महामारी के बीच एक करोड़ लोगों ने लगाई संगम में डुबकी
कोरोना महामारी के दौर में सामाजिक दूरी और संक्रमण से बचने के अन्य उपाय बहुत जरूरी है. लेकिन इसी बीच प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम में डुबकी लगाई.
कुंभ नगरी प्रयाग
प्रयागराज में गंगा-यमुना नदियों के संगम किनारे हर साल 14 जनवरी से एक महीने तक माघ मेला लगता है. इसी जगह पर हर छह साल पर अर्धकुंभ और बारह साल बाद महाकुंभ का आयोजन होता है. मंगलवार को एक महीने तक चलने वाले इस मेले का मुख्य स्नान पर्व मौनी आमावस्या थी.
पवित्र स्नान
कोविड संक्रमण को देखते हुए माना जा रहा था कि श्रद्धालु ज्यादा नहीं आएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. प्रशासन का दावा है कि इस दिन एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई. मेले में यूपी के मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
आरटीपीसीआर अनिवार्य
प्रशासन ने मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 72 घंटे पहले की आरटीपीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य कर दी थी लेकिन इतनी भीड़ में इस रिपोर्ट की जांच करने वाले कहीं दिख नहीं रहे थे. हां, कुछेक प्रवेश द्वारों पर थर्मल स्क्रीनिंग जरूर की जा रही थी.
महामारी में मेला
हजारों श्रद्धालु एक महीने तक संगम किनारे तंबुओं के घरों में रहकर कल्पवास करते हैं. कोविड संक्रमण को देखते हुए सरकार ने लोगों को आगाह किया था और जगह-जगह थर्मल स्क्रीनिंग भी की जा रही थी लेकिन पूरे मेले में न तो कहीं सोशल डिस्टैंसिंग दिखी और न ही लोग मास्क लगाए हुए दिखे.
गंगा के घाट
मेले में हर साल बड़ी संख्या में साधु-संत भी आते हैं और एक महीने यहीं रहते हैं. संगम किनारे मुख्य स्नान घाट के अलावा गंगा के तट पर कई घाट बनाए जाते हैं. हर साल गंगा की रेत में तंबुओं का एक नया शहर बसाया जाता है जिसकी पूरी प्रशासनिक व्यवस्था अलग होती है.
मेले पर कड़ी नजर
मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर यात्रियों की भीड़ को देखते हुए छह किमी लंबा घाट तैयार किया गया है. सुरक्षा की दृष्टि से दो सौ सीसीटीवी कैमरे भी मेला क्षेत्र में लगाए गए हैं और पांच ड्रोन कैमरों के जरिए भी मेले पर नजर रखी जा रही है.
संक्रमण का डर
पिछले साल अप्रैल महीने हरिद्वार में कुंभ के दौरान कोविड की दूसरी लहर ने जबर्दस्त कहर ढाया था और हजारों की संख्या में लोग न सिर्फ संक्रमित हुए थे बल्कि कई लोगों की मौत भी हो गई थी. बाद में मेले को समय से पहले समाप्त करना पड़ा था.