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भारत इन दिनों तपती गर्मी से जूझ रहा है. ऐसे में दिल्ली के लैंडफिल्स में आग लगने की वजह से पारा और चढ़ रहा है. लेकिन बार-बार कूड़े के इन विशाल ढेरों में आग लगने की वजह क्या है, जानिए
दिल्ली के कई इलाकों में लोग उत्पात मचाते बंदरों के चलते दहशत में हैं. कोई नहीं जानता, कितने हजार बंदर शहर में घूम रहे हैं. हर साल बंदरों के हमले की कई घटनाएं सामने आती हैं. कई विशेषज्ञ बंदरों की आबादी पर काबू पाने के लिए उनकी नसबंदी के पक्ष में हैं, लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ता मानते हैं कि इससे समस्या बढ़ेगी ही- कम नहीं होगी.
भयंकर गर्मी की मार झेल रहे दिल्ली के एक ऑटोरिक्शा चालक ने अपने ग्राहकों के लिए कमाल का काम किया है. महेंद्र कुमार ने ऑटो की छत पर पौधे उगा लिए हैं ताकि अंदर ठंडक रहे.
दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में तालाब हुआ करते थे. इन वेटलैंड में प्राकृतिक वर्षा जल का संग्रह होता था और भूजल भंडार को फिर से भरने में मदद मिलती थी. लेकिन ये वेटलैंड धीरे-धीरे कचरा फेंकने की जगहों में बदल गए या इन पर ऊंची इमारतें बन गईं. अब एक भारतीय इंजीनियर इन तालाबों को बहाल करने की कोशिश कर रहा है.
सोमवार को दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल में फिर आग भड़क गई जिसे बुझाने के लिए दमकलकर्मी घंटों तक जूझते रहे. पहले भी यहां पर ऐसी तरह की घटनाएं होती रही हैं.
ध्वनि प्रदूषण पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा शोर मचाने वाले शहरों में शीर्ष पर दक्षिण एशियाई शहर शामिल हैं.
साल 2021 में कोई भी देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरा है. एक कंपनी ने 6,475 शहरों का सर्वे कर यह चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है.
भारत को अक्सर ही दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी कहा जाता है. यहां नदियों को भगवान मानकर पूजा जाता है. पेड़ों और पत्थरों को पवित्र माना जाता है. ऐसे में पर्यावरण कार्यकर्ता आध्यात्मिक रुझान वाले समुदायों को धरती बचाने की दिशा में प्रेरित कर रहे हैं.
दिल्ली-एनसीआर के करीब साढ़े चार करोड़ लोगों का मल मूत्र और उद्योगों का कचरा यमुना में मिलता है. जरा देर के लिए दिल्ली आने वाली यमुना राजधानी से निकलते निकलते मरणासन्न हो जाती है. डीडब्ल्यू के इकोफ्रंटलाइंस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली से पूजा बिष्ट की रिपोर्ट.
दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले शहरों में भारत के पांच शहर शामिल हैं. मुंबई और बेंगलुरू जैसे महानगर का नाम इस सूची में है. और कौन से शहर हैं इस सूची में जानिए.
लंबे समय तक बंद रहने के बाद पश्चिम बंगाल में स्कूल फिर से खुल गए हैं. पश्चिम बंगाल में बच्चों के लिए ओपन स्कूल शुरू हो गए हैं. देखिए. वहां बच्चे कैसे पढ़ रहे हैं.
गंगा यमुना का मैदान दुनिया के सबसे उपजाऊ इलाकों में एक है. लेकिन खेती में बेहिसाब कीटनाशक इस्तेमाल करने के कारण अब भारत में लोगों और नदियों की सेहत खतरे में है. डीडब्ल्यू के जीवनधारा प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली से आशीष गुंसाई की रिपोर्ट.
तेजी से बढ़ती शहरी आबादी के लिए खाने का इंतजाम करने के लिए बिना मिट्टी और कम पानी वाले शहरी क्षेत्रों में भी खेती की कोशिश की जा रही है. वह भी मौसम की परवाह किए बिना. भारत में उद्यमी स्वस्थ, टिकाऊ खाद्य उत्पादन के लिए हाइड्रोपोनिक्स में निवेश कर रहे हैं.
दिल्ली में रहने वाले आशे भवे बेकार प्लास्टिक से बड़ा सस्टेनेबल कारोबार खड़ा करना चाहते हैं. उन्हें कामयाबी भी मिल रही है. प्लास्टिक की थैलियों से बने उनके जूते यूरोप तक बिक रहे हैं. कमाल की बात यह है कि उन्होंने अपनी कंपनी और ब्रैंड का नाम ही थैली रखा है.
कोलकाता की एक झुग्गी बस्ती में रहने वाली सुल्ताना बेगम का दावा है कि वह दिल्ली के लाल किले की मालकिन हैं. इसके लिए वह कई साल से लड़ाई लड़ रही हैं.
राजेश उजाला ने दिल्ली के सबसे बड़े कोविड अस्पताल के मुर्दाघर में डेढ़ साल ड्यूटी की. कोविड की दूसरी लहर में उन्होंने लाशों का अंबार देखा. उनके अस्पताल में फिर मामले बढ़ते दिख रहे हैं. लेकिन उजाला दुआ करते हैं कि फिर उन्हें वैसे हालात का सामान ना करना पड़े. उन्होंने खुद अपने छोटे भाई को इस दूसरी लहर में गंवाया है.
दिल्ली की सर्दी को कोसने वाले जरा मगरिब के ऐटलस पहाड़ों की सर्दियां देखें. मोरक्को का तिमादिते गांव उत्तरी अफ्रीका का सबसे ऊंचा गांव है जहां अमाजिग कबीला रहता है. सर्दियां आते ही यह गांव बाकी दुनिया से कट जाता है.
सर्दियों के शुरू होने से ठीक पहले दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है और स्मॉग की चादर बिछ जाती है. आखिर साल के इसी समय ऐसा क्यों होता है.
राजधानी दिल्ली में यमुना नदी पर जहरीले झाग की मोटी परत दिखती है. यह इस नदी में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण का नतीजा है. कई साल से यह नजारा दिख रहा है. लेकिन हालात बेहतर होते नहीं दिखते.
दिल्ली का जीबी रोड इलाका सेक्स वर्कर्स के लिए जाना जाता है. कोरोना वायरस लॉकडाउन से यहाँ काम न मिलने से कई औरतें कर्ज़े में डूबी हैं जिसकी वजह से उनके हालत बाद से बदतर हो गई है.