हार का ख़ौफ़ और जीत की आदत
४ मई २०१०चेतन शर्मा की आख़िरी गेंद पर जावेद मिंयादाद का छक्का आज भी भारतीय टीम के फ़ैन्स के लिए एक डरावना सपना सा बना हुआ है. बीसवें ओवर की पांचवी गेंद पर मलिंगा को रौंदते हुए नैथन मैककुलम का छक्का भी श्रीलंका के लिए वही भूमिका निभा सकता है. उस छक्के के बिना न्यूज़ीलैंड के लिए मैच जीतना कतई मुमकिन न होता. अब टूर्नामेंट में टिके रहने के लिए श्रीलंका को ज़िम्बाब्वे के ख़िलाफ़ हर हालत में अपना मैच जीतना होगा. ज़िम्बाब्वे की टीम आत्मविश्वास से भरपूर है. इसी बीच ख़बर आई है कि चोटिल हो जाने की वजह से मुरलीथरन वर्ल्ड कप के अगले मैचों में नहीं खेल पाएंगे.
पाकिस्तान की हालत इससे बेहतर है, कम से कम बांगलादेश के ख़िलाफ़ वह अपना मैच जीत चुका है. लेकिन विश्व चैंपियन की हैसियत से आई इस टीम के मनोबल पर आस्ट्रेलिया से हार एक ज़बरदस्त हमला है. अगर बांगलादेश की टीम अप्रत्याशित रूप से आस्ट्रेलिया पर हावी हो जाए, तो रन रेट के हिसाब से काफ़ी पिछड़ी पाकिस्तान की टीम के लेने के देने पड़ सकते हैं. एक मैच जीतने के बावजूद उसका रन रेट श्रीलंका से कम है.
लेकिन इसकी गुंजाइश कम ही लगती है. आस्ट्रेलिया की टीम को इस टूर्नामेंट में वरीयता के क्रम में नौंवें स्थान पर रखा गया है. विश्वचैंपियन होने की आदी इस टीम के लिए शायद ही इससे बड़ा कोई अपमान हो सकता है. और घायल शेर की तरह पाकिस्तान के ख़िलाफ़ मैच में उसने अपने तेवर दिखाए. आस्ट्रेलिया की इस टीम में हसी बंधु, शेन वाटसन, माइकेल क्लार्क, डेविड वार्नर, कैमेरोन ह्वाइट, या डिर्क नानेस सरीखे खिलाड़ी हैं, जो अकेले ही किसी मैच का पांसा पलटने के काबिल हैं.
मेज़बान वेस्ट इंडीज़ एक मैच के बल पर ही रन रेट में सबसे आगे है, लेकिन यह मैच आयरलैंड के ख़िलाफ़ था. आज उसे इंगलैंड के साथ लोहा लेना है, जिसकी टीम के बारे में कुछ कहना अभी मुश्किल ही है. संभावनाओं से भरी एक टीम, लेकिन परख तो मैदान में होनी है. मिसाल के तौर पर भारत के ख़िलाफ़ दक्षिण अफ़्रीका का प्रदर्शन कतई संभावनाओं के अनुरूप नहीं रहा है. अब उसे अफ़ग़ानिस्तान का मुक़ाबला करना है. एक आसान सी चुनौती. सचमुच आसान?
रह जाता है भारत. दोनों मैच जीतकर वह सुपर 8 में पहुंच चुका है. सारा हफ़्ता विश्राम है, फिर गुरुवार, शनिवार और सोमवार को उसे तीन मैच खेलने हैं. सोमवार को शायद आस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़. और इसी मैच में तय होगा कि वर्ल्ड कप की गाड़ी किस रास्ते आगे बढ़ेगी.
रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: महेश झा