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बहरेपन का कारण बनता ऊंची आवाज का संगीत

फ्रेड श्वालर
२५ नवम्बर २०२२

एक नये अध्ययन के मुताबिक, 24 फीसदी युवा संगीत को असुरक्षित स्तर पर सुनते हैं. इस वजह से पूरी दुनिया में एक अरब लोगों को सुनने में समस्याएं आ रही हैं. आप अपनी सुनने की क्षमता को कैसे बचा कर रख सकते हैं?

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Symbolbild Musik hören
तस्वीर: Josep Suria/Westend61/IMAGO

पिछले सप्ताह प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, एक चौथाई युवा संगीत को इतने अत्यधिक उच्च स्तर पर सुनते हैं कि उनके बहरे हो जाने का खतरा है. साउथ कैरोलाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टोरल फेलो लॉरेन डिलार्ड ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमारा अध्ययन दिखाता है कि युवाओं में सुनने की असुरक्षित आदतें आम हैं. इसकी वजह सेएक अरब युवाओं पर स्थायी बहरेपन का खतरा भी मंडराने लगा है."

उन्होंने कहा, "शोर आधारित बहरापन अपरिवर्तनीय है और बहरेपन पर काबू पाने के लिए हमें रणनीतियां लागू करने की जरूरत है."

एक अरब युवा खतरे में

बीएमजे ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित स्टडी एक सिस्टेमेटिक रिव्यू यानी पद्धतिबद्ध पुनरीक्षण और मेटा विश्लेषण था. लेखकों ने 19-34 की उम्र वाले 19 हजार से ज्यादा लोगों में शोर-शराबे के बीच रहने और ऊंची आवाज में संगीत सुनने से होने वाले बदलावों पर जुड़े 33 अध्ययनों का आकलन किया.

डिलार्ड ने बताया, "हम आवाज की ऊंचाई और शोर-शराबे की अवधि के आधार पर असुरक्षित श्रवण को परिभाषित करते हैं. हेडफोन या एयरपॉड से जुड़ी कोई डिवाइस जो सुरक्षित श्रवण की अनुमत सीमाओं को लांघती है वो लोगों को खतरे में डाल सकती है."

अध्ययन का अनुमान था कि 24 फीसदी युवा, स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे निजी श्रवण उपकरणों के जरिए अत्यधिक शोर की चपेट में थे. उनका ये भी अनुमान था कि 12 से 34 वर्ष के 48 फीसदी लोग संगीत स्थलों पर असुरक्षित शोर-शराबे के बीच पाए गए थे.

एक्स्ट्रपोलेटिंग यानी पहले से उपलब्ध आंकड़ों के दायरे से बाहर और भी आंकड़े तैयार करने की प्रक्रिया के तहत किए गए इस अध्ययन का अनुमान है कि दुनिया में एक अरब लोग अपनी सुनने की आदतों की वजह से बहरेपन की चपेट में आ सकते हैं.

खतरा सभी उम्र के लोगों में

ये अध्ययन यूं तो युवाओं को होने वाले जोखिमों पर केंद्रित है, लेकिन शोध बताते हैं कि सभी उम्र के लोग, सुनने की आदतों के चलते बहरेपन की चपेट में आ सकते हैं. बहरेपन का खतरा आवाज की ऊंचाई, शोर-शराबे की अवधि और आवृत्ति पर निर्भर करता है. एक अध्ययन के मुताबिक 19-29 साल के लोग हर सप्ताह 7.8 घंटे तक हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं, जबकि 30-49 की उम्र के लोग हर सप्ताह 5.5 घंटे हेडफोन से सुनते हैं. 50-79 साल के लोग हर सप्ताह 5.2 घंटे हेडफोन लगाते हैं.

