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लेस्बियन, गे, ट्रांसजेंडर, बायसेक्शुअल या क्वीयर- चाहे कोई किसी भी तरह की लैंगिक पहचान या यौन वरीयता वाला इंसान हो, दुनिया में कहीं भी उनके जाने पर रोक तो नहीं होनी चाहिए. देखिए कौन से हैं सबसे क्वीयर-फ्रेंडली ठिकाने.
दक्षिण अमेरिकी देश बोलिविया में महिलाओं की कुश्ती बड़ी मशहूर है. स्कर्ट पहन कर कुश्ती करने वाली 'चोलिता' अपने प्रतिद्वंद्वी को ही नहीं समाज में मौजूद कई तरह के भेदभाव को भी पटखनी दे रही हैं.
अफगानिस्तान में रहने वाले सिख हमेशा से अपने साथ धार्मिक आधार पर भेदभाव होने की शिकायत करते आए हैं. लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद उनके सामने अपना वतन छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है.
पुरस्कारों से नवाजे गए लंदन के एक रेस्तरां की मालकिन असमा खान केवल आप्रवासी महिलाओं की टीम के साथ काम करती हैं. वे भारतीय पकवानों के साथ लैंगिक बराबरी का संदेश भी परोस रही हैं.
सूखे से तबाह होती फसल हो या बढ़ते जलस्तर से डूबते घर, जलवायु परिवर्तन का असर पुरुषों से ज्यादा महिलाओं पर होता है. इसकी वजह है लैंगिक असमानता. ईको इंडिया के इस एपिसोड में मिलिए उन महिलाओं से, जो इससे निपटने के उपाय कर रही हैं.
यूरोप में भी मूल निवासियों को भेदभाव की वजह से अपनी पुश्तैनी जमीन गंवानी पड़ी. उत्तर स्कैंडिनेविया और रूस के कोला पेनिनसुला में रहने वाले सामी समुदाय के लोग हज़ारों सालों से रेंडियर पलते आए हैं. स्वीडन की अदालतों में उनकी ऐतिहासिक जीत ने दुनिया भर में अपनी ज़मीन के हक के लिए लड़ने वाले समूहों को प्रेरित किया है.
लैंगिक समानता की एक सदी पहले तक कल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन दुनिया भर में अनगिनत महिलाओं और पुरुषों ने इसके लिए संघर्ष किया और आज यह मूलभूत अधिकार बन गई है. हालांकि अब भी बहुत सी जगहों पर यह असमानता कायम है. कोरोना की महामारी में यह और ज्यादा उभर कर सामने आई है. आज के एपिसोड में उन महिलाओं की चर्चा करेंगे जो इसके लिए लड़ाई लड़ रही हैं.
पाकिस्तान के कराची शहर में ट्रांसजेंडरों के लिए देश का पहला चर्चा बनाया गया है. यहां ईसाई ट्रांसजेंडर बिना किसी भेदभाव के प्रार्थना कर सकते हैं.
कहीं पारंपरिक धारणाओं के चलते तो कहीं जागरूकता की कमी के चलते आज भी दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
दुनिया भर में भेदभाव बढ़ रहा है. आप जितने सपन्न हैं, जलवायु परिवर्तन के असर आप उतना ही कम महसूस करते हैं. लेकिन धीरे धीरे लोगों को यह अहसास होने लगा है कि और वे अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हैं, कुमार मंगलम बिड़ला की बेटी अनन्या बिड़ला उन महिला किसानों की मदद करने में लगी हैं जिन्हें जलवायु परिवर्तन के सीधे असर झेलने पड़ रहे हैं.
भारत में कोरोना संकट की वजह से लागू लॉकडाउन में लाखों लोगों के सामने दो वक्त का खाना एक चुनौती बन गया है. वहीं धार्मिक भेदभाव भी कई लोगों के लिए रोजी रोटी में बाधा बन रहा है.
दुनिया के अलग अलग हिस्सों में 2019 के दौरान करोड़ों लोग सड़कों पर उतरे. कहीं उन्होंने लोकतंत्र के लिए नारे बुलंद किए तो कहीं धार्मिक आधार पर भेदभाव का विरोध किया. कोई अपनी सरकार से नाखुश था तो किसी को भविष्य की चिंता थी.
म्यांमार के पश्चिमी रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों की आबादी लगभग दस लाख है. लेकिन उनकी जिंदगी प्रताड़ना, भेदभाव, बेबसी और मुफलिसी से ज्यादा कुछ नहीं है. आइए जानते हैं, कौन हैं रोहिंग्या लोग.
दुनिया में कई जगहों पर महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. कहीं श्रद्धालुओं का ध्यान भटक जाने का तर्क दिया जाता है तो कहीं धार्मिक मान्यताओं का. एक नजर इन जगहों पर.
वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के मुताबिक महिलाओं और पुरुषों के बीच लैंगिक अंतर को पाटने की रफ्तार धीमी हुई है. दुनिया इसी रफ्तार से चलती रही तो इस खाई को पाटने में 108 साल और लगेंगे. फिलहाल महिलाओं के लिए 10 बेहतरीन देश ये हैं.
रूस में एचआईवी संक्रमण तेजी से फैल रहा है और 10 लाख से ज्यादा लोग इसके शिकार हैं. चलिए वहां के एक चिल्ड्रंस होम में जहां एचआईवी पॉजिटिव और एचआईवी नेगेटिव बच्चों को साथ रखा जा रहा है.
विज्ञापनों का मकसद सामान बेचना होता है. इसके लिए खरीदार को टार्गेट किया जाता है. कभी महिलाएं खुद टार्गेट होती हैं, तो कभी उनकी वजह से पुरुष कोई खास सामान खरीदने को प्रेरित होते हैं.
एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के साथ भेदभाव करना अब जुर्म होगा. भारत सरकार ने एचआईवी/एड्स अधिनियम, 2017 की अधिसूचना जारी कर दी है और 10 सितंबर से यह पूरे देश में लागू हो गया है. आइए जानते हैं, क्या है इस एक्ट में.
भारत से आई बंजारा जातियां सिंती और रोमा 600 साल से अधिक से यूरोप में रहती हैं. नाजी जर्मनी में उनके साथ भारी भेदभाव हुआ, जबरन नसबंदी की गई और बहुतों को मार डाला गया. बाद में जर्मन समाज ने भी उनके उत्पीड़न को नकारा.
लैंगिकता से जुड़ी बातें अकसर खुल कर नहीं की जाती. यही वजह है कि किन्नर, ट्रांसजेंडर और इंटरसेक्स जैसे शब्दों का सही मतलब भी कम ही लोगों को पता होता है. आइए समझें कि इंटरसेक्स लोग महिला और पुरुषों से कैसे अलग होते हैं.