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लोगों की आवाजाही और माल ढुलाई में दुनिया का करीब एक तिहाई सीओटू उत्सर्जन होता है. शहरी यातायात को ग्रीन बनाकर कार्बन उत्सर्जन को घटाया जा सकता है. इससे भीड़भाड़ और जाम से भी छुटकारा मिल सकता है. आज के एपिसोड में हम जानेंगे कि शहरी यातायात और परिवहन के ढांचे में सुधार करके ना केवल ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाया जा सकता है, बल्कि वायु प्रदूषण, भीड़भाड़ और जाम से भी राहत मिल सकती है.
लोगों की आवाजाही और माल ढुलाई में दुनिया का करीब एक तिहाई सीओटू उत्सर्जन होता है. शहरी यातायात को ग्रीन बनाकर कार्बन उत्सर्जन को घटाया जा सकता है. इससे भीड़भाड़ और जाम से भी छुटकारा मिल सकता है.
कई जानकार हाइड्रोजन को जादुई ईंधन कहते हैं. इसे भविष्य का ईंधन बताया जाता है. दावा किया जाता है कि हाइड्रोजन ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटा सकता है. जानिए, हाइड्रोजन से जुड़े इस हाइप में कितनी सच्चाई है.
मौरितानिया रेगिस्तान में सौर ऊर्जा उत्पादन पर दांव लगा रहा है. हवा और हाइड्रोजन की भी देश में कोई कमी नहीं है. तीनों को मिलाकर ऊर्जा उत्पादन की कोशिशें जोर पकड़ रही हैं. अतिरिक्त ऊर्जा को निर्यात करने की योजना भी है. देखिए, स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में देश के कदम.
जर्मन कंपनी सीमेंस ने हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन बना ली है. यह ट्रेन जर्मन रेल ऑपरेटर डॉयचे बान के लिए बनाई गई है जो 2024 से पटरी पर दिखेगी. देखिये इस ट्रेन की खूबियां.
जर्मनी में एक पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है जिसमें नए तरह के ईंधन के इस्तेमाल की कोशिश हो रही हैं. यह ईंधन महंगा है लेकिन तकनीक के बड़े स्तर पर इस्तेमाल के साथ इसके सस्ते होने की उम्मीद भी है.
40 सेंटीमीटर मोटी शैवालों की परत सेहत के लिए कई तरह के खतरे लेकर आती है. हरे शैवालों के डिकंपोज होने पर जहरीली हाइड्रोजन सल्फाइड गैस निकलती है. फ्रांस के ब्रिटनी का एक बीच इन्हीं शैवालों की वजह से बर्बाद हो गया.
दुनिया के कई शहरों की तरह इंडोनेशिया की राजधानी भी यातायात की समस्या से जूझ रही है. गाड़ियों के शोरगुल और प्रदूषण के कारण जकार्ता की हवा बद से बदतर होती जा रही है. लेकिन रिसर्चर जकार्ता को हाइड्रोजन उर्जा के जरिए स्वच्छ बनाने में जुटे हैं.
हाइड्रोजन को बनाना बेहद खर्चीला है और यह गाड़ियों के लिए अभी उतना प्रचलित भी नहीं है. फिर क्यों वैज्ञानिक इसमें दिमाग खपा रहे हैं. हाइड्रोजन ऊर्जा की सच्चाई क्या है, जानिए.
जर्मनी में हाइड्रोजन के लिए एक बुनियादी ढांचा बनाया जाएगा. इसका उद्देश्य औद्योगिक पैमाने पर हाइड्रोजन इस तरीके से बनाना है जिसमें सीओ2 का उत्सर्जन ना हो. इस हाइड्रोजन का इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जाएगा.
पानी हाइड्रोन को दो और ऑक्सीजन के एक अणु से मिलकर बना है. अब वैज्ञानिक सिर्फ हाइड्रोजन से बिजली बनाने में जुटे हैं. ऐसी बिजली जो कम से कम प्रदूषण फैलाएगी.
पानी.. धरती पर सारा जीवन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के इस कमाल के मिश्रण पर ही निर्भर है. जहां पानी ना हो, वहां जीवन मुमकिन ही नहीं. लेकिन दुनिया भर में लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. आज के एपिसोड में इस समस्या को करीब से समझने की कोशिश करेंगे. जानेंगे कि इसे कैसे बदला जा सकता है.
मर्सिडीज नाम की कारें बनाने वाली जर्मन कंपनी डायमलर ने हाइड्रोजन ट्रक का मॉडल पेश किया है. क्या बिजली और गैस के ट्रक किफायती डीजल इंजन को मात दे सकेंगे?
अभी स्टील के उत्पादन में कोयले का इस्तेमाल होता है. लेकिन जर्मनी की सबसे बड़ी स्टील कंपनी कोयले की जगह हाइड्रोजन इस्तेमाल करना चाहती है ताकि पर्यावरण को नुकसान ना हो.
डीज़ल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों के कारण हमारी आबोहवा लगातार खराब होती जा रही है. हम अच्छी हवा में सांस ले सकें इसके लिए ज़रूरी है कि ईंधन के ऐसे विकल्प खोजे जाएं जिनसे धुआं ना हो. भारत में कई सालों से सीएनजी का इस्तेमाल हो रहा है, तो बेल्जियम में हाइड्रोजन बस चलाने की तैयारी चल रही है.
सितंबर महीने की शुरुआत में उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम के परीक्षण का दावा किया. उत्तर कोरिया से बाहर के विशेषज्ञों के लिए इन दावों की पुष्टि करना मुश्किल है लेकिन यह मुमकिन हो सकता है. आखिर ये हाइड्रोजन बम है क्या?
पेट्रोल और डीजल के बाद ईंधन बचाने के लिए अब कारों में सीएनजी और बैट्री का इस्तेमाल भी होने लगा है. पर एक बिल्कुल नया विकल्प है हाइड्रोजन.