समझौते पर भारी पड़ती मुर्गी
४ जनवरी २०१५अमेरिका और यूरोपीय संघ ने 2014 में अरबों डॉलर का कारोबारी करार करना चाहा लेकिन कुछ मतभेद राह का रोड़ा बन गए. सबसे ज्यादा हंगामा क्लोरीन चिकन पर हो रहा है. अमेरिकी कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत के आगे डेमोक्रैट राष्ट्रपति बराक ओबामा कमजोर पड़ चुके हैं. उन पर यूरोपीय संघ के सामने झुके बिना मुक्त व्यापार समझौता करने का दबाव है. दूसरी तरफ यूरोपीय संघ को किसी कीमत पर क्लोरीन चिकन स्वीकार नहीं है.
अगर कारोबारी समझौते से क्लोरीन चिकन के मुद्दे को हटा भी दिया जाए तो भी ओबामा की मुश्किल कम नहीं हो रही. श्रम संगठन, पर्यावरण संगठन और कांग्रेस के सदस्य कह रहे हैं कि ऐसा करने का मतलब होगा कि सरकार, अमेरिका के आर्थिक हित बचाने में नाकाम रही. वहीं यूरोपीय संघ में क्लोरीन चिकन से खासी बेचैनी है. नाराजगी कम करने के लिए जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल को कहना पड़ा कि इस विवादित मुद्दे का अमेरिका-ईयू डील पर असर नहीं पड़ेगा.
क्या है क्लोरीन चिकन
रसायनों से चिकन की सफाई करना, ये बात ज्यादातर लोगों को नागवार गुजरेगी. लेकिन अमेरिका में ऐसा किया जाता है. मीट उ्दयोग में साफ सफाई की खासी अहमियत है. आम तौर मांस में हानिकारक बैक्टीरिया पनपने का खतरा काफी ज्यादा होता है. इससे बचने के लिए अमेरिका में चिकन की क्लोरीन से सफाई की जाती है.
अटलांटिक महासागर के आर पार बसे अमेरिका और यूरोप में सुरक्षित ढंग से मांस का कारोबार करना संवेदनशील मुद्दा है. फॉर्म और बूचड़खानों में सफाई के ऊंचे मानक स्थापित करने के बजाए अमेरिका में अंत में की जाने वाली रासायनिक सफाई पर ज्यादा जोर दिया जाता है. इस सफाई से मीट बैक्टीरिया मुक्त हो जाता है. वहीं यूरोप में मांस में पनपने वाले बैक्टीरिया को रोकने के लिए "फॉर्म से किचन तक" जबरदस्त सफाई रखने का तारीका अपनाया जाता है.
यूरोपीय संघ "इलाज से बेहतर बचाव है" की नीति पर चलता है. यूरोपीय संघ में पूरी उत्पादन श्रृंखला को इस ढंग से तैयार किया गया है कि आखिर छोर पर खड़े ग्राहक सुरक्षित रहे. पोल्ट्री फॉर्म में हाईजीन के कड़े नियम हैं. खास पोशाक और खास जूते पहनने पड़ते हैं ताकि फॉर्म में बाहरी बैक्टीरिया न आए. इसके बाद स्वच्छ ट्रांसपोर्ट, हाई टेक हाईजीन वाले बूचड़खाने और फूड प्रोसेसिंग यूनिट आती हैं.
2015 में अगर यह समझौता हुआ तो इससे अमेरिका और अटलांटिक पार 28 देशों के समूह यूरोपीय संघ दोनों को फायदा होगा. फरवरी 2015 में इस समझौते को लेकर सातवें दौर की बातचीत होगी. यूरोपीय संघ और अमेरिका दुनिया में सबसे बड़े कारोबारी साझेदार हैं. दोनों के बीच कस्टम और आयात शुल्क बहुत कम हैं. नया समझौता इस कारोबार को और आसान बनाएगा. समझौते के तहत फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड के मामले में भी रियायत दी जाएगी. बात यहीं अटक रही है.
ओएसजे/एमजे (डीपीए)