2019 में 93 करोड़ 10 लाख टन भोजन बर्बाद हुआ
संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रकाशित शोध के मुताबिक साल 2019 में उपभोक्ताओं के लिए घरों, खुदरा दुकानों और रेस्तरांओं में उपलब्ध खाने का 17 प्रतिशत बर्बाद हो गया.
खाने की बर्बादी
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और वेस्ट रिसोर्स एक्शन प्रोग्राम (डब्ल्यूआरएपी) ने संयुक्त रूप से इस रिपोर्ट को तैयार किया है. रिपोर्ट में कहा गया कि अमीर और गरीब देशों में उपभोक्ता समान रूप से खाने की बर्बादी करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 2019 में अनुमानित 93 करोड़, 10 लाख टन खाना बर्बाद हो गया जो कुल उपलब्ध खाने का 17 प्रतिशत है.
हर कोई बर्बाद करता है खाना
रिपोर्ट के मुताबिक औसतन हर घर में सालाना 74 किलो प्रति व्यक्ति भोजन बर्बाद होता है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का कहना है कि यह ऐसी समस्या है जिसका समाधान ढूंढने में सब को अपनी अपनी भूमिका निभानी की जरूरत है.
गरीब देशों में भी खाने की बर्बादी
खाने की बर्बादी के सूचकांक की रिपोर्ट पर डब्ल्यूआरएपी के सीईओ मार्कस गुवर कहते हैं, "लंबे समय से यह माना जाता था कि घर में भोजन की बर्बादी सिर्फ विकसित देशों में एक अहम समस्या है. फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद हम देखते हैं कि चीजें इतनी साफ नहीं है."
पहले के मुकाबले ज्यादा बर्बादी
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने 2011 में अनुमान लगाया गया था कि दुनिया का एक तिहाई खाना बर्बाद हो जाता है या उसका नुकसान होता है. उसके मुताबिक विश्व की 14 प्रतिशत पैदावार नुकसान में चली जाती है.
घर में सबसे ज्यादा बर्बादी
सबसे ज्यादा खाने की बर्बादी यानी करीब 61 प्रतिशत घरों में होती है , सर्विस क्षेत्र में 26 प्रतिशत और खुदरा दुकानों में 13 प्रतिशत. यूएन वैश्विक स्तर पर खाने की बर्बादी को कम करने पर जोर दे रहा है. शोधकर्ता कचरे के आकलन पर भी काम कर रहे हैं, जिसमें उपभोक्ताओं तक पहुंचने से पहले बेकार हुआ भोजन भी शामिल है.
भूखे पेट सोते हैं करोड़ों
यूएन का अनुमान है कि 2019 में दुनिया भर में करीब 70 करोड़ लोग बिना भोजन के रहे. फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण भूखे रहने वालों की संख्या और बढ़ी है.