अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि अगर इलेक्टोरल कॉलेज राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन की जीत की आधिकारिक पुष्टि करता है तो वह व्हाइट हाउस छोड़ देंगे. जब ट्रंप से पूछा गया कि अगर इलेक्टोरल कॉलेज वोट में वे हारते हैं तो क्या वे व्हाइट हाउस छोड़ देंगे, इस पर ट्रंप ने कहा, "निश्चित रूप से मैं करूंगा और आप जानते हैं." आगे उन्होंने जोर देकर कहा कि इस दौरान काफी चीजें होंगी जो नतीजों को बदल देंगी.
हार के बावजूद ट्रंप ने कहा, "अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है." अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हारने वाला उम्मीदवार परंपरा के मुताबिक हार पर भाषण देता आया है लेकिन उन्होंने इस तरह का कोई भाषण अब तक नहीं दिया है. हार मानने के बजाय उन्होंने कई मुकदमे दायर किए हैं और चुनावों में बड़े पैमाने पर कथित धांधली के आरोप लगाए हैं. हालांकि कई मुकदमे खारिज भी हो गए हैं. राज्य के चुनाव अधिकारियों ने चुनाव में कथित धांधली के आरोपों को खारिज किया.
ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अगर वे व्हाइट हाउस छोड़ भी देंगे तो वे कभी औपचारिक रूप से हार स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, "यह स्वीकार करना बहुत कठिन होगा. क्योंकि हम जानते हैं कि बड़ी धांधली हुई है." साथ ही ट्रंप ने यह भी कहा कि समय हमारे साथ नहीं है. उन्होंने कहा अगर इलेक्टोरल कॉलेज बाइडेन का चुनाव करता है तो वो "गलती" करेगा.
ट्रंप ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि वह 20 जनवरी को बाइडेन के शपथ समारोह में शामिल होंगे या नहीं. उन्होंने कहा कि वे इसका जवाब जानते हैं लेकिन अभी इसे साझा नहीं करना चाहते हैं.
बाइडेन-ट्रंप को कितने वोट
तीन नवंबर को अमेरिका में हुए चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए जो बाइडेन को अब तक 306 इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिले हैं और ट्रंप को 232 वोट मिलने का अनुमान है. अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए 270 वोटों की जरूरत होती है. इलेक्टोरल कॉलेज राष्ट्रपति का चुनाव करता है. चुनाव के दिन तक अगर इलेक्टोरल कॉलेज के सारे सदस्यों के नाम तय हो जाते हैं तो चुनाव नतीजों की भी पुष्टि हो जाएगी और नए राष्ट्रपति की भी.
गौरतलब है कि 23 नवंबर को राष्ट्रपति ने औपचारिक तौर बाइडेन को सत्ता सौंपने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था. ट्रंप ने जनरल सर्विस एडमिनिस्ट्रेशन की प्रमुख से कहा था कि सत्ता सौंपने के लिए जो किया जाना चाहिए, वो करें. इसके बाद जीएसए ने जो बाइडेन को चिट्ठी लिखी थी और सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया में शामिल होने का न्योता दिया था.
एए/सीके (एएफपी, डीपीए)
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प्रभावशाली परिवार के चिराग
अमीर माता-पिता की संतान थे केनेडी, उनका बचपन तमाम सुख-सुविधाओं के बीच बीता. उनके पिता जोसेफ पी. केनेडी लंदन समेत विदेशों में रहे. जेएफके ने गैरसरकारी स्कूलों में पढ़ाई की और उच्च शिक्षा के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय भी गये. यह तस्वीर 1943 की है उस वक्त वह पनामा में तैनात अमेरिका नौसेना के अधिकारी थे.
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35वें राष्ट्रपति
सेना में सेवायें देने के बाद जेएफके डेमोक्रेटिक पार्टी में काफी सक्रिय हो गये, वे 1960 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हुए और 43 साल की उम्र में 20 जनवरी 1961 को अमेरिका के दूसरे सबसे युवा राष्ट्रपति बने. अपनी इनॉग्रेशन स्पीच में केनेडी ने कहा था कि "ये मत पूछो कि आपका देश आपके लिये क्या कर सकता है, पूछो कि आप अपने देश के लिये क्या कर सकते हैं."
