वॉटरगेट की विदाई
२१ जुलाई २००९वाशिंगटन में वॉटरगेट नाम का ये वही होटल है जो 1972 में हुई घटनाओं के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन के पतन का कारण बना. इस होटल को नीलामी के लिए कोई ख़रीददार ही नहीं मिला. और इसे आखिरकार डॉयचे पोस्टबैंक की एक सहायक कंपनी पीबी कैपिटल को दो करोड़ डॉलर में बेच देना पड़ा. अकेली बोली उसी की थी.
पोटोमेक नदी के किनारे 1967 में भव्य वॉटरगेट कॉम्प्लेक्स बन कर तैयार हुआ था. और 1974 में ये उस वक़्त चर्चा में आ गया जब यहां हुई घुसपैठ की वजह से उठे राजनैतिक तूफ़ान में तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था.
असल में डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के वॉटरगेट ऑफ़िस कॉम्प्लेक्स में पांच लोग चोरी छिपे दाखिल होते रहे थे. ये वाकया 17 जून 1972 का है. वो क्या वहां चोरी करने घुसे थे. या किसी गोपनीय मीटिंग की टोह लेने, इस बात पर अमेरिकी राजनीति में बवाल मच गया और राजनैतिक मर्यादा के सवाल उठने लगे.
मामला संघीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया. की और जांच समितियां भी बनीं जिनसे पता चला कि तत्तकाली राष्ट्रपति निक्सन के स्टाफ ने ही इन लोगों को वहां नेताओं पर नज़र रखने के लिए भेजा था. दफ़तर भेदने की ये हरकत उन कई गैरकानूनी गतिविधियों में एक थीं जिनमें निक्सन का अपना स्टाफ शामिल था.
वॉटरगेट कांड के पर्दाफ़ाश के बाद और भी बातें खुलने लगीं. पता चला कि बड़े पैमाने पर जासूसी कराई जाती है. चुनावी मुहिम के काले कारनामे हुए थे. फोन की टैपिंग की जाती थी. लोगों पर नज़रें रखी जाती हैं और विरोधियों पर टैक्स के उलजलूल मामले थोपे जाते थे. यानी राजनीतिक दबदबे के लिए, विरोधियों को परास्त करने के लिए गैरकानूनी तरीके आज़माए जा रहे थे.
निक्सन और उनके स्टाफ ने लाख सफ़ाई दी लेकिन वे जांच के दायरे में फंसते चले गए और उनके ख़िलाफ़ काफ़ी सबूत भी जमा हो गए. मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया. हार कर निक्सन को 1974 में पद छोड़ना पड़ा. अमेरिकी राजनीति के इतिहास में वो इस्तीफ़ा देने वाले पहले राष्ट्रपति थे.
इसी वॉटरगेट को नीलाम करने के लिए आज कोई ख़रीददार नहीं मिला. पीबी कैपीटल नाम की कंपनी ने मौन्युमेंट रिएलिटी कंपनी से इसे ढाई करोड़ डॉलर में ख़रीद लिया. पीबी कैपीटल जर्मन कंपनी डॉयचे पोस्टबैंक की सबसिडयरी कंपनी है.
रिपोर्ट- एजेंसिंया/ एस जोशी
संपादन- आभा मोंढ़े