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कैसा महसूस होगा मंगल पर रहना, धरती पर चल रहे ऐसे प्रयोगों पर एक नजर मंथन के इस एपिसोड में. लाल ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाने वाले से लेकर उसकी जमीन पर उतर कर चलने वाले रोवर तक भेजे गए. लेकिन एक दिन वहीं इंसानी बस्तियां हों इसके लिए अभी से धरती पर ही मंगल जैसे माहौल में रहने की ट्रेनिंग की जा रही है. इसके अलावा अपने पसंदीदा साइंस शो में देखिए कि कैसी है हमारी आकाशगंगा.
कहीं अमीरों के लिए आलीशान कोठियां बन रही थीं, तो कहीं कामगारों की बस्तियां पनप रहीं थीं. दुनिया के कुछ ऐसे इलाके आज वीरान पड़े हैं.
यूरोप की प्रमुख नदियों के आसपास का जंगल हुआ करते थे जो पानी सोखकर कम ऊंचाई पर बनी बस्तियों को बाढ़ से बचाते थे. विकास के नाम पर ये पारिस्थितिकी तंत्र तबाह कर दिए गए. पूर्वोत्तर जर्मनी में एक संरक्षण परियोजना बचे हुए लैंडस्केप में नई जान डालने की कोशिश कर रही है.
कोलकाता की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली सुल्ताना बेगम का दावा है कि वह दिल्ली के लाल किले की मालकिन हैं. इसके लिए वह कई साल से लड़ाई लड़ रही हैं.
जमीन को इस्तेमाल करने का तरीका बदलने से ईकोसिस्टम पर काफी दबाव पड़ता है. बढ़ती आबादी को रहने और खेती के लिए ज्यादा जगह चाहिए. पश्चिमी भारत के आईटी-हब पुणे के पास बस्ती के फैलाव से एक ऐसा समुदाय खतरे में है जिसके जीने के पारंपरिक तरीकों ने सदियों से घास के मैदानों की रक्षा की है.
जो बच्चे स्कूल नहीं जा सकते, उन तक स्कूल को लेकर जाना. दिल्ली में कुछ लोग यही कर रहे हैं. उन्होंने एक बस को स्कूल में तब्दील किया है और आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर लोगों की बस्तियों में जाकर लोगों को पढ़ा रहे हैं.
मकोको को नाइजीरिया के सबसे बड़े झुग्गी बस्ती इलाकों में गिना जाता है. यहां हजारों लोग पानी के बीचोंबीच मचानों पर बने घरों में रहते हैं. यहां मुश्किल हालात में रहने वाले बच्चे बेहतर भविष्य के सपने देख रहे हैं.
साफ सुथरे पर्यावरण के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा गरीबी है. भारत के करोड़ों गरीब लोग झुग्गियों में रहते हैं, जिनके पास ना तो साफ पानी की सुविधा होती है, ना ही इलाज कराने की. इन लोगों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाना काफी मुश्किल भी है क्योंकि इनका पता भी कहीं रजिस्टर नहीं होता है. महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक आर्किटेक्ट ऐसे लोगों की मदद कर रही है.
केन्या की राजधानी के बीचों बीच मिशुकी पार्क इस बात की मिसाल है कि सोच बेहतर हो, तो क्या संभव नहीं है. नैरोबी के झुग्गी बस्ती इलाके में लोगों ने अपने आसपास की साफ सफाई खुद करने की ठानी है.
1990 के दशक की बॉलीवुड फिल्मों में झुग्गी बस्ती का एक दादा होता था, जो गुंडों का सहारा लेकर बस्ती के लोगों को धमकाता था. केन्या की राजधानी नैरोबी में ऐसा सीन आज भी हकीकत है.
मुंबई के धारावी को दुनिया के सबसे बड़े झुग्गी बस्ती इलाकों में गिना जाता है. लेकिन इस इलाके में एक पूरी अर्थव्यवस्था चलती है और करोड़ों का व्यापार होता है. अब वहां के कारोबारी ऑनलाइन हो रहे हैं.
मुंबई में धारावी की झुग्गी बस्ती एशिया का सबसे बड़े स्लम है. यहां कोरोना के फैलने का डर था. उस पर नियंत्रण कर लिया गया. लेकिन क्या कीमत चुकानी पड़ी वहां के लोगों और कारोबार को.
दुनिया भर में जानवरों की रिहाइश घट रही है और वो इंसानी बस्तियों के करीब आ रहे हैं. जानकार मानते हैं कि इसके नतीजे में कोविड19 जैसी बीमारियों का खतरा आने वाले दिनों में और बढ़ेगा.
एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती कही जाने वाली धारावी में स्वास्थ्य कर्मचारी तमाम मुश्किलों के बावजूद कोरोना को काबू करने में जुटे हैं. बारिश और उमस वाले मौसम में धारावी जैसे क्षेत्र में काम करना बड़ी चुनौती है.
अफ्रीकी देश केन्या की एक झुग्गी बस्ती में फोटोग्राफर डॉनविल्सन ओढियाम्बो को एक खास तरह की हेयरस्टाइल नजर आई. कोरोना काल में यहां रहने वाली एक महिला ने अपनी बेटियों के बाल कोरोना वायरस जैसे बना डाले थे.
दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली भरपाई कहती हैं कि पहले कोरोना से मर रहे थे, अब भूख से मरेंगे. जानिए भारत में लॉकडाउन की वजह से वे गरीब कैसे रह रहे हैं जो रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं.
दिल्ली के आदर्श नगर के पास एक पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी बस्ती है. बस्ती में करीब 600 हिंदू शरणार्थी रहते हैं. नागरिकता संशोधन बिल के संसद में पास हो जाने के बाद भारत को अपना घर बनाने की उनकी इच्छा पूरी होती दिख रही है.
जर्मनी को धनी देश माना जाता है, लेकिन परिवार के जेब में खर्च करने के लिए धन, देश के अलग अलग इलाकों में कम या ज्यादा है. पूर्वी जर्मनी के परिवारों की माली हालत एकीकरण के 30 साल बाद भी खस्ता है.
महल दुनिया भर में शासकों के वैभव का प्रतीक रहे हैं. काल के प्रवाह में कई महल ध्वस्त हुए तो कुछ के मिजाज बदल गए. जहां कभी राजा रहते थे वहां अब कहीं लोकतंत्र बसता है तो कहीं म्यूजियम और होटल और कहीं अब भी राजशाही बसती है.
हॉलैंड की राजधानी एम्सटर्डम के एक खंडहर में कुछ लोग पहुंचे. उन्होंने सांस्कृतिक लिहाज से बिल्कुल अलग दुनिया बसा डाली. आम समाज से दूर एक नया आजाद समुदाय. 21 साल बाद बुलडोजरों ने इस दुनिया को फिर से खंडहर में बदल दिया है.