शैतान नहीं चला सकता कार !
१३ अगस्त २०१०भारत में जिस तरह गाड़ियों के लिए अलग फीस देकर मनपसंद नंबर लिया जा सकता है, उसी तरह जर्मनी और दूसरे यूरोपीय देशों में भी यह सुविधा है. स्वीडन एक कदम आगे है और वह नंबर प्लेट पर कोई नाम लिखने की भी इजाजत देता है. इसके लिए भी अलग से फीस लगती है.
स्वीडन परिवहन विभाग का कहना है कि अक्षरों का मेल ऐसा होना चाहिए, जिससे बना शब्द किसी की भावनाओं को आहत न करे. इसलिए सेक्सीब्वाय या वोडका जैसे शब्दों को नंबर प्लेट पर लगाने की इजाजत नहीं दी जाती.
पर 40 साल की महिला अनजोफी टेडफोर्स का कहना है उसका इरादा किसी शैतान को नंबर प्लेट पर चिपकाने का नहीं था, बल्कि वह तो सिर्फ एक याद रखने वाला नाम चाहती थी. उसने तो यहां तक कहा कि उसके पास एक बिल्ली हुआ करती थी, जिसका नाम लूसिफर था.
लूसिफर एक लातिन नाम है, जिसका सीधा अर्थ तो रोशनी का वाहक होता है. लेकिन प्राचीन लातिन मान्यताओं के आधार पर इसका अर्थ दो सींगों वाले शैतान से निकाला जाता है. ऐसा शैतान, जो मानवता और भगवान का दुश्मन है. हालांकि इस शब्द के इस्तेमाल और अर्थ पर कई बार विवाद हो चुका है. कुछ मान्यताओं के आधार पर यह ऐसा फरिश्ता है, जिसे स्वर्ग से निकाल दिया गया है क्योंकि उसने ईश्वर की नाफरमानी की थी. कुछ जगहों पर इसे बेबीलोन का सम्राट भी बताया जा चुका है.
बहरहाल, महिला को लूसिफर वाला नंबर नहीं मिला और वह दुखी है. स्वीडन के कानून के मुताबिक नंबर प्लेट पर नाम जारी करने से पहले परिवहन विभाग को अक्षरों के मेल से बने शब्द की अच्छी तरह पड़ताल करनी पड़ती है ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे शब्द भड़काऊ न साबित हों. स्वीडन की कुल आबादी एक करोड़ से कम है, जहां लगभग 15000 कारों पर इस तरह के मनपसंद नाम हैं. दस साल के लिए एक नंबर लेने के लिए 6000 क्रोनर यानी लगभग 40,000 रुपये देने पड़ते हैं.
इतने पैसे देकर भी शैतान न मिला. अधिकारियों ने कार के शैतान को रोक दिया. काश... मन के शैतान को इसी तरह रोका जा सकता.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः उ भट्टाचार्य