1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

हादसों से सबक नहीं सीखा सरकार ने

प्रभाकर मणि तिवारी
५ सितम्बर २०१८

कोलकाता में एक और फ्लाईओवर के ढहने से साफ है कि राज्य सरकार ने अतीत की गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा है. इससे ऐसे फ्लाईओवरों की मरम्मत व रखरखाव में संबंधित विभागों की लापरवाही भी सामने आई है.

https://p.dw.com/p/34JTA
Kolkata Strassenbrücke abgestürtzt
तस्वीर: DW/PM Tewari

अब फ्लाईओवर दुर्घटना का ठीकरा एक-दूसरे के माथे फोड़ने का खेल शुरू हो गया है. लगभग ढाई साल पहले विवेकानंद फ्लाईओवर ढहने से दो दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए थे. लेकिन उस मामले में अब तक दोषियों को सजा मिलना तो दूर, आरोप तक तय नहीं हुआ है. इसी तरह उस पुल के बाकी हिस्से के बारे में फैसला करने के लिए सरकार ने आईआईटी, खड़गपुर के विशेषज्ञों की जो समिति बनाई थी उसकी रिपोर्ट भी नौ महीने से ठंढे बस्ते में पड़ी है. पुल का बाकी हिस्सा कभी भी ढह कर एक बड़े हादसे को जन्म दे सकता है. बीते छह साल में यहां तीन फ्लाईओवर हादसे हो चुके हैं.

ताजा हादसा

कोलकाता के मुख्य हिस्से को दक्षिणी हिस्से से जोड़ने वाले माझेरहाट फ्लाईओवर की गिनती व्यस्ततम फ्लाईओवरों में होती है. मंगलवार शाम को इसका सौ मीटर हिस्सा अचानक ढह गया. इस हादसे में एक युवक की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए. इसके नीचे से लोकल रेन की पटरियां भी गुजरती हैं. अगर उस समय वहां से कोई ट्रेन गुजर रही होती तो हादसा काफी भयावह हो सकता था. दार्जिलिंग दौरे पर गई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी बुधवार को कोलकाता लौट आई. सरकार ने इस हादसे की जांच के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई है. ममता ने माना है कि यह हादसा लापरवाही की वजह से ही हुआ है. उन्होंने कहा है कि जांच के बाद अगर कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

वैसे, मुख्यमंत्री ने लगभग ढाई साल पहले बड़ाबाजार इलाके में निर्माणाधीन विवेकानंद फ्लाईओवर के ढहने के बाद भी ऐसी ही बातें कहीं थीं. लेकिन हकीकत यह है कि अब तक उस मामले में दोषियों को सजा मिलना तो दूर, उनके खिलाफ आरोप तक तय नहीं हुए हैं. 31 मार्च, 2016 को हुए उक्त हादसे के सिलसिले में पुलिस ने 16 लोगों को गिरफ्तार किया था. लेकिन तमाम अभियुक्त जमानत पर बाहर हैं. उस मामले के सरकारी वकील तमाल मुखर्जी बताते हैं, "आरोपपत्र दायर हो चुका है. हमें मामले की सुनवाई शुरू होने का इंतजार है." उस हादसे के बाद सरकार ने दोषियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई और कड़ी सजा देने का भरोसा दिया था. लेकिन तमाम सबूतों के होने के बावजूद अब तक इस मामले की सुनवाई शुरू नहीं होने से सभी हैरत में हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि सजा का डर नहीं होने की वजह से ही आने वाले दिनों में ऐसे हादसों पर अंकुश लगाना मुश्किल साबित हो रहा है,

Kolkata Strassenbrücke abgestürtzt
तस्वीर: DW/PM Tewari

विवेकानंद फ्लाईओवर हादसे के बाद उस पुल के बाकी हिस्सों के भविष्य के बारे में फैसला करने के लिए सरकार ने खड़गपुर स्थित भारतीय तकनीकी संस्थान के विशेषज्ञों से सलाह मांगी थी. लेकिन फ्लाईओवर का मूल नक्शा नहीं मिलने की वजह से उसकी रिपोर्ट में देरी हुई. आईआईटी ने इस साल जनवरी में अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी थीं. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वह रिपोर्ट अब तक फाइलों में ही कैद है. इस रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा था कि फ्लाईओवर की डिजाइन में ही तकनीकी खामियां थीं. यह लंबे समय तक ट्रैफिक का बोझ नहीं सह सकेगा. रिपोर्ट में फ्लाईओवर की तकनीकी खामियों का हवाला देते हुए उसे गिराने की सिफारिश की गई थी. लेकिन सरकार अब तक इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं कर सकी है. उस हादसे और उससे पहले वर्ष 2013 में हुए उल्टाडांगा फ्लाईओवर हादसे में भी मौजूदा तृणमूल कांग्रेस सरकार ने पूर्व लेफ्ट फ्रंट सरकार के माथे हादसे का ठीकरा फोड़ कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ली थी.