बहरे लोगों को संगीत सुनाने वाली शर्ट

लोग अक्सर उपकरणों पर 105 डेसिबल तक ऑडियो सनुते हैं और मनोरंजन स्थलों पर औसत ध्वनि स्तर 104 से 122 डेसिबल के बीच रहता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन कहती है कि इस वॉल्यूम पर सप्ताह में 10-15 मिनट के लिए भी शोर को सहन करना असुरक्षित है. डाटा के मुताबिक आबादी में सुनने की क्षमता को नुकसान का जोखिम महत्वपूर्ण है. फिर भी डिलार्ड का जोर इस बात पर है कि युवाओं में समय के साथ शोर के बीच रहने का जो असर पड़ता है उसके चलते उनमें बहरेपन का खतरा ज्यादा है.

डिलार्ड कहते हैं, "सभी उम्र के लोगों में बहरेपन की रोकथाम को प्राथमिकता देना अहम है. लेकिन जीवन के शुरू में ही बहरेपन का खतरा कम करना खासतौर पर महत्वपूर्ण है ताकि समय के साथ साथ वो बढ़ता न चला जाए."

श्रवण उपकरण जिम्मेदार?

1950 के दशक से ही लोग शोर भरे संगीत के प्रभावों क लेकर चिंतित रहे हैं. तो इस समय अलग क्या है? क्या श्रवण उपकरण और संगीत समारोह पहले के मुकाबले ज्यादा शोर भरे हो गए हैं? डिलार्ड के मुताबिक बात ऊंची आवाज वाले संगीत की नहीं है बल्कि ऐसी ऑडियो डिवाइसों की उपलब्धता और उन्हें सुनने की मियाद बढ़ गई है.

वह कहती हैं, "स्मार्टफोन अब पूरी दुनिया में आम बात है. जिसका मतलब है कि ज्यादा लोग अब शोर भरे संगीक की चपेट में हैं." हीयरिंग ऑस्ट्रेलिया में प्रिंसिपल ऑडियोलॉजिस्ट कैरन हिरशाउसन ने इस बात को रेखांकित किया है कि कैसे प्रौद्योगिकी और कार्य-जीवन संतुलन में बदलाव सुनने की आदतों पर असर डाल रहे हैं.

उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "पिछले दशक में श्रवण उपकरण समाज में और ज्यादा प्रचलित हो चुके हैं, ब्लूटूथ कनेक्टिविटी की सुविधा भी आ गई है. घर से काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है, उससे भी हेडफोन इस्तेमाल की दर में इजाफा हुआ है."

अपनी श्रवण शक्ति को कैसे बचाएं

शोर से होने वाला बहरापन स्थायी होता है. श्रवण विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि आज के दौर में सुनने की आदतों का वैश्विक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है. हिरशाउसन कहती हैं, "शोरशराबे की चपेट में आने के वर्षों से पहले, रोकथाम की शुरुआती कोशिशें कारगर रहती हैं."

तो आप अपनी श्रवण शक्ति को कैसे बचा सकते हैं?

· उपकरणों में अधिकतम वॉल्यूम 60 फीसदी से नीचे रखें.

· शोर भरी जगहों में एयरप्लग लगाकर कान बचाएं और तेज आवाज के स्रोतों से दूर रहें.

· शोर भरी गतिविधियों में ज्यादा समय न बिताएं. ऊंची आवाज़ों से थोड़े थोड़े अंतराल का ब्रेक लेते रहें और निजी श्रवण उपकरणों का रोजाना इस्तेमाल सीमित कर दें.

· अपने फोन पर सुरक्षित श्रवण फीचरों के जरिए सुनने के स्तरों की निगरानी रखें या ऊंची आवाज को मॉनीटर करने के लिए ऐप्स का उपयोग करें.

· अपनी सुनने की क्षमता की जांच करें. ऐसे वैध और मान्य ऐप्स हैं जैसे कि हियरडब्लूएचओ जिनका इस्तेमाल आप कर सकते है अगर आप अपने कानों की जांच कराने नहीं जा पाते हैं.