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साइप्रस के बैंक खुले

२८ मार्च २०१३

दो हफ्तों के बाद बैंक फिर से खोले गए हैं. ग्राहकों ने बैंकों की शाखाओं के सामने लाइन लगा रखी है. सुरक्षा के लिए हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. खातों की लूट रोकने के लिए सरकार ने कई प्रतिबंध लगाए हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

घबराहट में ग्राहकों द्वारा बड़े पैमाने पर धन निकालने की संभावना को रोकने के लिए सरकार ने जो कदम तय किए हैं उनमें नकदी की सीमा भी है. सात दिनों के लिए जारी नियमों के अनुसार ग्राहक हर दिन सिर्फ 300 यूरो की नकद निकाल सकेंगे. बैंक चेक के बदले भी नकदी नहीं ली जा सकेगी. विदेशों में बैंकों द्वारा जारी चेक को इससे छूट दी गई है. इसके अलावा 5000 यूरो से ज्यादा की रकम बैंक से ट्रांसफर करने पर भी रोक रहेगी. दो लाख यूरो तक की रकम के ट्रांसफर के लिए केंद्रीय बैंक से अनुमति लेनी होगी और उससे ज्यादा की रकम पर मामले पर विचार करने के बाद फैसला लिया जाएगा.

वेतन और जीवन यापन के लिए जरूरी रकम को इस रोक से अलग रखा गया है लेकिन क्रेडिट कार्ड से खर्च करने की मासिक सीमा 5000 यूरो रहेगी. विदेश यात्रा पर जाने वाले साइप्रस के लोग 1000 यूरो की रकम साथ ले जा पाएंगे. पहले इसे तीन गुना रखने की योजना थी लेकिन बाद में यह इरादा छोड़ दिया गया. विदेशी दूतावासों को इन नियमों से छूट रहेगी.

Zypern Zentralbank Banken Bankenöffnung 28.03.2013
केंद्रीय बैंक के सामने नोट भरा ट्रकतस्वीर: picture-alliance/AP

साइप्रस में धन के प्रवाह पर व्यापक प्रतिबंधों और नियंत्रण को यूरोपीय आयोग ने कानूनी करार दिया है. आयोग ने साइप्रस सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जांच के बाद ब्रसेल्स में कहा कि ये कदम यूरोपीय संघ की संधि के अनुरूप हैं. यूरोपीय संधि की धाराओं 63-65 के अनुसार सदस्य देश खास परिस्थितियों में पूंजी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकते हैं, यदि वह सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा के लिए जरूरी हो. यूरोपीय अदालत के फैसलों के अनुसार सार्वजनिक हित में भी ऐसा करने की अनुमति है.

यूरोपीय आयोग का कहना है कि साइप्रस के मामले में ये परिस्थितियां मौजूद हैं. आयोग के बयान में कहा गया है, "मौजूदा परिस्थिति में वित्तीय बाजारों की स्थिरता और साइप्रस का बैंक सिस्टम सार्वजनिक दिलचस्पी और सार्वजनिक व्यवस्था का मामला है, जिसकी वजह से पूंजी के प्रवाह पर सीमित अवधि के नियंत्रण की अनुमति है." आयोग का कहना है कि इन कदमों के जरिए साइप्रस बैंकों से अंधाधुंध पैसा निकाले जाने को रोकना चाहता है. ऐसा होने से बैंक बर्बादी की कगार पर पहुंच सकते हैं.

साइप्रस ने ये कदम सात दिनों के लिए तय किए हैं. उसके बाद उसे बढ़ाए जाने की जरूरत पर विचार किया जाएगा. यूरोपीय आयोग का कहना है कि प्रतिबंधों को "जितनी जल्दी संभव हो" फिर से खत्म किया जाना चाहिए. यूरोपीय आयोग यूरोपीय बैंक और बैंकों की यूरोपीय नियमक संस्था ईबीए के साथ मिलकर इस पर नजर रखेगा.

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निकोसिया में कटौतियों का विरोधतस्वीर: Getty Images

हफ्ते के शुरू में साइप्रस की सरकार ने कर्जदाताओं के साथ अरबों यूरो का राहत कार्यक्रम तय किया था. इसके तहत एक लाख यूरो से ज्यादा के खाते वाले ग्राहकों से बैंकिंग सिस्टम को बचाने के लिए विशेष टैक्स लिया जाएगा. शुरू में छोटे बचतकर्ताओं से भी टैक्स लेने की योजना थी लेकिन बाद में भारी प्रदर्शन और विरोध के बाद उसे छोड़ दिया गया. बहुत से निवेशक इस बात से भी परेशान हैं कि देश के दो बड़े बैंकों बैंक ऑफ साइप्रस और लाइकी बैंक का विलय किया जा रहा है.

इस बीच साइप्रस के विदेश मंत्री इयोआनिस कासूलिडेस ने यूरोपीय संघ पर साइप्रस को मुश्किल में डालने का आरोप लगाया है, "यूरोप कहता है कि हमारी मदद कर रहा है, लेकिन उसकी कीमत बहुत ऊंची है. इसका मतलब हमारे बिजनेस मॉडल को नष्ट करने से कम नहीं है." साइप्रस का बैंक सेक्टर बैलेंस सीट और आर्थिक प्रदर्शन के 8:1 अनुपात के साथ यूरोपीय औसत का दोगुना है. अब उसे छोटा कर स्वस्थ बनाने की योजना है.

एमजे/एजेए (रॉयटर्स, डीपीए)

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