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जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप हमारी जानकारी को और बड़ा आसमान देता है. इसके और ब्लैकहोल के बारे में खगोल शास्त्री क्नूद यानके के पास बड़ी दिलचस्प जानकारियां हैं.
धरती पर कितना पानी है, ये तो हम जानते हैं, लेकिन क्या अंतरिक्ष में भी पानी है और अगर है तो क्या हम उसे इस्तेमाल कर सकते हैं और पृथ्वी पर मौजूद पानी के संकट से निपट सकते हैं, चलिए जानते हैं.
1998 में बना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल है. अब रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इसका भविष्य खटाई में पड़ता दिख रहा है.
छह महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद स्पेस एक्स कंपनी के अंतरिक्ष यात्री लौट आए हैं. देखिए, कैसे लौटे ये यात्री और कैसा रहा अभियान.
यूक्रेन और रूस मैदान-ए-जंग के साथ-साथ साइबर स्पेस में भी लड़ रहे हैं. यहां भी लड़ाई कम खतरनाक नहीं है. जानिए कैसी लड़ी जाती है साइबर जंग.
अंतरिक्ष को लेकर हमेशा से इंसानों के अंदर जिज्ञासा रही है. बीती सदी में उसे समझने की दिशा में बहुत काम हुआ है. लेकिन अब कुछ लोग वहां जाकर छुट्टियां मनाने की बात कर रहे हैं. लेकिन इस पर कितना खर्च आएगा?
डोमिनिका वूलेत्सालेक जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का इस्तेमाल कर रिसर्च करने वाले पहले लोगों में से एक होंगी. हाइडेलबर्ग यूनिवर्सिटी की इस खगोल भौतिकी विज्ञानी का लक्ष्य आकाशगंगाओं के केंद्र में बसे सुपरमैसिव ब्लैक होल को समझना है.
यह आकार में अनानास के बराबर है, वजन में एक टोस्टर जितना और दिखने में अखरोट के जैसा. यह है हमारा दिमाग. यही हमें और हमारे शरीर को नियंत्रित करते हैं. लेकिन कैसे, देखिए.
46 साल के यूसाकु माइजावा पिछले साल 8 दिसंबर को रूसी सोयुज स्पेसक्राफ्ट से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए थे. 2009 के बाद से वह अपने पैसों से अंतरिक्ष में घूमने जाने वाले पहले शख्स हैं.
अंतरिक्ष में जीवन कैसा होता है? वहां लोग सूसू-पॉटी कैसे जाते हैं, सेक्स कैसे करते हैं, खाना कैसे खाते हैं जैसे सवाल सबके मन में उठते हैं. लीजिए सात ऐसे ही जरूरी सवालों के जवाब जानिए...
अंतरिक्ष से लौटते हुए कई यान दुर्घटना का शिकार हुए हैं जिनमें कई अंतरिक्ष यात्री मारे गए हैं. इनमें भारतीय मूल की कल्पना चावला भी हैं. आखिर अंतरिक्ष से वापस धरती पर लौटना इतना मुश्किल क्यों है?
रूस ने एक बार फिर अंतरिक्ष के मामले में अमेरिका से बाजी मार ली है. अंतरिक्ष में शूट होने वाली पहली फिल्म के लिए एक्टर और निर्देशक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच गई हैं.
तीस साल से अंतरिक्ष को निहारने वाली हबल दूरबीन के जरिए हमें ब्रह्मांड के सुदूर कोनों की अद्भुत तस्वीरें हासिल होती रही हैं. यहां एक निगाह डालते हैं उस दूरबीन की भेजी चुनिंदा सर्वश्रेष्ठ तस्वीरों पर.
अंतरिक्ष पर्यटन की शुरुआत को 20 साल पूरे हो गए हैं. लेकिन आज भी यह पर्यटन बस कुछ लोगों के लिए ही उपलब्ध है. देखिए, किस किस ने स्पेस की सैर की है.
जेफ बेजोस के क्रू में शामिल 82 साल की पायलट वॉली फंक दुनिया की सबसे बुजुर्ग अंतरिक्षयात्री बन जाएंगी. विश्व के सबसे अमीर व्यक्ति बेजोस 20 जुलाई को न्यू शेपर्ड रॉकेट में पहली निजी अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाले हैं.
देखा जाए तो शहर बहुत उदास, बेजान से होते हैं. जहां देखो ईंट पत्थर और स्टील की इमारतें. इन्हें बनाने में मुनाफा होता है, जबकि ग्रीन स्पेस महंगे पड़ते हैं. पर ये भी तो सच है कि आसपास हरियाली हो तो लोग खुश रहते हैं. इसलिए जर्मनी के एक आर्किटेक्ट ने इन दोनों का सही संतुलन खोजा है.
पिछले बीस साल से इंटरनेशनल स्पेस सेंटर काम कर रहा है और हमें अंतरिक्ष की अनदेखी दुनिया से परिचित कर रहा है. लेकिन एक सवाल यह है कि यह कैसे अंतरिक्ष में टिका हुआ है. यह धरती की तरफ क्यों नहीं गिरता, देखिए.
मंथन के इस एपिसोड में स्पेस टेलीस्कोप हबल के 30 सालों के सफर पर एक नजर, जलवायु परिवर्तन के असर से जूझते सिएरा लियोन के मछुआरे और ड्रोन कैमरे से प्रकृति की खूबसूरती कैद करने में माहिर स्विस फोटोग्राफर से मुलाकात.
ब्रह्मांड के बारे में गहराई से समझने में इंसान की जितनी मदद हबल स्पेस टेलीस्कोप ने की है उतनी और किसी ने नहीं. पिछले 30 सालों से अंतरिक्ष में इंसान की आंख बन कर जबर्दस्त काम कर रहे हबल की यात्रा में मुश्किलें भी आईं.
स्मार्टफोन भी क्या कमाल की चीज है ना. सेल्फी लो और जहां चाहे भेज दो. कोई आपसे कितना भी दूर हो, उसे फौरन आपकी तस्वीर मिल जाती है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि ये जो सैटेलाइट स्पेस से हमें धरती की तस्वीरें भेजते हैं, वे कैसे काम करते हैं?