सोची में ऐप की सोच
१८ फ़रवरी २०१४अमेरिका के बॉब स्लेज और स्केलेटन फेडरेशन के स्कॉट नोवाक कहते हैं, "हमें सिर्फ कुछ ही बार ट्रेनिंग के मौके मिल रहे हैं. इस वजह से वीडियो विश्लेषण जरूरी हो गया है." उनकी टीम उबरसेंस ऐप इस्तेमाल कर रही है, जो उनकी दौड़ को स्लो मोशन में दिखाता है और दोनों साइड से उसका विश्लेषण कर सकता है.
नोवाक का कहना है, "सोची का ट्रैक तीन पहाड़ियों पर आधारित है और बहुत लंबा है. अगर आप रास्ते में अपनी गति खो देते हैं, तो आप सेकंड के 100वें हिस्से तक धीमे पड़ सकते हैं. फिर तो आपको पता ही है कि इस खेल में यह कितना अहम वक्त होता है. इसकी वजह से आपको मेडल मिल भी सकता है और नहीं भी."
अलग अलग कोनों पर लोग खड़े होकर रिकॉर्डिंग करते हैं, ताकि ऐप में इसका इस्तेमाल हो सके. फिर ये रिकॉर्डिंग सभी आईओसी डिवाइसों में जा सकती है और मुख्य ट्रेनर इस पर बारीकी से नजर डाल सकते हैं. नोवाक कहते हैं, "वह बता सकते हैं कि खिलाड़ी कहां गति बढ़ा सकता है और कहां कम कर सकता है, ताकि कुल रेस में उसका फायदा हो."
इससे पहले 2010 के वैंकूवर ओलंपिक में इस टीम ने एक जटिल प्रक्रिया अपनाई थी, जिसमें लाइव टीवी स्ट्रीमिंग से मदद ली गई थी. नोवाक ने बताया, "दो रेसों के बीच हम वीडियो देखते थे और बदलाव की कोशिश करते थे. हमने वैंकूवर में दो मेडल हासिल किए थे." टीम ने बॉब स्लेज में पुरुषों की टीम का चार स्वर्ण और महिलाओं की टीम का दो कांसा जीता था.
ओलंपिक में शामिल हो रहे एथलीट कोचेज आई ऐप का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. यह प्रोग्राम उन्हें स्लो मोशन में वीडियो दिखाता है और सुधार की जगहों की ओर इशारा करता है. कुछ खास जगहों को जूम करके दिखा सकता है. इसमें ऑडियो कमेंट्री भी होती है.
कनाडियाई एथलीट एलेक्स बिलोडू के कोच मिचेल हामेलिन का कहना है कि ऐप से चीजें आसान हो जाती हैं, "इससे दो रेसों की तुलना बेहतर तरीके से की जा सकती है." बिलोडू ने सोची में एक स्वर्ण पदक जीता है. अमेरिकी कंपनी कोचेज आई के मार्केटिंग मैनेजर माइक कुजान्सू कहते हैं, "आईपैड पर वीडियो रिव्यू सिस्टम से कोच देख सकते हैं कि वे पर्वतों पर किस तरह की ट्रेनिंग कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि कभी कभी तो कोचों को रिकॉर्डिंग के लिए अपने एथलीट के पीछे स्की करते हुए जाना पड़ता है. उनका कहना है कि प्रतिद्वंद्विता में कमजोरी को भांपना बहुत जरूरी होता है.
एजेए/एमजे (रॉयटर्स)