लापरवाही

माझेरहाट का एक हिस्सा क्या रखरखाव व समय-समय पर मरम्मत नहीं होने की वजह से ही ढह गया? मंगलवार शाम को हुए हादसे के बाद गंभीरता से यह सवाल उठने लगा है. अभी महीने भर पहले ही इस ब्रिज पर सतही मरम्मत का काम हुआ था. इसके साथ ही अब हादसे पर राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. इस हादसे के बाद नजदीक ही बनने वाली मेट्रो रेलवे परियोजना पर भी सवाल उठने लगे हैं.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि लगभग 50 साल पुराने माझेरहाट ब्रिज की मरम्मत नहीं की जाती थी. एक स्थानीय युवक देवेश कहते हैं, "मरम्मत व रखरखाव के नाम पर समय-समय पर इसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पसंदीदा नीले-सफेद रंग से रंग दिया जाता था.” एक अन्य व्यक्ति अशोक दास आरोप लगाते हैं, "इस ब्रिज पर हमेशा भारी ट्रैफिक होता था. लेकिन सरकार इसके रखरखाव के प्रति काफी लापरवाह थी.” उसका कहना है कि वह अक्सर इस ब्रिज के नीचे से होकर ट्रेन पकड़ने जाता था. लेकिन वाहनों के गुजरने के दौरान होने वाले कंपन के चलते हमेशा डर लगा रहता था.

Kolkata Strassenbrücke abgestürtzt
तस्वीर: DW/PM Tewari

इस ब्रिज के कमजोर होने के लिए जहां रखरखाव में लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है वहीं दूसरी ओर इसके लिए वहां चल रही मेट्रो रेलवे परियोजना के कामकाज को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि मेट्रो परियोजना के तहत बनने वाले खंभों के लिए ड्रिंलिग की वजह से होने वाले कंपन के चलते माझेरहाट ब्रिज के खंभों में दरारें पैदा हो गई थीं. ब्रिज के पास महावीरतला के रहने वाले गोलाम मुस्तफा ने दावा किया कि उन्होंने मेट्रो रेलवे के इंजीनियरों को पहले ही इस खतरे से आगाह कर दिया था. उन्होंने कहा था कि जिस तरह मेट्रो परियोजना के कामकाज से ब्रिज पर दबाव बढ़ रहा है उससे वह कभी भी ढह सकता है. लेकिन इंजीनियरों ने यह कह उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया था कि वे इन तकनीकी मामलों को उनसे (मुस्तफा से) बेहतर समझते हैं. मुस्तफा का कहना है कि निर्नाण क्षेत्र से जुड़े होने की वजह से उनको ऐसे मामलों का काफी अनुभव है.

मौके का दौरा करने वाले राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने भी पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ब्रिज का और बेहतर रखरखाव जरूरी था. उन्होंने कहा, "हाल में आई एक रिपोर्ट में ब्रिज पर कई बड़े-बड़े गड्ढे होने की बात कही गई थी. पता नहीं सार्वजनिक निर्माण विभाग को इसकी जानकारी थी या नहीं.” राज्यपाल ने कहा कि ब्रिज के रखरखाव की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी और रेलवे की थी. इस हादसे की गहराई से जांच की जानी चाहिए.

कांग्रेस, बीजेपी और वामपंथी दलों ने भी इस हादसे के लिए सरकारी लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है. विशेषज्ञों का कहना है कि लगता है सरकार ने पहले का हादसों से कोई सबक नहीं सीखा है. एक पूर्व इंजीनियर सौमेन नाग कहते हैं, "किसी हादसे की स्थिति में कुछ दिनों तक तमाम सरकारी तंत्र सक्रिय रहता है. लेकिन उसके बाद सबकुछ जस का तस हो जाता है. पुराने फ्लाईओवरों की बेहतर रखरखाव और मरम्मत नहीं होने की स्थिति में लगातार बढ़ते ट्रैफिक का बोझ निकट भविष्य में ऐसे कई हादसों को जन्म दे सकता है. और हर बार जान-माल का नुकसान कम ही होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है.”

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें