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जलवायु परिवर्तन की मार यूं तो पूरी दुनिया पर पड़ रही है, लेकिन युगांडा में इससे निपटने के लिए जो तरीके आजमाए जा रहे हैं, उनसे शायद हर कोई वाकिफ न हो. यहां जमीन को कटने से बचाने के लिए बांस उगाए जा रहे हैं, जिसका लोगों को आर्थिक फायदा भी हो रहा है.
जर्मनी और पोलैंड की सीमा पर ओडर नदी के किनारे एकदम लाखों मरी हुई मछलियों से अट गए हैं. टनों मछलियां अचानक कैसे मर गईं, यह बात ना तो अधिकारियों को समझ आ रही है और ना ही स्थानीय लोगों को.
धरती से पांच से सात मील ऊपर पश्चिम से पूर्व की ओर बहने वाली हवाएं जेट स्ट्रीम कहलाती हैं. इनकी रफ्तार धीमी हो रही है, जिसका असर जलवायु पर पड़ रहा है. देखिए, वैज्ञानिक इस बारे में क्या बता रहे हैं.
भारत कब आजाद हुआ? 15 अगस्त 1947 को. इतना तो बच्चा-बच्चा जानता है. लेकिन आप उस दिन से जुड़ीं ये मजेदार बातें जानते हैं?
गांजे की अवैध खेती और कारोबार में शामिल लोग कानून के हत्थे चढ़ जाएं, तो उनके परिवार के परिवार बर्बाद हो जाते हैं. पर अगर कोई वैधानिक तरीके से पुख्ता काम कर रहा हो, तो इसके फायदे भी खूब हो सकते हैं. यही देखने को मिलता है लेसोथो में, जहां इलाज में इस्तेमाल होने के लिए उगाए जा रहे गांजे से लोगों का खूब भला हो रहा है. कैंसर जैसी मर्जों के इलाज के लिए होने वाले इस कारोबार में खूब कमाई होती है.
कारें महंगी होती जा रही हैं. ऐसा लगता है, जैसे कंपनियां छोटे बजट वाली गाड़ियां बना ही रही हैं. तो ये कंपनियां कौन सी कारें और किसके लिए बना रही हैं.
शीत युद्ध के समय 28 सालों तक बर्लिन की दीवार ने पश्चिमी और पूर्वी बर्लिन को विभाजित रखा. दीवार तो 1990 में गिरा दी गई लेकिन इसके इतिहास को जिंदा रखने के लिए 160 किलोमीटर का एक ट्रेल आज भी मौजूद है.
फ्रांस में समुद्री तट के पास गहराई में एक गुफा मिली. इस गुफा को इससे ढूंढने वाले के नाम पर कॉस्केयर नाम दिया गया. इस गुफा में 33,000 साल पुराने प्रागैतिहासिक काल के इंसानों की बनाई चित्रकारी मौजूद है. इन चित्रकारियों को नुकसान पहुंचने की वजह से लोग तो इसमें नहीं जा सकते, लेकिन आप ये चित्रकारी देख जरूर सकते हैं.
प्लास्टिक या दफ्ती के डिब्बों में खाना लेना सहूलियत भरा तो है, लेकिन इससे कचरा बहुत होता है. इस समस्या की वजह से अब कुछ दुकानदार लोगों को टिकाऊ बर्तनों के विकल्प देने लगे हैं.
अगर आपने हाल फिलहाल में गूगल पर कुछ सर्च किया हो तो शायद लगा हो कि वह पहले जैसा नहीं रहा. जो खोज रहे हैं वो तो सर्च में आता नहीं, प्रचार जरूर भरे रहते हैं. लेकिन क्या आपने इंस्टाग्राम या टिक टॉक पर कुछ सर्च किया है? नई पीढ़ी को तो गूगल की बजाय इन्हीं प्लेटफॉर्मों पर भरोसा है.
ग्रीनलैंड में टूर गाइड्स परेशान हैं क्योंकि स्लेज कुत्तों के आराम से चल सकने के लिए जरूरी बर्फ की लगातार कमी होती जा रही है. ऐसे में सदियों पुरानी परंपरा खतरे में है. सर्दियां कम हो रही हैं और अक्सर पर्याप्त बर्फ नहीं होती. जलवायु परिवर्तन से दुनिया के सबसे बड़े द्वीप पर जीवन बदल रहा है.
जब अच्छे इंटरनेट कनेक्शन के लाले पड़े हों तो कोई मेटावर्स में क्या खाक इंजॉय करेगा. ऊपर से करे भी कैसे अगर पहले हजारों रूपये VR हेडसेट और दूसरे गैजेट्स खरीदने में लगाने पड़ें. यानि कुल मिला के इस वर्चुअल दुनिया में भी अमीरों की ही मौज है. देखिए कि ऐसा क्यों हो रहा है.
ग्लेशियर पिघलने और समुद्र का जलस्तर बढ़ने की चेतावनी तो लंबे समय से दी जा रही है. पर क्या तटीय इलाकों में रहने वाले लोग तैरने वाले शहरों से कुछ उम्मीद कर सकते हैं?
कोई कंबोडिया आए और यहां के मंदिर न देखे, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. पर जब ये मंदिर इतने लोकप्रिय हैं, तो यहां इतना सन्नाटा क्यों छाया हुआ है.
भारत में नदियों में बेशुमार झाग बनना अक्सर खबरों में आता है. इसके पीछे हैं वे साबुन और डिटरजेंट, जिनका हम अंधाधुंध इस्तेमाल करने लगे हैं. तो क्या ग्रीन डिटरजेंट से कुछ बदलेगा?
यूरो मुद्रा यूरोप के 19 देशों में चलती है. अगले साल से क्रोएशिया भी यूरोप की इस साझा मुद्रा को अपना लेगा. लेकिन कुछ लोग इसके हक में हैं तो कुछ लोग इससे सहमे हुए हैं.
जर्मनी में चांसलर के भी सालाना छुट्टी लेने की परंपरा है. जो काम करता है उसे आराम भी चाहिए, इसलिए राजनीतिज्ञों के छुट्टी लेने को बुरा नहीं माना जाता. तो कौन से हैं चांसलरों के मनपसंद ठिकाने?
भारत में तो भूजल स्तर तेजी से घट ही रहा है. जर्मनी की राजधानी बर्लिन का इलाका भी सूखे की मार झेल रहा है. देखिए यहां जमीन के अंदर पानी कितना कम होता जा रहा है.
जूट, सूखे मक्के के पौधे और फेंक दी गई टमाटर की डंडियां... कई किसान इसे कृषि कचरा मानते हैं लेकिन ये चीजें उपयोगी हो सकती हैं. एक रसायनशास्त्री तो प्लास्टिक बनाने में कच्चे तेल की जगह पिसी कॉफी का तेल इस्तेमाल करना चाहते हैं. एक सस्टेनेबल भविष्य के लिए इन प्रयोगों की बहुत अहमियत है.
वैसे तो आप हमेशा वाद्य यंत्रों से निकला संगीत ही सुनते हैं, पर दुनिया में कुछ ऐसे कलाकार भी हैं, जो प्रकृति से संगीत निकाल रहे हैं. सुनकर देखिए कैसा लग रहा है.