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खुद को बर्लिन वाला बताया
जर्मन नजरिये से देखें तो 26 जून, 1963 का दिन विभाजित जर्मनी के लोगों के लिए बहुत अहम था. इसी दिन केनेडी ने पश्चिम बर्लिन में दिये अपने भाषण के दौरान जर्मन भाषा में खुद को बर्लिन वाला बताते हुये विभाजित शहर के लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की.
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दुनिया का एक प्रभावशाली व्यक्ति
केनेडी ने जल्द ही अमेरिकी लोगों के मन में जगह बना ली. हालांकि उनका कार्यकाल तमाम आलोचनाओं और विवादों से भी घिरा रहा. मसलन, क्यूबा के साथ उनका सीधा टकराव. लेकिन 1962 में दुनिया में परमाणु युद्ध की बनती स्थिति को टालने का श्रेय भी केनेडी को दिया जाता है.
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पत्नी का ग्लैमर
केनेडी की पत्नी जैकलीन, व्हाइट हाउस में अपने साथ एक खास तरह का ग्लैमर लेकर भी पहुंची. राष्ट्रपति की पत्नी के रूप में उनका समय केवल कुछ सालों का ही था लेकिन उनकी बेहद फैशनेबल शैली को पूरी पीढ़ी ने अपनाया. आज भी जैकलीन "दिलों की मल्लिका" के रूप में जानी जाती हैं.
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जेएफके, द वूमनाइजर
तमाम अफेयर और कॉलगर्लों के साथ भी केनेडी का नाम जुड़ा. उनका सबसे चर्चित अफेयर था, हसीन हॉलीवुड अदाकारा मर्लिन मुनरो के साथ. हालांकि मुनरो का नाम जॉन केनेडी के भाई रॉबर्ट (दांए) के साथ भी जोड़ा गया. मुनरो की 1962 में संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हो गई जिसके कारण अब तक स्पष्ट नहीं है.
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परिवार से जुड़ाव
राष्ट्रपति की 1962 में ली गई यह तस्वीर काफी प्रसिद्ध है. इसमें केनेडी अपने बच्चों कैरोलीन और जॉन का उत्साह बढ़ाते नजर आ रहे हैं. हालांकि केनेडी के परिवार को कई तरह के झटके सहने पड़े. जेएफके के भाई रॉबर्ट की हत्या कर दी गई, परिवार के अन्य सदस्यों की दुर्घटना, प्लेन क्रैश, ड्रग ओवरडोज के चलते मौत हो गई. किसी ने आत्महत्या कर ली.
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जेएफके की हत्या
22 नवंबर, 1963 में टेक्सास के डलास में राष्ट्रपति अपनी पत्नी के साथ एक खुली गाड़ी में सवार थे जब उन पर गोलियां दागी गई और वह गंभीर रूप से घायल हो गये. इस घटना के बाद पूरा देश शोक में डूब गया. युवा राष्ट्रपति के रूप में यह लाखों लोगों के सपने का क्रूर अंत था.
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रहस्य बरकरार
केनेडी की मौत के बाद उसके हमलावर को पकड़ लिया गया लेकिन दो दिन बाद हमलावर ली हार्वे ऑसवाल्ड(बीच में) को एक नाइटक्लब मालिक जैक रूबी ने मार दिया था. केनेडी की हत्या के कारणों का अब तक कोई ठोस खुलासा नहीं हो पाया है और इस मामले पर रहस्य अब भी बरकरार है.
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केनेडी की विरासत
साल 1963 में दुनिया से विदा होने के बाद भी केनेडी का दौर आज भी प्रभावित करता है. हर एक अमेरिकी राष्ट्रपति की केनेडी से तुलना की जाती है. अकसर सवाल किया जाता है कि अगर केनेडी का कार्यकाल महज 1063 दिनों में सिमटा नहीं होता तो दुनिया आज कैसी होती. लेकिन शायद ऐसे सवाल सिर्फ इसलिये उठते हैं क्योंकि इनका कोई जवाब देने वाला नहीं है.
रिपोर्ट: यूलिया फैर्गिन