2जी घोटाले के सभी आरोपी बरी
२१ दिसम्बर २०१७कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान 2008 में दूरसंचार विभाग द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में कथित तौर पर अनियमितता हुई थी, जो 2010 में कैग की रिपोर्ट के बाद व्यापक स्तर पर सामने आया.
गुरुवार को दिल्ली की अदालत में विशेष न्यायाधीश ओ पी सैनी ने पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया. जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सबूतों की कमी के कारण इन लोगों को बरी किया जा रहा है. इन लोगों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामला दायर किया था. दोनों एजेंसियों की ओर से दायर मामलों में इन्हें बरी किया गया है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक बरी हुए सभी आरोपियों को अदालत ने पांच लाख रुपये की जमानत देने को कहा है.
इस मामले में आरोप है कि बाजार भाव की तुलना में बहुत कम कीमत पर 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटित किए गए. सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया था कि इससे सरकार को करीब 28 अरब अमेरिकी डॉलर के राजस्व का नुकसान हुआ. यूपीए सरकार के खिलाफ प्रमुख घोटालों के आरोप में यह घोटाला भी शामिल है. इसके सामने आने के बाद टेलिकॉम मंत्री को इस्तीफा भी देना पड़ा था.
फैसला आने के बाद सीबीआई ने कहा है कि वह फैसले की कॉपी का इंतजार कर कही है और उसके बाद इस पर कानूनी सलाह लेगी. सूत्रों के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय आरोपियों को बरी करने के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील करेगी.
कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस मामले पर खुशी जताते हुए मौजूदा सरकार को घेरने की कोशिश की है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है, "मैं कोई बड़ाई नहीं करना चाहता लेकिन फैसला अपने आप ही सब कुछ बोल रहा है. मैं खुश हूं कि कोर्ट ने साफ तौर पर कह दिया है कि यूपीए के खिलाफ जो दुष्प्रचार किया जा रहा था उसका कोई आधार नहीं था."
उधर बीजेपी नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है, "सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में ही यह कह दिया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की 2जी नीति भ्रष्ट और बेईमान थी. सुप्रीम कोर्ट ने सारे आवंटन रद्द कर दिए. "
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा है कि प्रधानमंत्री को संसद में आकर इस मामले में स्पष्टीकरण देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सरकार इस आधार पर बनी थी कि यूपीए की सरकार 2जी और दूसरे घोटालों में शामिल थी लेकिन अब यह साबित हो गया है कि यह सब विपक्ष का झूठ था.
एनआर/एके (आईएनएस,एएफपी)