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सोचिए एक ऐसा रोग, जिसके बारे में लंबे वक्त तक पता ही न चले कि वह आपके शरीर में पनप रहा है. बैक्टीरिया से होने वाली ऐसी ही एक बीमारी है सेप्सिस, जो जानलेवा साबित हो सकती है. इसमें बैक्टीरिया फेफड़ों में जाकर कई गुना बढ़ जाते हैं और उसे जहर से भर देते हैं. यही जहर खून के साथ शरीर के सब अंगों में पहुंच कर उन्हें बीमार बनाता है. आज जानिए कि ऑर्गन फेल्यर से जान जाने वाले मामले असल में होते क्यों हैं.
सोचिए एक ऐसा रोग, जिसके बारे में लंबे वक्त तक पता ही न चले कि वह आपके शरीर में पनप रहा है. बैक्टीरिया से होने वाला ऐसा ही एक रोग है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है.
मॉडर्न साइंस ने बेशक हमें बीमारियों के इलाज के नए तरीके दिए हैं, लेकिन उनके साइड इफैक्ट्स होते हैं. वहीं इलाज के प्राकृतिक तरीके अपनाने पर उनके साइड इफैक्ट का खतरा कम होता है.
मॉडर्न डाइट के हिसाब से पतले रहने के लिए लोग कम फैट वाला खाना खाने का सुझाव देते हैं. तो जाहिर है कि घी जो कि पूरी तरह से फैट से भरा है उसे भी खाने को मना करेंगे. लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है, जानते हैं विज्ञान की नजर से.
आंखों को शरीर का दर्पण यूं ही नहीं कहते. आंखों का रंग सेहत के बारे में बहुत कुछ कहता है. आखिर क्या कहती हैं आंखें, आइए जानते हैं.
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद से डिप्रेशन और ड्रग एडिक्शन जैसे शब्दों का काफी इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन हर मानसिक रोग डिप्रेशन नहीं होता. जानिए तनाव और डिप्रेशन में क्या फर्क है.
लंबे शोधों के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिक ऐसे नौ कारणों पर सहमत हैं, जो कैंसर के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं. जानिए ये 9 कारण.
स्लीप एपनिया या खर्राटे रोकने के बनी एक डिवाइस कोरोना वायरस के मरीजों में भी खासी सफल हो रही है. हैरानी की बात है कि रोगी ज्यादा तेजी से ठीक भी हो रहे हैं. असल में श्वांस नाल में आने वाले ऐसे अवरोधों के चलते ही नींद खुलती है और कुछ लोगों को खर्राटे भी आते हैं. ये मशीन इन्हीं परेशानियों से निजात दिलाती है.
पर्यावरण इंजीनियर भूषण तुलाधकर कहते हैं कि तेजी से विकास होने की वजह से नेपाल की राजधानी काठमांडू दुनिया की सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाले शहरों में शामिल हो गई है. यहां रहने वाले लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.
एंटीबायोटिक के खतरे को लेकर दुनियाभर में बात हो रही है. इन दवाओं का अनियमित इस्तेमाल बहुत नुकसान पहुंचा रहा है. जानिए, क्या हैं इन दवाओं को खाने के कायदे...
भारत के हैदराबाद में अस्थमा के रोगियों के इलाज के लिए एक अनोखा तरीका प्रचलित है. मरीजों को एक विशेष मछली पूरी निगलनी होती है, वो भी जिंदा.
जर्मनी के ट्यूबिंगन के रिसर्चर शरीर की कोशिकाओं में पाया जाने वाला आरएनए से दवा बनाने की फिराक में हैं. रिसर्चरों को आरएनए से बड़ी उम्मीदें हैं. अगर प्रयोग सफल हुआ तो यह अणु खुद ही शरीर में पैदा होने वाले रोगों का इलाज कर पाएगा. इससे कैंसर और दूसरी बीमारियों के लिए टीका भी बन सकता है.
क्या आंखों को देख कर किसी की बीमारी का पता लगाया जा सकता है?
पहले कैंसर के रोगियों से बिस्तर में रहने और आराम करने को कहा जाता था. लेकिन आज कहा जा रहा है कि जितनी ज्यादा कसरत हो, उतना अच्छा. देखिए.
जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से कई लोग परेशान रहते हैं. डॉक्टरों के चक्कर लगाने पर भी गठिया जैसे रोगों का कारण पकड़ में नहीं आता. भविष्य में स्पोर्ट्स मेडिसिन में इस्तेमाल होने वाले कुछ जांच के तरीकों से आम मरीजों को भी मदद मिल सकेगी. कैमरे और मोशन ऐनेलाइजर कैसे शरीर की हरकतों को पकड़ कर, बीमारी के कारण को भी पकड़ते हैं.
इलाज का तरीका चाहे जो भी हो, उससे कैंसर भले ही ठीक हो जाए, फिर भी मरीजों में कई साइड इफेक्ट दिखते हैं. लेकिन अगर इलाज के दौरान रोगी कसरत भी करें तो साइड इफेक्ट्स कम होते हैं. व्यायाम बीमारी से जल्द उबारने में भी मदद करता है.
मरीजों के स्वास्थ्य में अस्पतालों की साफ सफाई की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. सबसे ज्यादा जानें वहां मौजूद कीटाणुओं से जाती है. जर्मन अस्पतालों में अब इस पर ध्यान दिया जा रहा है.
दुनिया भर में हर साल 44 करोड़ लोग टाइप 2 डायबिटिज के शिकार होते हैं. 35 साल पहले की तुलना में यह चार गुना ज्यादा है. और इसकी मुख्य वजह है मोटापा.
जर्मनी में वैज्ञानिकों ने संक्रमित घावों पर ठंडे प्लाज्मा का टेस्ट किया है और अब उससे इलाज की इजाजत दे दी है.
यहां देखिए 1994 में बने बांग्लादेश के मशहूर पबना मेंटल हॉस्पिटल के पागलखाने में मानसिक रोगियों की स्थिति को दर्शाती कुछ दुर्लभ तस्वीरें.