Australien
तस्वीर: AP

इस मौक़े पर कई तरह के आयोजन हर साल होते हैं. न्यूजीलैंड, फिजी और ऑस्ट्रेलिया ऐसे प्रमुख देश हैं, जो प्रशांत क्षेत्र के देश हैं, जहां सूर्य पहले निकलता है और इस तरह नए साल की शुरुआत वहां पहले होती है.

दर्शकों का मन सिडनी हार्बर पर आतिशबाज़ी की तरफ़ लगा रहा. अलग अलग जगहों से हजारों बार आतिशबाज़ी की गई और आधी रात को भी पूरा आसमान रोशनी से नहा गया. सिडनी को अब इंतजार है इंग्लैंड के साथ होने वाले आखिरी टेस्ट मैच का. एशेज सीरीज हारने के बाद ऑस्ट्रेलिया कोशिश करेगा कि आखिरी टेस्ट मैच जीत कर अपने लोगों को नए साल का तोहफा दे.

आतिशबाज़ी इतनी थी कि इससे पानी के जहाज़ के कई कंटेनर भरे जा सकते थे. इस पर लाखों अमेरिकी डॉलर ख़र्च किए गए. अधिकारियों का दावा है कि जलवायु को इससे कोई नुक़सान नहीं पहुंचा. सिडनी से पहले नया साल न्यूज़ीलैंड के आस पास के प्रशांत महासागर के कुछ द्वीपों पर आ चुका था.

Flash-Galerie Sylvester Feuerwerk in Sydney Australien
तस्वीर: AP

साल 2010 कुछ कड़वी और कुछ अच्छी यादों के साथ बीत गया. अगर चिली में 69 दिन के बाद भी खान से मजदूरों को जिंदा निकाल लिया गया, तो हैती में लाखों लोग भूकंप के शिकार हो गए. पाकिस्तान ने सदी का भयंकर बाढ़ देखा और भारत ने नक्सलियों का कहर.

विकीलीक्स ने अमेरिका के लाखों गुप्त दस्तावेज दुनिया के सामने लाकर तहलका मचा दिया तो भारत में नीरा राडिया टेप प्रकरण और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की गूंज छाई रही.

बहरहाल, अब सबको उम्मीदें हैं 2011 से, जो आन पहुंचा है. हालांकि अमेरिका और लैटिन अमेरिकी देशों को अभी इसके लिए थोड़ा और इंतज़ार करना होगा, जो टाइम ज़ोन के मुताबिक़ सबसे पीछे चलते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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