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सूडान में 24 साल बाद हो रहे हैं चुनाव

११ अप्रैल २०१०

भारी सुरक्षा के बीच सूडान में 24 साल बाद पहले बहुदलीय चुनाव हो रहे हैं. तीन दिनों तक होने वाले मतदान में राष्ट्रपति, अर्द्ध स्वायत्त दक्षिणी हिस्से के नेता, संसद और स्थानीय गवर्नरों का चुनाव हो रहा है.

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राष्ट्रपति अल बशीर ने खारतूम में मत डालातस्वीर: AP

25 लाख वर्गकिलोमीटर में फैला सूडान अफ़्रीका का सबसे बड़ा देश है. तेल और कपास के उत्पादन पर निर्भर सूडान में चार करोड़ लोग रहते हैं जिनमें 70 फ़ीसदी मुसलमान और 10 फ़ीसदी ईसाई हैं. देश का उत्तरी हिस्सा मुस्लिम बहुल है जबकि दक्षिणी हिस्से में अफ़्रीकी और ईसाई धर्मावलंबी रहते हैं. देश के पश्चिम में दारफुर विवाद जारी है जहां अब तक 3 लाख लोग मारे गए हैं.

सूडान में तीन मर्द सत्ता के लिए ज़ोर आजमा रहे हैं. इस्लामी कट्टरपंथियों का नेता हसन अल तूराबी, भूतपूर्व विद्रोही और दक्षिण सूडान के नेता सलवा कीर और तख्तापलट में सत्ता हथियाने वाले राष्ट्रपति ओमर अल बशीर, जिन पर युद्ध अपराधों के आरोप लगाए गए हैं.

चुनाव के पहले ही चरण में 66 वर्षीय बशीर का राष्ट्रपति चुना जाना तय माना जा रहा है क्योंकि लगभग सभी पार्टियों ने उनके ख़िलाफ़ अपने उम्मीदवारों को हटा लिया है. लेकिन बहिष्कार के बिना भी उनकी जीत में किसी को संदेह नहीं था. एक तो राष्ट्रपति होने का बोनस और दूसरे सूडान में लोकतांत्रिक माहौल का अभाव. विपक्षी कार्यकर्ता राष्ट्रपति पर दमन और चुनाव अधिकारियों को प्रभावित करने का आरोप लगाते हैं.

Sudan Wahlen Kandidat Salva Kiir
वोट देने के लिए इंतज़ार करते सलवा कीरतस्वीर: AP

द हेग में अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत द्वारा बशीर के ख़िलाफ़ युद्ध अपराधों के लिए वारंट जारी किया गया है. वैधता के लिए चुनाव में जीत उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि 1989 में सैनिक विद्रोह के ज़रिए सत्ता में आए बशीर को अब तक चुनावी वैधता नहीं मिली है. जीत के बाद स्वयं अपने देश में और दोस्ताना देशों में उन्हें गिरफ़्तारी का डर नहीं रहेगा.

अल बशीर को टक्कर देने वाले लोगों में एकमात्र जानी मानी हस्ती 78 वर्षीय हसन तूराबी हैं जिनकी मदद से बशीर 1989 में सत्ता में आए थे. इस्लामी बुद्धिजीवियों के परिवार में पैदा हुए तूराबी चार दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं और इस अवधि में उनका करियर जेल और उच्च राजनीतिक पदों के बीच झूलता रहा है. अब वे अपनी पीपल्स कांग्रेस पार्टी के साथ सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं. तूराबी ने 1991 में ओसामा बिन लादेन को सूडान आमंत्रित किया था.

तूराबी के विपरीत पूर्व विद्रोही नेता सलवा कीर अल बशीर को चुनौती देने के बदले सिर्फ़ दक्षिण सूडान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. स्वायत्त क्षेत्र दक्षिण सूडान का नेता होना उन्हें देश का पदेन उपराष्ट्रपति बना देता है. देश का राष्ट्रपति बनने में उनकी दिलचस्पी इसलिए भी नहीं है कि वे दक्षिण सूडान की आज़ादी चाहते हैं. 2005 की शांति संधि के अनुसार 2011 में आज़ादी के लिए जनमत सरवेक्षण होगा और उसमें 90 प्रतिशत समर्थन की उम्मीद है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एम गोपालकृष्णन