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बच्चों के आसपास की जगह साफ और सुरक्षित होनी चाहिए. लेकिन, बच्चे घर के अंदर और बाहर पर्यावरण प्रदूषण की चपेट में हैं. आज हम आपको मिलाएंगे उन बच्चों से, जो अपने साथी बच्चों के साथ-साथ धरती को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
मेक्सिको में एक डॉक्टर ने गरीब विकलांग बच्चों की जिंदगी बदलने का बीड़ा उठाया है. डॉ. ऑस्कर हुआरेज के कारण दर्जनों बच्चे ‘सुपरहीरो’ बन चुके हैं.
दुनिया के तमाम देशों में बच्चे पर्यावरण से जुड़े ऐसे काम कर रहे हैं, जिनसे वैज्ञानिकों को मदद मिलती है. जर्मनी के ये बच्चे इसमें कई कदम आगे निकल गए हैं.
मिलिए 11 साल की एमान दानिश से, जिनकी बनाई गुड़ियां पूरे पाकिस्तान को तो सबक दे ही रही हैं. बाकी दुनिया भी इनसे सीख सकती है.
भिवाड़ी को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर माना गया है. इस प्रदूषण की जिम्मेदार है एक खास चीज, जो इंसान के बाल से भी पतली होती है. इसकी वजह से भिवाड़ी के लोगों, खासकर बच्चों की सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है.
मिस्र का 13 साल का यह किशोर इंटरनेट की दुनिया का नया सितारा है. ओमार वाएल एक सॉफ्टवेयर डिवेलपर है, जो अपना मेटावर्स बना रहा है.
महानगरी मुंबई तेंदुओं का भी घर है. दुनिया के सबसे सघन शहरों में से एक मुंबई से, मानव-तेंदुआ टकराव की खबरें आती रही हैं. एक स्थानीय अभियान इंसान और तेंदुओं के सह-अस्तित्व के लिए काम कर रहा है. छोटे बच्चों को सिखाया जा रहा है कि तेंदुए की क्या अहमियत है और उसका बचाव कैसे किया जा सकता है.
प्लास्टिक के खिलौने बच्चों का और आपका मन चाहे जितना बहला लें, इनसे निकलने वाले जहरीले तत्व हमारे शरीर में जाते हैं, टिकते हैं और बढ़ते हैं. क्या है इनसे बचने का तरीका, खुद बच्चे ही बता रहे हैं.
ज्योति करीब दस साल पहले सड़कों पर कचरा बीनती थीं. लेकिन आज वह ना सिर्फ खुद की, बल्कि सड़क पर रहने वाले दूसरे बच्चों की जिंदगी भी संवार रही हैं. उनकी जिंदगी को 'बालकनामा' ने बदला.
अमेरिका में कोरोना महामारी से मरने वालों की संख्या दस लाख के पार हो गई है. महामारी के दौरान हजारों बच्चों ने अपने माता-पिता या किसी एक को खो दिया है. ऐसे बच्चे अब अचानक से अकेले पड़ गए हैं.
स्वीडन में, खासकर इसके ग्रामीण इलाकों में पुरानी कारों में बदलाव करके उन्हें आवागमन के सस्ते विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करने की परंपरा रही है. ऐसी ही एक कार पश्चिमी स्वीडन के ऑवेस्ता शहर में रहने वाले किशोर उम्र के लड़कों के बीच काफी लोकप्रिय है. यह उनके लिए इंजीनियर सीखने की एक चलती-फिरती प्रयोगशाला भी है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि भारत में एनीमिया से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ गई है. क्या बच्चे, क्या वयस्क, क्या महिलाएं और क्या पुरुष, सभी में एनीमिया बढ़ता जा रहा है.
2021 में आरटीआई से पता चला था कि भारत में 33 लाख से भी ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं. अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) से पता चला है कि करीब 90 प्रतिशत छोटे बच्चों को पर्याप्त खाना नहीं मिल पाता है.
बोलीविया के नमक के मैदान पर सैकड़ों टूरिस्ट आते हैं और फोटो खिंचाते हैं. लेकिन सब लोग 11 साल के एक बच्चे से फोटो खिंचाना चाहते हैं. पीटर कोंडोरी नाम का यह बच्चा स्टार बन गया है.
रोते हुए बच्चे को चुप कैसे कराएं? कैसे पता चलेगा कि बच्चा भूख की वजह से रो रहा है या दर्द की वजह से? जब बच्चा दुनिया में आता है, तो अपने साथ कई अनसुलझे सवाल भी ले कर आता है. नए नए मां बाप के पास अकसर इन सवालों के जवाब नहीं होते. और उन्हें लोगों से इतनी अलग अलग तरह की नसीहतें मिलती हैं कि समझ में ही नहीं आता कि क्या सही है और क्या गलत.
बिहार भारत के सबसे गरीब राज्यों से एक है. यहां बेरोजगारी भी एक प्रमुख समस्याओं में से एक है. ऐसे में एक स्कूल प्रोग्राम के जरिए बच्चों को टिकाऊ कारोबार शुरू करने के तरीके सिखाए जा रहे हैं.
घाना में एक अजीब मान्यता है. लोग मानते हैं कि यहां पैदा होने वाले जुड़वां बच्चों को खुश रखना चाहिए, वरना उन पर मुसीबत आ सकती है. अब इसी बहाने कई ऐसे माता-पिता, जिनके यहां जुड़वां बच्चे होते हैं, वे भीख मांगते हैं.
यूक्रेनी शहर ल्वीव की एक जगह, जो कभी कठपुतलियों का थिएटर हुआ करती थी, वह जंग शुरू होने के बाद परिवारों के लिए पनाहगाह बन गई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सांस फूलना और याद्दाश्त से जुड़ी समस्याएं लॉन्ग कोविड के प्रमुख लक्षणों में से हैं. इसके अलावा एकाग्रता में समस्या, अवसाद, चिंता और भयानक थकान भी इसके लक्षणों में शामिल हैं. लॉन्ग कोविड की इन समस्याओं से सिर्फ व्यस्क नहीं, बल्कि बच्चे भी जूझ रहे हैं.
हमें हमेशा यही बताया जाता है कि औरत की जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन वो होता है जब वो मां बनती है. जैसे ही मां बच्चे को गोद में लेती है उसके चहरे पर दुनिया की सबसे प्यारी मुस्कराहट आ जाती है. ऐसा होता तो है लेकिन हमेशा नहीं. बहुत सी औरतें बच्चे को गोद में लेते ही उदास महसूस करती हैं, उन्हें बच्चे से कोई जुड़ाव महसूस नहीं होता. और सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस बारे में कोई बात भी नहीं करता.