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यूरोप रूसी गैस पर से अपनी निर्भरता घटाना चाहता है, लेकिन ऊर्जा के दूसरे स्रोत हासिल करना पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. यही हो रहा है पुर्तगाल में, जहां सरकार लीथियम के खनन की योजना बना रही है.
अमेरिकी कंपनी अमोगी ने अमोनिया से चलने वाला ट्रैक्टर तैयार किया है, जो हमारे पेशाब में खूब मिलता है. अमोनिया से कार्बन डाई ऑक्साइड नहीं निकलता और उसमें खूब ऊर्जा होती है. तो क्या यह कार्बन मुक्त ट्रांसपोर्ट के लिए अच्छा समाधान हो सकता है.
बर्लिन में भविष्य में रूसी गैस की आपूर्ति ठप हो जाने को लेकर तैयार रहने के लिए एक विशालकाय थर्मस बनाया जा रहा है. इसी की मदद से सर्दियों में शहर के घरों को गर्म रखने की योजना है.
पर्यावरण बचाने और अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल की वकालत करने वाले जर्मनी के सामने ऐसे हालात पैदा हो गए हैं कि इसे कोयले से चलने वाले अपने प्लांट दोबारा शुरू करने पड़ रहे हैं.
इटली के सिसिली द्वीप पर रहने वाले लोगों के सामने यूक्रेन युद्ध की वजह से एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए क्या उन्हें अपने खेत और रोटी गंवानी पड़ेगी, देखिए खास रिपोर्ट.
मौरितानिया रेगिस्तान में सौर ऊर्जा उत्पादन पर दांव लगा रहा है. हवा और हाइड्रोजन की भी देश में कोई कमी नहीं है. तीनों को मिलाकर ऊर्जा उत्पादन की कोशिशें जोर पकड़ रही हैं. अतिरिक्त ऊर्जा को निर्यात करने की योजना भी है. देखिए, स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में देश के कदम.
साइंस के खास शो 'मंथन' में इस बार जानिए कि इलेक्ट्रिक कारों का हमारी सेहत पर क्या असर पड़ सकता है. इसके अलावा बात होगी वर्चुअल दुनिया - ओम्नीवर्स की. साथ ही देखिए फ्रांस में चल रहा न्यूक्लियर फ्यूजन प्रयोग, जहां असीमित ऊर्जा का स्रोत तैयार करने की कोशिश जारी है. आखिर में आपको सैर करवाएंगे ठंडे समंदर, गर्म चश्मों और ज्वालामुखी वाले पुर्तगाल के हरे भरे द्वीप आजोरस की.
जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल से जलवायु को बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है. क्या न्यूक्लियर फ्यूजन इसका विकल्प बन सकता है और जीवाश्म ईंधनों पर हमारी निर्भरता खत्म कर सकता है? जानिए, फ्रांस में चल रहा न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी प्रयोग हमारे भविष्य के लिए क्या बेहतरी ला सकता है.
भारत में ऊर्जा और पर्यावरण परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में गुजरात को अव्वल बताया गया है. नीति आयोग ने यह रैंकिंग जारी की है. इसमें हिंदी पट्टी का बुरा हाल दिखाया गया है.
अपने पसंदीदा साइंस शो मंथन के इस एपिसोड में देखिए कि नींद में चलने की बीमारी क्यों होती है और क्या यह कभी ठीक हो सकती है? स्लीपवॉकिंग या नींद में चलने की बीमारी अकसर बच्चों को होती है. लेकिन कई बार बड़े भी इसके शिकार हो जाते हैं. इसके अलावा देखिए कि कई पीढ़ियों से मछली पकड़ने के काम में लगे मछुआरे ये पेशा क्यों छोड़ रहे हैं.
भारत हो या यूरोप में स्विट्जरलैंड, सस्ती और साफ ऊर्जा पाना आसान नहीं. आखिर स्विट्जरलैंड जैसे अमीर देश के सामने कैसी मुश्किलें हैं, देखिए.
दुनिया में सोलर पैनलों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. यह सस्ता है, सबसे क्लाइमेट-फ्रेंडली ऊर्जा स्रोतों में गिना जाता है. लेकिन इतने फायदों के बावजूद सोलर एनर्जी पूरी तरह से इको-फ्रेंडली नहीं है.
यूरोप अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर बहुत निर्भर है. इसीलिए रूस इस बात का अकसर फायदा उठाता है. लेकिन अब यूरोप के देश ऐसे प्रोजेक्टस पर काम कर रहे हैं ताकि उन्हें रूसी गैस की जरूरत ही नहीं रहे.
रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का नतीजा सबसे पहले कंपनियों पर दिखा है. दर्जनों दिग्गज कंपनियों ने रूस से कारोबार समेटना शुरू कर दिया है. इनमें कार से लेकर ऊर्जा, तकनीक, खेल, डाक और फिल्म से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं.
उत्पादन, यातयात और ऊर्जा का इस्तेमाल पर्यावरण और उसके ईको सिस्टम पर गहरा असर डालते हैं. हमारे द्वारा इस्तेमाल की जा रही ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा अब भी जीवश्म ईंधन से आता है. और आने वाले समय में ऊर्जा की मांग और भी बढ़ेगी. हानिकारक में "ग्रीनहाउस गैसों" के उत्सर्जन में कमी कैसे लाई जाए? समय से निपटने के क्या हल है? इसी पर करेंगे चर्चा इस एपिसोड में.
खगोलविदों ने हमारे पड़ोसी सौर मंडल प्रॉक्सिमा सेंटोरी में पृथ्वी जैसा एक ग्रह खोजा है. यह एक बड़ी खोज है. आइए, देखते हैं कुछ ऐसी ही और बड़ी खोजें, जो भविष्य बदल सकती हैं.
अब भी कई देश परमाणु ऊर्जा में निवेश कर रहे हैं लेकिन जर्मनी इसका इस्तेमाल बंद कर रहा है. यहां बंद होने जा रहे ब्रॉकडॉर्फ परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बाहर 35 साल से परमाणु ऊर्जा विरोधी प्रदर्शन जारी था.
उत्तरी इटली में विगनेला एक गहरी घाटी के तल पर स्थित है. हर सर्दियों में 83 दिनों तक धूप नहीं मिलती है, लेकिन एक विशाल शीशा शहर के चौक पर सूरज की रोशनी को बिखेरता है.
सूर्य में ऊर्जा की मांग को पूरा करने की अत्यधिक क्षमता है, लेकिन सौर ऊर्जा भंडारण अभी भी समस्याओं भरा है. स्पेन में वैज्ञानिक नई तकनीक का परीक्षण कर रहे हैं, उनका कहना है कि इससे दुनिया को अपने जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है.
बिजली उत्पादन में हवा की अहमियत बढ़ती ही जा रही है. बड़ी बड़ी टरबाइनें यानी पवनचक्कियां बनने लगी हैं- ज्यादा ऊंची और ज्यादा कारगर. दुनिया में करीब सात प्रतिशत बिजली पवन ऊर्जा से मिल ही रही है. तो आगे क्या?